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5 साल में नक्सल मतदान केन्द्रों की संख्या तेजी से बढ़ी

locationराजनंदगांवPublished: Mar 12, 2019 10:07:24 pm

Submitted by:

Nitin Dongre

सबसे ज्यादा मोहला-मानपुर विधानसभा क्षेत्र में बढ़ी

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5 साल में नक्सल मतदान केन्द्रों की संख्या तेजी से बढ़ी

राजनांदगांव. नक्सल उन्मूलन के नाम पर राजनांदगांव जिले में पिछले वर्षों में कई काम हुए हैं। नए थाने और बेस कैम्प भी खोले गए हैं लेकिन निर्वाचन कार्यालय द्वारा जारी मतदान केन्द्रों की स्थिति को देखकर समझा जा सकता है कि बीते पांच सालों में नक्सलवाद का दायरा बढ़ा है। वर्ष २०१४ में जहां लोकसभा चुनाव के दौरान अतिसंवेदनशील और संवेदनशील मतदान केन्द्रों की संख्या ३८८ थी वहीं इस बार इसकी संख्या ४५९ हो गई है। राजनांदगांव को छोड़कर बाकी पांच विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे मतदान केन्द्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में दूसरे चरण में यानि १८ अप्रैल को मतदान होना है।
यहां के लिए नामांकन की प्रक्रिया इसी महीने १९ तारीख मंगलवार से शुरू होगी। पूरे संसदीय क्षेत्र में चुनाव के लिए २३२४ मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। राजनांदगांव जिले में मतदान केन्द्रों की संख्या १५२२ है। इनमें करीब एक तिहाई मतदान केन्द्र नक्सल प्रभावित की श्रेणी में रखे गए हैं। अकेले राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र ऐसा है जहां एक भी केन्द्र नक्सल प्रभावित नहीं है। बाकी पांचों क्षेत्रों में ऐसे मतदान केन्द्रों की संख्या अच्छी खासी है।
मानपुर में सबसे ज्यादा

राजनांदगांव जिले में नक्सल मामलों को लेकर अतिसंवेदनशील और संवेदनशील केन्द्रों की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां के १९५ केन्द्र इस श्रेणी में रखे गए हैं। बीते चुनाव में यहां के १३८ केन्द्र इस श्रेणी में थे। यानि इस बार ५७ नए केन्द्र ऐसी श्रेणी में आ गए हैं। दूसरे नंबर पर खुज्जी है। यहां के ११३ केन्द्र इस श्रेणी में हैं जबकि पिछली बार १०३ केन्द्र इस श्रेणी में थे। तीसरे नंबर पर डोंंगरगढ़ है। यहां के ६८ केन्द्र हैं। पिछली बार भी यहां इतने ही केन्द्र संवेदनशील थे। इसके बाद खैरागढ़ का नंबर है। यहां के ६४ केन्द्र नक्सल संवेदनशील हैं। पिछली बार यहां ४८ केन्द्र इस श्रेणी में थे। डोंगरगांव के ३९ केन्द्र इस श्रेणी में हैं। यहां पिछली बार ३१ केन्द्र इस श्रेणी में थे।
कैम्प खुले, नक्सल असर कायम

अकेले मानपुर क्षेत्र में पुलिस ने माओवाद के खिलाफ काम करने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा बेस कैम्प खोले हैं। खैरागढ़, डोंगरगढ़, खुज्जी क्षेत्र में भी कैम्प खोले गए हैं। आईटीबीपी सहित अन्य फोर्स की तैनाती की गई है लेकिन चुनाव को लेकर संवेदनशील और अतिसंवेदनशील केन्द्रों की संख्या में इजाफा होने से समझा जा सकता है कि नक्सल असर कम होने के बजाए बढ़ ही रहा है।
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