हॉकी प्रतियोगिता को इसके आयोजक समिति के आधार पर तीन चरणों में बांटा जा सकता है। इसकी शुरूआत सिटी क्लब ने की। 1941 से लेकर 1966 तक यह दौर चला। इसके बाद 1966 से 1974-75 तक नगर पालिका की समिति ने इसे संचालित किया। इसके बाद 1976 से लेकर अब तक यह प्रतियोगिता दिग्विजय स्टेडियम समिति की मेजबानी में आयोजित हो रही है।
नाटक खेलकर हुआ धन संग्रह
बीएनसी मिल्स के तत्कालीन काड्रिंग और वीविंग मास्टर एसवाय नायडू (योगेश्वर राय नायडू) ने इस प्रतियोगिता के लिए शुद्ध चांदी का 48 इंच (पेडस्टल सहित) रजत कप प्रदान किया। शहर के उत्साही खिलाडिय़ों हरिप्रसाद शुक्ला, मुहम्मद जानी, मांगीलाल, बलराम स्वामी, राम, रूपनारायण पांडे, गुलाम नबी, खेमलाल श्रीवास्तव, राजकिशोर शुक्ल, विपिन बिहारी, नारायण स्वामी ने बीव्ही ढोंक के निर्देशन में नाटक ‘उस पार खेलकर आयोजन के लिए धन का संग्रह किया।
नामी टीमें लेती हैं हिस्सा
शुरूआती दौर में इस प्रतियोगिता में स्थानीय और पुराने मध्यप्रदेश (सीपी एंड बरार) और मध्यभारत की टीमें हिस्सा लेती थीं। बाद में पूरे देश की नामी टीमें इसमें शामिल होने लगीं। स्थानीय टीमों में स्वास्तिक, लालबाग, सिटी क्लब ने खूब ख्याति हासिल की। इसके अलावा दुर्ग सिटी क्लब, एथलेटिक्स क्लब, रायपुर , बिलासपुर , खंडवा, इटारसी, बालाघाट, अमरावती, झांसी, ग्वालियर, भोपाल की टीमें आने लगीं।
बढऩे लगा रूतबा
नगर पालिका द्वारा 1967 से संचालन के बाद इस प्रतियोगिता का रूतबा और बढ़ता गया। अर्धशासकीय संस्था के संचालन के चलते देश की उत्कृष्ट टीमें एक निमंत्रण पत्र से ही इसमें आने लगीं। जालंधर, चंडीगढ़, सेंट्रल रेलवे, इंडियन नेवी, सिख रेजीमेंट दानापुर, नार्थ इस्ट रेलवे गोरखपुर, बीएनआर, साऊथ इस्ट रेलवे कोलकाता, इस्पात क्लब भिलाई, राऊरकेला, आंध्र पुलिस सिकंदराबाद, नासिक, स्टेट बैंक भोपाल की टीमें भी यहां पहुुंचने लगी।
आए हॉकी के धुरंधर
राजनांदगांव में इस प्रतियोगिता में खेलने देश के कई ेबेहतरीन हॉकी खिलाड़ी यहां आए। लोगों को इनके खेल का हुनर देखने भी मिला। अपने समय के हॉकी के धुरंधर माइकल किंडो, डुंगडुंग, शिवाजी पवार, सुरजीत सिंह टोपनो, क्रिस्टी एरमन, अशोक ध्यानचंद, शाहिद आदि के खेल यहां दर्शकों ने देखे।
एक बार ही हुआ है रद्द
1941 से शुरू हुई प्रतियोगिता वर्ष 1984 में एक साल रद्द रही। इस वर्ष अक्टूबर महीने में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या होने और इसके बाद देशभर में फैले तनाव के कारण यह प्रतियोगिता आयोजित नहीं की जा सकी।
राजनांदगांव की हॉकी और जुनून को ‘पत्रिका एक बार फिर ताजा करना चाह रहा है, तो फ्लैश-बैक में जाइए हॉकी के गौरवशाली इतिहास को करीब से महसूस कीजिए। ‘पत्रिका अपने पाठकों से भी आग्रह करता है कि यदि उनके पास ऐसी कोई सामग्री है तो उसे व्हॉट्स-अप नंबर 9300768873 पर उपलब्ध कराएं। हम इसे भी प्रकाशित करेंगे। (महंत सर्वेश्वरदास मेमोरियल ऑल इंडिया हॉकी टूर्नामेंट की स्वर्ण जयंती वर्ष 1991-92 में दिग्विजय स्टेडियम समिति द्वारा प्रकाशित स्मारिका में शिक्षविद् स्व. शंकरलाल श्रीवास्तव के लेख से साभार)
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