चेपटाखोल डायवर्सन के कार्य की लागत 49 लाख रुपए रही। इसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों को रोजगार भी प्राप्त हुआ। डायवर्सन में पानी आ जाने से बाढ़ के पानी को संग्रहित किया जा सका, इससे डोकराभाठा-खैरागढ़ की ओर जाने वाला पानी का बड़ा फ्लो रोका जा सका। इसके साथ ही जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों से समन्वय भी किया। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने सड़क की ऊंचाई एक किमी बढ़ा दी।
500 एकड़ भूमि सिंचित हुई इसका अच्छा नतीजा हुआ और खैरागढ़-डोकराभाठा सड़क में बरसात के दिनों में आने वाली दिक्कत दूर हो गई। डायवर्सन बनने के पहले वर्ष सुखद नतीजे रहे। किसानों की 500 एकड़ भूमि सिंचित हुई। इससे लगभग 300 किसान परिवार लाभान्वित हुए। इन परिवारों की उपज पिछले साल की तुलना में 4000 क्विंटल बढ़ गई। सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता ग्राहम ने बताया कि इस बार डायवर्सन बनाने के लिए विंग वॉल के बैरियर को 22 मीटर रखा गया और ऊंचाई पांच मीटर रखी गई, यह सफल हुआ और अब बेहतर तरीके से सिंचाई हो रही है।
4 से 5 गांव शामिल है मनरेगा एपीओ प्रथम अग्रवाल ने बताया कि चेपटाखोल डायवर्सन चार गांवों के लिए संजीवनी की तरह साबित हुआ है। इनमें खजरी, ढोलियाकन्हार, केराबोरी और पेंड्री भी शामिल हैं। इन गांवों के लोग बेहद खुश हैं। पहले तो इन्हें मनरेगा के माध्यम से बेहतर रोजगार मिल गया, फिर खेतों में सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध हो गया। बाढ़ में सड़क संपर्क कट जाने की समस्या भी दूर हो गई।