लिमऊटोला से मलैदा तक बनाए गए पौने सात किमी सड़क में अधिकांश सड़क का निर्माण जंगल और घाट पर ही किया गया है। सड़क निर्माण के दौरान जंगलों से आने वाले बारिश के पानी के निकलने की व्यवस्था ही नहीं बनाई गई है जिसके कारण बारिश का पानी सड़कों पर आ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि ढलान पर बनी सड़क पूरी तरह धसक गई है। जिसके कारण आवाजाही ही नहीं हो पा रही है। सड़क किनारे लगे बिजली के पोल भी सड़क के धंसने से क्षतिग्रस्त हो गए है। गातापार इलाके में पिछले तीन दिनों से बारिश लगातार जारी है। जिसके कारण सड़क की स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
लिमऊटोला से मलैदा सड़क निर्माण पूर्ण होने के बाद इलाके के वनांचल ग्राम मलैदा, भावे, जुरलाखार, लक्षणा झिरिया सहित बकरकट्टा जाने का सुगम मार्ग तैयार हुआ था। आधे गांव सीधे ब्लॉक मुख्यालय मुख्य मार्ग से जुड़े हुए है। ऐसे में सड़क टूटने से आवाजाही फिलहाल बंद हो गई है। मोटर साइकिल और साइकिल ही ले देकर निकल पा रही है। मलैदा सहित भावे लक्षणा झिरिया और जुरलाखार के लोगों को गातापार जंगल आने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया दो साल पहले बनी सड़क में बारिश का पानी निकलने व्यवस्था नहीं बनाई गई है। जहां बनाई गई वह भी अस्थाई है जिसके कारण वर्षों बाद सुगम यातायात के लिए बनी सड़क दो साल में ही दम तोड़ रही है।
मलैदा इलाके में नक्सल उन्मूलन के लिए शासन ने पुलिस बल का कैंप तैनात किया है। बल की आवाजाही सहित रसद पहुंचाने की व्यवस्था भी इसी मार्ग से होती है। सड़क क्षतिग्रस्त होने के कारण फिलहाल व्यवस्था गड़बड़ा गई है। बताया गया कि सड़क टूटने के चलते कोई भी चार पहिया वाहनों की आवाजाही मलैदा तक नहीं हो पा रही है। बारिश अगर लगातार जारी रही तो लिमऊटोला और मलैदा के बीच बने इस सड़क की अस्तित्व ही नहीं बच पाएगा। बिजली पोल भी गिरने के कारण बिजली सप्लाई भी बाधित होने की आशंका बढ़ रही है।