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जिले में डेढ़ लाख किसान, दस्तावेज जमा नहीं, 18 दिनों में पंजीयन मुश्किल

locationराजनंदगांवPublished: Oct 12, 2019 07:34:20 pm

Submitted by:

Govind Sahu

पटवारियों द्वारा सत्यापित दस्तावेजों के साथ कराना पड़ रहा पंजीयन, अब तक महज साढ़े नौ हजार किसानों का ही हो पाया है पंजीयन

जिले में डेढ़ लाख किसान, दस्तावेज जमा नहीं, 18 दिनों में पंजीयन मुश्किल

जिले में डेढ़ लाख किसान, दस्तावेज जमा नहीं, 18 दिनों में पंजीयन मुश्किल

राजनांदगांव. सोसाइटी में धान बेचने के लिए पंजीयन के नए नियमों ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी है। इस बार धान बेचने के लिए किसानों से पटवारी द्वारा सत्यापित बी-1, बी-2 (जमीन का डिजीटल नक्शा-खसरा) मांगा जा रहा है। इस माह के अंत किसानों को पंजीयन कराना है, लेकिन अभी तक जिले के डेढ़ लाख किसानों में से महज साढ़े नौ हजार किसानों ने ही नियम मुताबिक पंजीयन करा पाए है। अब यह महीना १८ दिन शेष है। इसमें भी तीन रविवार और दीपावली की छुट्टी भी पड़ेगी। ऐसे में इतने कम समय में सभी किसानों का पंजीयन हो पाना मुश्किल होगा।

जो किसान नए नियमों के मुताबिक पंजीयन नहीं कराएंगे, वे सोसाइटियों में समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेच पाएंगे। फसल कटाई व त्योहार की व्यस्तता में लगे किसानों की समस्या बढ़ गई है। किसान पटवारियों का चक्कर काट रहे हैं। पटवारियों के नहीं मिलने से भी उनकी परेशानी बढ़ जा रही है।

ज्ञात हो कि किसानों की जमीन का नक्शा, खसरा और रकबा को भुइंया कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन अपलोड किया गया, लेकिन डाटा को ऑनलाइन अपलोड करने में भारी लापरवाही बरती गई है। इस वजह से कई किसानों को ऑनलाइन रिकार्ड नहीं मिल रहा है। अब किसान अपना रिकार्ड दुरुस्त कराने भटक रहे हैं। ऑनलाइन रिकार्ड की कॉपी लेने के बाद उसे पटवारी से सत्यापन कराना भी अनिवार्य है।
सहकारी बैंक से मिली जानकारी अनुसार जिले में पिछले साल १ लाख ४८ हजार ९७१ किसानों ने धान बेचा है। इन किसानों को सोसाइटी में धान बेचने के लिए ई नक्शा-खसरा के साथ फिर से पंजीयन कराना पड़ रहा है। यही कारण है कि अब तक साढ़े नौ हजार किसानों ने पंजीयन कराया है।
नापजोक के लिए रुपए मांगने का आरोप
मोहड़ के एक किसान आरके साहू ने जमीन बेचने के बाद चौहद्दी व नाप के लिए रुपए मांगने का आरोप लगाया है। इस मामले की शिकायत कलक्टर से की गई है। ग्रामीण ने आरोप लगाया है कि जमीन रजिस्ट्री बी-1, नक्शा-खसरा एवं नाम चढ़वाने के लिए पटवारी के पास जाते हैं, तो ३-४ हजार रुपए की मांग करते हैं। रजिस्ट्रार द्वारा स्कैन करने के लिए प्रति कॉपी ७०-१०० रुपए तक ले लिया जाता है। इस तरह तहसील कार्यालय में खुलेआम लूट मची है, जिससे किसान परेशान हो रहे हैं।
अंतिम तिथि तक सभी किसानों का पंजीयन हो जाएगा। किसानों से दस्तावेज सभी सोसाइटियों के माध्यम से लिया जा रहा है। इसे ऑनलाइन अपलोड करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
सुनील कुमार वर्मा, सीईओ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक

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