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रसूखदारों पर पाक्सो में कार्रवाई करने में छूटे पुलिस के पसीने

locationराजनंदगांवPublished: Jul 30, 2019 05:47:49 pm

Submitted by:

Nitin Dongre

प्रकरण एक जैसा, पुलिस का रवैया दोनों में अलग

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रसूखदारों पर पाक्सो में कार्रवाई करने में छूटे पुलिस के पसीने

अतुल श्रीवास्तव
राजनांदगांव. नाबालिग लड़कियों के साथ अनैतिक कृत्य और इसके बाद लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (पाक्सो) के तहत कार्रवाई करने में पुलिस कमजोर साबित हो रही है। पिछले कुछ दिनों में दो ऐसे मामले हुए हैं, जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। दिलचस्प है कि दोनों मामले एक ही थाना क्षेत्र के हैं। एक मामले में नाबालिग लड़की के साथ युवक के साथ पकड़े जाने के बाद पुलिस ने परिजनों का हवाला देकर पूरे मामले को अलग ही रंग दे दिया, जबकि दूसरे मामले में नाबालिग बालिका के रेस्क्यू होने के बाद उसके साथ पकड़ाए नाबालिग लड़के पर पाक्सो के तहत मामला दर्ज कर उसे बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया गया। पहला मामला शहर कोतवाली का है जबकि दूसरा मामला इसी कोतवाली से संबद्ध चिखली पुलिस चौकी का है।
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (पाक्सो) से जुड़े इन दोनों मामलों में अलग-अलग तरह की कार्रवाई होने से पुलिस की यहां किरकिरी हो रही है। चिखली पुलिस चौकी का मामला इसी सप्ताह का है। चिखली पुलिस चौकी से मिली जानकारी के मुताबिक 21 जुलाई की रात चिखली मोहल्ले के कुछ लोगों ने एक नाबालिग लड़की और एक नाबालिग लड़के को पुलिस के हवाले किया था। इसके बाद पुलिस ने दोनों नाबालिगों को चाईल्ड लाईन को सौंपा। इसके बाद चाईल्ड लाईन द्वारा दोनों को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) में पेश किया गया। सीडब्ल्यूसी ने नाबालिग लड़की का बयान लेने के बाद उसे बालिका गृह के सुपुर्द कर दिया। चूंकि मामला पाक्सो के तहत अपराध का था इसलिए अपचारी नाबालिग बालक को किशोर न्याय अधिनियम २०1५ (जेजे एक्ट) के तहत किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत करने पुलिस को निर्देश दिए गए।
यहां हुई यह चूक

शहर कोतवाली के नेशनल हाईवे के एक होटल के एक बंद कमरे में 8 जुलाई को कुछ जोड़े संदिग्ध हालत में पकड़ाए थे। इनमें से एक लड़की नाबालिग थी। नाबालिग लड़की के साथ पकड़ा गया युवक शहर का एक नामी व्यवसायी का बेटा था। नाबालिग के रेस्क्यू मामले में कोतवाली पुलिस को चिखली के मामले की तरह चाईल्ड लाईन को सूचना देनी चाहिए थी और इसके बाद वहां से मामला बाल कल्याण समिति के पास पहुंचता। बाल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का कहना है कि यह मामला भी पाक्सो के तहत कार्रवाई के दायरे में आता, लेकिन पुलिस ने सिर्फ प्रतिबंधात्मक धारा लगाकर मामले को निपटा दिया।
पत्रिका की खबर से महिला बाल विकास ने भी लिया संज्ञान

मामले के हाईप्रोफाइल होने के चलते कोतवाली पुलिस द्वारा पाक्सो एक्ट को नजर अंदाज करने के मामले में पत्रिका की खबर के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने संज्ञान लेते हुए पुलिस को संबंधित मामले में बाल कल्याण समिति के समक्ष नाबालिग बालिका को प्रस्तुत कर इस कार्रवाई से अवगत कराने पत्र लिखा था। इससे पहले बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य शरद श्रीवास्तव ने भी ऐसा ही पत्र पुलिस को लिखा था। हालांकि पुलिस ने अब तक इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं की है।
राज्य आयोग के पत्र की भी खबर

अब पता चला है कि होटल में पकड़े गए जोड़ों में एक लड़की के नाबालिग होने के विषय में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से भी पुलिस को पत्र जारी किया गया है। हालांकि इस संबंध में विस्तार से जानकारी नहीं मिली है लेकिन पता चला है कि यहां से भी संबंधित मामले में की गई कार्रवाई को लेेकर पूछताछ की गई है।
गलत पता बताने वाला यह है युवक

