हृदय रोग की शिकायत थी
अपने पिता और माता की राह पर चलते हुए लोक कला को अपनाने वाला सूरज गायन, वादन के साथ अभिनय में भी पारंगत था। राजनांदगांव में रंग छत्तीसा के नाम से सांस्कृतिक संस्था चलाने वाले सूरज को हृदय रोग की शिकायत थी। कुछ दिन पहले सूरज को हृदयाघात हुआ था और वह भिलाई के निजी अस्पताल में भर्ती था। शनिवार तड़के 4 बजे 30 वर्षीय सूरज की मृत्यु हो गई।
गाजे-बाजे के साथ निकली शव यात्रा
सूरज के साथ मंच साझा करने वाले साथियों और सूरज की मां पूनम विराट के मुताबिक सूरज को अपनी मौत का पहले ही अहसास हो गया था और उसने कहा था कि उसकी शव यात्रा गाजे-बाजे के साथ निकले। मां पूनम विराट ने पत्रिका को बताया कि बेटे के जाने की उम्र नहीं थी लेकिन वह चला गया और उन्होंने चोला माटी के राम गाना गाकर बेटे को श्रद्धांजलि दी। साथी कलाकारों ने शव यात्रा में गाजे-बाजे और गीत संगीत के साथ सूरज विराट को अंतिम विदाई दी।
कई सालों से बिस्तर पर हैं पिता
मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर के साथ लंबे समय तक काम करने वाले और मशहूर नाटक चरणदास चोर में मुख्य भूमिका निभाने वाले दीपक विराट बीते कई सालों से बिस्तर पर हैं। लकवे की बीमारी के बाद दीपक विराट ने मंच छोड़ दिया लेकिन पिता की विरासत को बेटा सूरज जिंदा रखे हुए था। हाल ही में कई मंचों पर सूरज ने नाटक चरणदास चोर में मुख्य भूमिका निभाई थी।
मुक्तिधाम में रहा भावभीना माहौल
लोक कलाकार सूरज विराट को अंतिम विदाई देने बड़ी संख्या में लोक कलाकार मौजूद रहे। मोतीपुर मुक्तिधाम में भावभीना माहौल नजर आया। शव यात्रा में रास्तेभर छत्तीसगढ़ी लोकगीत गाने वाले साथी कलाकारों ने मुक्तिधाम में भी गीत संगीत के जरिए सूरज को अंतिम विदाई दी।