जांच और इसके बाद स्पष्टीकरण के बाद पाया गया था कि सुंदरा अस्पताल में कोविड मरीजों के इलाज के संबंध में अस्पताल प्रबंधन द्वारा गंभीर गड़बड़ी की गई। दस्तावेजों से छेड़छाड़ का मामला भी प्रकाश में आया। रेमडेसिवीर इंजेक्शन को लेकर भी प्रबंधन ने संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दिया। अस्पताल को जितने मरीजों को भर्ती करने की अनुमति थी उससे ज्यादा मरीज भर्ती कर रखे गए थे। शासन द्वारा तय दर से ज्यादा की वसूली का भी मामला मिला था।
सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने आदेश जारी किया था कि सुंदरा अस्पताल प्रबंधन आने वाले एक महीने तक नए मरीजों की भर्ती नहीं कर पाएगा। हालांकि जो पहले से भर्ती मरीज है उनका इलाज करने की छूट प्रबंधन को दी गई थी। अस्पताल के निलंबन की अवधि अस्पताल में भर्ती आखिरी मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद से शुरु होने के बाद से रखा गया था।
अस्पताल के खिलाफ तमाम तरह की शिकायत के बाद एसडीएम मुकेश रावटे के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने सुंदरा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल का औचक निरीक्षण किया था। प्रशासनिक टीम ने इसके बाद कलेक्टर के सामने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट में अस्पताल के दस्तावेजों की जांच के आधार पर कई गंभीर गड़बडिय़ों के जिक्र थे।
अस्पताल प्रबंधन ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन को लेकर शासन के निर्देशों की अवहेलना की थी।
हाईकोर्ट ने लाइसेंस सस्पेंड करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि अस्पताल प्रबंधन चाहे तो सस्पेंशन के खिलाफ संचालक स्वास्थ्य सेवाएं में अपील कर सकते हैं। डॉ. मिथलेश चौधरी, सीएमएचओ राजनांदगांव ने बताया कि सुंदरा अस्पताल के लाइसेंस को सस्पेंड करने के खिलाफ अस्पताल प्रबंधन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसे खारिज कर दी गई है।