कोतवाली पुलिस ने नेशनल हाईवे में पोस्ट आफिस चौक के पास छापा मारकर चार लड़कों और एक नाबालिग सहित तीन लड़कियों को संदिग्ध हालत में पकड़ा था। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक नाबालिग लड़की के साथ पकड़ा गया युवक जैनम बैद पिता नरेश बैद उम्र 19 वर्ष था। जैनम ने पुलिस को अपना पता ममता नगर राजनांदगांव बताया था, जबकि वास्तव में वह ओसवाल लाईन राजनांदगांव का रहने वाला है।
कार्रवाई की जाएगी

टीआई कोतवाली, एलेक्जेंडर किरो ने बताया कि मामले में कार्रवाई अभी जारी है। आयोग का पत्र मिला है। नाबालिग लड़की के परिजनों से संपर्क कर उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने की कार्रवाई की जाएगी।
कोतवाली पुलिस की बड़ी गलती

राजनांदगांव एएसपी यूबीएस चौहान ने बताया कि चिखली और कोतवाली के मामले में अंतर है। चिखली में लड़की अपने परिजनों के बारे में नहीं बता पा रही थी, इसलिए सीधे सीडब्ल्यूसी में पेश किया गया। कोतवाली मामले में नाबालिग का सीडब्ल्यूसी के समक्ष बयान होना था जो नहीं हुआ, यह कोतवाली पुलिस की बड़ी गलती है।
बालिका गृह भेजा गया

चिखली चौकी, सब इंस्पेक्टर हरिशचंद्र मिश्रा ने इस मामले पर कहा कि नाबालिग लड़की का रेस्क्यू हुआ था इसलिए उसे सीडब्ल्यूसी में पेश किया गया था। उसके बयान के बाद अपचारी बालक पर पाक्सो का मामला कायम किया गया। बाद में लड़की के परिजनों की पतासाजी की गई। मां नहीं है, पिता रिक्शा चालक है इसलिए लड़की को सीडब्ल्यूसी के आदेश पर बालिका गृह भेजा गया।
पुलिस ने दिया यह तर्क

1. सोनू होटल में रेस्क्यू की गई नाबालिग लड़की का कहना था कि परिजनों की इजाजत से आई थी।
2. परिजनों ने कहा कि नाबालिग लड़की कथित लड़के के साथ हमारी जानकारी में थी।
3. परिजनों ने किसी प्रकार की (पाक्सो या अन्य) कानूनी कार्रवाई करने से मना किया।
4. नाबालिग लड़की के कहने के बाद मामले की जानकारी चाईल्ड लाईन और सीडब्ल्यूसी को नहीं दी गई।
कानून की यहां हुई अवहेलना

1. नाबालिग लड़की के रेस्क्यू के मामले में पास्को अधिनियम की धारा 19(6) कहती है कि जांच करने वाली पुलिस बिना किसी विलंब के (24 घंटे के भीतर) मामले को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) या फिर इस संबंध में कार्य करने वाली विशेष न्यायालय में प्रस्तुत करेगी। संबंधित प्रकरण में ऐसा नहीं किया गया।
2. पाक्सो अधिनियम की धारा 27(1) कहती है कि रेस्क्यू की गई नाबालिग का चिकित्सकीय परीक्षण किया जना चाहिए। यह चिकित्सकीय परीक्षण उस स्थिति में भी किया जाना चाहिए जिस स्थिति में अधिनियम के तहत कोई अपराध की सूचना रजिस्ट्रीकृत नहीं हो। संबंधित प्रकरण में ऐसा नहीं किया गया।
3. पाक्सो अधिनियम की धारा 4(२)(ग) भी कहती है कि यदि अपराध किए जाने की संभावना भी हो या प्रयत्न भी किया गया हो तो भी संबंधित प्राधिकारी नाबालिग को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए अस्पताल ले जाएगा। संबंधित प्रकरण में ऐसा नहीं किया गया।
4. पाक्सो अधिनियम की धारा 4 की उपधारा (३) कहती है कि संबंधित पुलिस अधिकारी रेस्क्यू की गई नाबालिग को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करेगा चाहे अपराध किया गया हो, या करने का प्रयत्न किया गया हो, या किए जाने की संभावना हो। मामले में यह भी नहीं किया गया।
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