ये आंकड़े बढ़ाएंगे चिंता
विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव जिले में कांग्रेस ने सबसे बड़ी जीत डोंगरगढ़ में दर्ज की। यहां से भाजपा को 35 हजार 418 वोटों का नुकसान हुआ है। दूसरी बड़ी जीत कांग्रेस को आदिवासी इलाके मोहला-मानपुर से मिली। भाजपा को यहां 29 हजार 528 वोट के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। खुज्जी में 27 हजार 497 वोट से भाजपा हारी। खैरागढ़ में ही भाजपा काफी हद तक मुकाबले में रही और सिर्फ 870 वोट से वो हारी। अकेले राजनांदगांव सीट में जीत मिली। यहां भाजपा ने 16 हजार 933 वोट के अंतर से जीत हासिल किया। कवर्धा जिले के कवर्धा में कांग्रेस ने प्रदेश की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। उसने भाजपा के लिए 59 हजार 281 वोट का गड्ढा कर दिया है। इस जिले की पंडरिया से भाजपा को 36 हजार 487 वोटों से हार मिली। इस तरह राजनांदगांव जिले में भाजपा के लिए 1 लाख 3 हजार 916 वोट का गड्ढा हो गया है। कवर्धा जिले में 95 हजार 768 वोटों का गड्ढा हुआ है। पूरे संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यह गड्ढा 1 लाख 99 हजार 684 वोटों का है।
दो लाख से ज्यादा से जीते थे अभिषेक
करीब साढ़े 4 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने पुत्र अभिषेक सिंह को राजनीति में प्रवेश दिलाते हुए सीधे लोकसभा का चुनाव लड़ाया था। उस वक्त कांग्रेस ने कमलेश्वर वर्मा को मैदान में उतारा था। संसदीय क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों में अच्छी खासी बढ़त लेते हुए अभिषेक सिंह ने 2 लाख 35 हजार 911 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। उस वक्त अभिषेक सिंह को 6 लाख 43 हजार 473 वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी को 4 लाख 7 हजार 562 वोट मिल पाए थे। राज्य में भाजपा की सरकार रहते और इस सरकार के मुखिया के पुत्र के सांसद रहते साढ़े 4 साल में ऐसा क्या हुआ कि इतना बड़ गड्ढा हो गया, भाजपा के लिए चिंता का सबब है।
पहली बार नजर आई तीसरी शक्ति
महज दो साल पहले बनी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में एक लाख से ज्यादा वोट हासिल कर एक विधानसभा सीट में कब्जा कर लिया है। इस चुनाव में यदि उसके गठबंधन की बात करें तो इस गठबंधन ने डेढ़ लाख से ज्यादा वोट बटोरे हैं। कवर्धा जिले में गठबंधन को 39 हजार 897 वोट मिले हैं तो राजनांदगांव जिले में उसने 1 लाख 13 हजार 391 वोट बटोरे हैं। इसमें बसपा ने 40 हजार 417 वोट लिए हैं जो जोगी कांग्रेस ने 1 लाख 12 हजार871 वोट लिए हैं।
विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव जिले में कांग्रेस ने सबसे बड़ी जीत डोंगरगढ़ में दर्ज की। यहां से भाजपा को 35 हजार 418 वोटों का नुकसान हुआ है। दूसरी बड़ी जीत कांग्रेस को आदिवासी इलाके मोहला-मानपुर से मिली। भाजपा को यहां 29 हजार 528 वोट के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। खुज्जी में 27 हजार 497 वोट से भाजपा हारी। खैरागढ़ में ही भाजपा काफी हद तक मुकाबले में रही और सिर्फ 870 वोट से वो हारी। अकेले राजनांदगांव सीट में जीत मिली। यहां भाजपा ने 16 हजार 933 वोट के अंतर से जीत हासिल किया। कवर्धा जिले के कवर्धा में कांग्रेस ने प्रदेश की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। उसने भाजपा के लिए 59 हजार 281 वोट का गड्ढा कर दिया है। इस जिले की पंडरिया से भाजपा को 36 हजार 487 वोटों से हार मिली। इस तरह राजनांदगांव जिले में भाजपा के लिए 1 लाख 3 हजार 916 वोट का गड्ढा हो गया है। कवर्धा जिले में 95 हजार 768 वोटों का गड्ढा हुआ है। पूरे संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यह गड्ढा 1 लाख 99 हजार 684 वोटों का है।
दो लाख से ज्यादा से जीते थे अभिषेक
करीब साढ़े 4 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने पुत्र अभिषेक सिंह को राजनीति में प्रवेश दिलाते हुए सीधे लोकसभा का चुनाव लड़ाया था। उस वक्त कांग्रेस ने कमलेश्वर वर्मा को मैदान में उतारा था। संसदीय क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों में अच्छी खासी बढ़त लेते हुए अभिषेक सिंह ने 2 लाख 35 हजार 911 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। उस वक्त अभिषेक सिंह को 6 लाख 43 हजार 473 वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी को 4 लाख 7 हजार 562 वोट मिल पाए थे। राज्य में भाजपा की सरकार रहते और इस सरकार के मुखिया के पुत्र के सांसद रहते साढ़े 4 साल में ऐसा क्या हुआ कि इतना बड़ गड्ढा हो गया, भाजपा के लिए चिंता का सबब है।
पहली बार नजर आई तीसरी शक्ति
महज दो साल पहले बनी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में एक लाख से ज्यादा वोट हासिल कर एक विधानसभा सीट में कब्जा कर लिया है। इस चुनाव में यदि उसके गठबंधन की बात करें तो इस गठबंधन ने डेढ़ लाख से ज्यादा वोट बटोरे हैं। कवर्धा जिले में गठबंधन को 39 हजार 897 वोट मिले हैं तो राजनांदगांव जिले में उसने 1 लाख 13 हजार 391 वोट बटोरे हैं। इसमें बसपा ने 40 हजार 417 वोट लिए हैं जो जोगी कांग्रेस ने 1 लाख 12 हजार871 वोट लिए हैं।