ज्ञापन में कहा गया है कि पुलिसकर्मियों की वर्षों पुरानी लंबित मांगों पर उच्च न्यायालय बिलासपुर के संज्ञान लेने के बावजूद शासन स्तर पर किसी तरह की सकारात्मक पहल नहीं होने के चलते पुलिस विभाग के कर्मचारी अमानवीय जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं।
1. पौष्टिक आहार भत्ता: सौ रूपए के स्थान पर 3 हजार रूपए प्रतिमाह किया जाए। सौ रूपए में प्रतिमाह पौष्टिक आहार संभव नहीं है।
2. मेडिकल भत्ता: दो सौ रूपए के स्थान पर 2 हजार रूपए दिया जाए। डॉक्टर की फीस और दवाईयां महंगी हो जाने के कारण सिर्फ दो सौ रूपए में स्वयं व परिवार का इलाज करा पाना संभव नहीं है। अन्य विभागों की तरह राज्य के तृतीय वर्ग पुलिस कर्मचारियों के परिवार को मुफ्त इलाज की व्यवस्था कराई जानी चाहिए।
3. मोबाइल भत्ता: प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी को 5 सौ रूपए मोबाइल भत्ता प्रदान किया जाए।
4. वर्दी धुलाई भत्ता: 60 रूपए के स्थान पर 5 सौ रूपए वर्दी धुलाई भत्ता दिया जाए।
5. साइकिल भत्ता: साइकिल भत्ता को समाप्त कर मोटर साइकिल पेट्रोल भत्ता न्यूनतम 3 हजार रूपए प्रतिमाह दिया जाए।
6. कीट पेटी भत्ता: कीट पेटी सामग्री (मध्यप्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी बंद किया जाए), उसके एवज में कीट भत्ता प्रतिवर्ष उत्तरप्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश की तरह 10 हजार रूपए न्यूनतम पदक्रमानुसार प्रदान किया जाए।
7. राशन मनी भत्ता: राज्य के समस्त कर्मचारियों और अधिकारियों को राशन मनी अर्धसैनिक बल की तरह 3050 रूपए प्रतिमाह प्रदान किया जाए। वर्तमान में सिर्फ नक्सल प्रभावित क्षेत्र में तैनात कर्मचारियों को ही 650 रूपए मिलता है।
8. आवास भत्ता: सभी कर्मचारियां को टू बीएचके शासकीय आवास मिलना चाहिए। न मिलने की स्थिति में पदानुसार प्रचलित दर पर 6 हजार रूपए मकान किराया भत्ता प्रदान किया जाए।
9. यात्रा भत्ता: पुलिस कर्मचारियों को व्हीआईपी ड्यूटी, लाइन आर्डर, मुल्जिम पेशी, डाक ड्यूटी व अन्य शासकीय कार्य पर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए सातवें वेतनमान के अनुसार यात्रा भत्ता दिया जाए। शासकीय ड्यूटी के दौरान लॉजिंग, बोर्डिंग की सुविधा दी जाए।
10. वेतन: छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारियों के ग्रेड पे में अंतर है। कार्य के आधार पर पुलिस आरक्षकों का ग्रेड पे भी 28 सौ रूपए होना चाहिए।
11. प्रमोशन: योग्य व वरिष्ठ आरक्षकों को विभागीय पदोन्नति परीक्षा के माध्यम से उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारी पद पर पदोन्नत किया जाना चाहिए।
12. साप्ताहिक अवकाश: सिविल कर्मचारियों की तरह पुलिस कर्मचारियों को भी शासकीय अवकाश का लाभ मिलना चाहिए।
13. नक्सली भत्ता: जिस तरह मुख्यमंत्री सुरक्षा, राज्यपाल सुरक्षा में लगे जवानों को 50 प्रतिशत सुरक्षा भत्ता मिलता है, उसी तरह 50 प्रतिशत नक्सली भत्ता नक्सल क्षेत्र में तैनात आरक्षकों को मिलना चाहिए।
14. ड्यूटी: प्रत्येक पुलिस कर्मचारी का ड्यूटी समय 8 घंटे का हो और तीन पालियों में ड्यूटी होनी चाहिए। निर्धारित समय से ज्यादा कार्य लेने पर दुगुने दर पर नगदीकरण होना चाहिए।
15. सुरक्षा: आम्र्स बुलेट पु्रफ जैकेट एवं सज्जो सामान को अतिआधुनिकिकरण के साथ दिया जाना चाहिए।
16. शहादत: ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर कर्मचारियों को शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए। शहीद के परिवार को संपूर्ण व्यवस्था प्रदान किया जाना चाहिए। शहीद परिवार के आश्रित को मध्यप्रदेश की तरह एक करोड़ रूपए बीमा राशि दिया जाना चाहिए।