इस सवाल का जवाब कोई नहीं देना चाहता। चलते बाजार में बुलडोजर चलाकर तोड़-फोड़ करने वाले अब इस विषय पर बात भी करना मुनासिब नहीं समझते। शहर के हृदय स्थल अधूरे प्लानिंग के साथ शुरू हुए निर्माण में खूब राजनीति की गई। जैसे-तैसे दस सालों में बनकर तैयार काम्प्लेक्स का एक माह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों लोकार्पण करवाया गया। व्यापारियों की उम्मीदें जगी की देर से ही सही दुकानें अब खुल जाएंगी लेकिन इस सीजन में भी इसे आबंटित नहीं किया गया। उल्टे पूरे निर्माण क्षेत्र को सील कर दिया गया है और तर्क दिया जा रहा है कि अभी भी दस लाख रूपये का कार्य होना शेष है। इसके लिए राशि स्वीकृत करवाई जाएगी और ठेकेदार से हैंडओवर नहीं लिया गया है। एक और बार बाजार पेंडिंग खाते में डाल दिया गया है। आखिर कब तक नए बाजार का सपना पूरा होगा, इसका कोई ठोस जवाब किसी के पास नहीं है। लगातार अधिकारी और इंजीनियर बदलते रहे, किसी भी जिम्मेदार अधिकारी और नेता ने इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। ऐसे में प्रभावित व्यापारी वर्ग लगातार चक्कर लगा रहे हैं। रोजगार का एक बड़ा केन्द्र उपेक्षा और लापरवाह प्रतिनिधित्व की मार झेल रहा है। जिस रोजमर्रा के बाजार को उजाड़ा गया था उस पूरे बाजार को शापिंग काम्प्लेक्स में तब्दील करने के बाद चिंता यह भी है कि क्या बाजार यहां शिफ्ट हो पाएगा। अगर नहीं तो शेष व्यापारियों का क्या होगा?
सब्जी बाजार को उजाड़कर शापिंग काम्प्लेक्स बना देने के फैसले से एक बड़ी परेशानी मुंह खोले खड़ी है कि वर्तमान गार्डन में शिफ्ट किए गए सब्जी बाजार को वापस कैसे लाया जाएगा। इसके लिए नगर पंचायत के भीतर फेस टू निर्माण की चर्चा उठ रही है। इस नए विषय में नए बाजार के शापिंग काम्प्लेक्स में दुकानों को शिफ्ट कर शेष बाजार में चबूतरा बनाकर सब्जी लाया जाए हालांकि यह कठिन कार्य है। लेकिन क्या ऐसा करने तक नया बाजार आबंटित नहीं किया जाएगा और इन सबमें आखिर और कितना समय लगेगा। उलझनों से भरा बाजार कब शुरू होगा इसकी प्लानिंग होती दिखलाई नहीं पड़ती।
राज्य शासन ने शापिंग काम्प्लेक्स की स्वीकृति देकर राशि नगर पंचायत को उपलब्ध कराई थी, जिसमें नगर पंचायत ने हुडको से लोन भी ले रखा था जिसे जैसे-तैसे जमा करवाया गया और व्यापारियों को भरोसा दिलाया है कि दुकानें उन्हीं व्यापारियों को आबंटित की जाएगी, जबकि आबंटन जैसी प्रक्रिया के लिए फिलहाल कोई स्वीकृति नगर पंचायत के पास नहीं है और लागत मूल्य पर दुकानें उपलब्ध करवाने की कोई फाईल आगे नहीं बढ़ पायी है। राज्य शासन के पास नीलामी और आरक्षण प्रक्रिया का निर्देश उपलब्ध है। लागत मूल्य का प्रावधान नहीं है ऐसे में दुकानें कैसे आबंटित की जाएगी। यह भी प्रश्र है कि वर्तमान में बाजार निर्माण और हैंडओवर भुगतान के अभाव में रूका हुआ है। ऐसी स्थिति में आबंटन प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई है। अब बाजार या शापिंग काम्प्लेक्स शुभारंभ कब होगा इसका भी पता नहीं है।