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क्षेत्र की गौ माताओ में दिखने लगा लम्पी स्किन डिसीस.. जाने क्या है लक्षण …

locationराजनंदगांवPublished: Aug 12, 2020 10:12:23 am

Submitted by:

Nitin Dongre

गंडई पशु चिकित्सालय के डॉ. संदीप इंदुरकर ने बताया कि यह एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो एक वायरस (पॉक्सविरिडी परिवार से संबंधित है) के माध्यम से फैल रहा है।

Lumpy skin disease started appearing in the cow mothers of the region .. What are the symptoms…

क्षेत्र की गौ माताओ में दिखने लगा लम्पी स्किन डिसीस.. जाने क्या है लक्षण …

गंडई पंडरिया. क्षेत्र के गायों में लम्पी स्किन डिसीस (त्वचा का वृहद संक्रामक रोग) की समस्या सामने आई है। ग्रामीण अपने पशुओं को लेकर बेहद चिंतित हैं। गंडई पशु चिकित्सालय के डॉ. संदीप इंदुरकर ने बताया कि यह एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो एक वायरस (पॉक्सविरिडी परिवार से संबंधित है) के माध्यम से फैल रहा है। यदि किसी ग्राम में या पशुओं में यह रोग फैलता है, तो उस जगह से 45 से 50 किलोमीटर के आसपास क्षेत्र को प्रभावित करता है। यह एक स्वत: नियंत्रित बीमारी है, जिसमे पशुओं की शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है।
लक्षण

उक्त बीमारी के लक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि पशुओं में इस प्रकार के संक्रमण से निम्न प्रकार के लक्षण परिलक्षित होते है, पशुओं के पैरों में सूजन आना ज्यादातर पिछले पैरों पर जिससे पशु चलने में असमर्थ रहते हंै एक ही जगह पर खड़े रहते हंै, तेज बुखार आना (103 से 105 सेंटीग्रेट) पूरे शरीर के त्वचा पर छोटे छोटे नोडल या गठान के रूप में दिखना। सर्दी के लक्षण दिखना। नाक से पानी बहना आदि। यह संक्रमण कई कारण से हो सकते हैं, जू, किलनी, पेशवा ये प्रमुख रोगवाहक कारक है, जिसमें एक से दूसरे पशुओं में जाते है, संक्रमित पशु का स्वस्थ पशुओं के साथ रहना, संक्रमित पशु का एक स्थान से दूसरे स्थान में ले जाना, दुहाल भी संक्रमण का कारण हो सकता है।
संक्रमण से बचने के उपाय

संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखे, रोग उत्पन्न का पशुचिकित्सक से सम्पर्क का उपचार करावें, उपरोक्त लक्षण दिखने पर अपने नजदीकी पशुचिकित्सक से संपर्क करें, अधिकतर यह रोग का संक्रमण 12 से 15 दिनों तक रहता है। फिर स्वत: ही समाप्त हो जाता है। इसलिए इसे स्वनियंत्रित बीमारी कहा जाता है, उसके बाद शरीर की त्वचा पर गठान या नोड्यूल फट जाते हैं और मवाद निकलता है। इस संक्रमण को रोकने के लिए ही द्वितीय संक्रमण उपचार किया जाता है।
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