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स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने वाली माताओं को धुएं से नहीं मिल पाई मुक्ति

locationराजनंदगांवPublished: Jul 30, 2018 04:32:14 pm

Submitted by:

Govind Sahu

घरेलू गैस की महंगाई का असर: नहीं करा पा रहा रिफिलिंग, अब भी लकड़ी जलाकर बनाया जा रहा भोजन

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स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने वाली माताओं को धुएं से नहीं मिल पाई मुक्ति

राजनांदगांव. एक तरफ केन्द्र सरकार उज्जवला योजना अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में फ्री गैस, चूल्हा और सिलेण्डर वितरित कर धुआं रहित वातावरण बनाने का प्रयास कर रही है, वहीं स्कूलों में मध्याह्न भोजन तैयार करने वाली महिलाएं आज भी लकडिय़ों के उपयोग से ही खाना बना रही हैं। सांसद के गोदग्राम में ही चूल्हे का उपयोग शासन-प्रशासन द्वारा महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाने के दावे की पोल खोल रहा है।

जिले के ज्यादातर स्कूलों में लकड़ी वाले चूल्हे में ही मध्याह्न भोजन बनाया जा रहा है। ऐसे में यहां भोजन बनाने वाली माताओंं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं स्कूल से ही किचन शेड लगे होने के कारण धुआं बच्चों व शिक्षकों को भी परेशान कर रहा है। स्कूलों में मध्याह्न भोजन तैयार करने वाले समूह की महिलाओं से चर्चा करने पर बताया कि महंगाई बढऩे के कारण गैस का रिफिलिंग नहीं करा पा रहे हैंं। ज्ञात हो कि बारिश के दिनों में लकड़ी व कंडे आदि में नमी आने के कारण आसानी से जलता नहीं है। ऐसे में आग जलाने और खाना बनाने के लिए रसोइयों को बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। लकड़ी में नमी के कारण धुआं भी अधिक होता है।

ग्रामीण क्षेत्र में स्थिति
सांसद गोद ग्राम भोथीपार में मध्याह्न भोजन बनाने वाली समूह ने बताया कि सिलेंडर की व्यवस्था करवाई थी, लेकिन महंगाई के कारण रिफिलिंग नहीं करा पा रहे हैं। सिलेंडर कोने में पड़ा हुआ मिला। गैस चूल्हे का अता-पता नहीं है। ऐसे हालात ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में देखने को मिल रहा है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र विभाग के एचओडी डॉ. सौम्या डुलानी ने बताया कि धुएं से आंखों में एलर्जी की शिकायत आ सकती है। इसके अलावा आंखों में लालपन भी होने की आशंका रहती है। श्वास आदि की समस्या आ सकती है। जिन्हें धूल-धुएं से एलर्जी हो उन्हें बचने का प्रयास करना चाहिए।

प्रस्ताव भेजा जाएगा
मामले में राजनांदगांव डीईओ एसके भारतद्वाज स्कूलों में मध्याह्न भोजन के लिए शासन की ओर से सिलेंडर नहीं दिया गया है। यहां भी महिलाएं ही भोजन बनाती है, तो शासन-प्रशासन को स्कूलों में सिलेंडर देने के लिए प्रस्ताव भेजेंगे।
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