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कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही करने वाले निजी अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड, कलेक्टर जांच के बाद कार्रवाई

locationराजनंदगांवPublished: May 30, 2021 11:12:46 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

हाईकोर्ट ने सुंदरा अस्पताल प्रबंधन की याचिका को खारिज करते हुए उसे इस मामले में संचालक स्वास्थ्य सेवाएं में अपील करने कहा है।

कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही करने वाले निजी अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड, कलेक्टर की जांच के बाद कार्रवाई

कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही करने वाले निजी अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड, कलेक्टर की जांच के बाद कार्रवाई

राजनांदगांव. कोरोना मरीजों (Coronavirus in Chhattisgarh) के इलाज में लापरवाही, रेमडेसिवीर इंजेक्शन में हेराफेरी और सरकार द्वारा तय दर से ज्यादा की वसूली के बाद सीएमएचओ द्वारा सुंदरा मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के लाइसेंस को रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने सुंदरा अस्पताल प्रबंधन की याचिका को खारिज करते हुए उसे इस मामले में संचालक स्वास्थ्य सेवाएं में अपील करने कहा है। नेशनल हाइवे में स्थित सुंदरा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल की शिकायत के बाद प्रशासन की टीम ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था और इसके बाद कलेक्टर राजनांदगांव ने सुंदरा अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी किया था। नोटिस के जवाब से संतुष्ट न होने के बाद सीएमएचओ राजनांदगांव ने अस्पताल का लाइसेंस एक माह के लिए सस्पेंड करने का आदेश जारी था।
जवाब नहीं था संतोषजनक
जांच और इसके बाद स्पष्टीकरण के बाद पाया गया था कि सुंदरा अस्पताल में कोविड मरीजों के इलाज के संबंध में अस्पताल प्रबंधन द्वारा गंभीर गड़बड़ी की गई। दस्तावेजों से छेड़छाड़ का मामला भी प्रकाश में आया। रेमडेसिवीर इंजेक्शन को लेकर भी प्रबंधन ने संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दिया। अस्पताल को जितने मरीजों को भर्ती करने की अनुमति थी उससे ज्यादा मरीज भर्ती कर रखे गए थे। शासन द्वारा तय दर से ज्यादा की वसूली का भी मामला मिला था।
यह हुआ था आदेश
सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने आदेश जारी किया था कि सुंदरा अस्पताल प्रबंधन आने वाले एक महीने तक नए मरीजों की भर्ती नहीं कर पाएगा। हालांकि जो पहले से भर्ती मरीज है उनका इलाज करने की छूट प्रबंधन को दी गई थी। अस्पताल के निलंबन की अवधि अस्पताल में भर्ती आखिरी मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद से शुरु होने के बाद से रखा गया था।
जानिए, क्या है पूरा मामला
अस्पताल के खिलाफ तमाम तरह की शिकायत के बाद एसडीएम मुकेश रावटे के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने सुंदरा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल का औचक निरीक्षण किया था। प्रशासनिक टीम ने इसके बाद कलेक्टर के सामने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट में अस्पताल के दस्तावेजों की जांच के आधार पर कई गंभीर गड़बडिय़ों के जिक्र थे।
अस्पताल प्रबंधन ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन को लेकर शासन के निर्देशों की अवहेलना की थी।
अस्पताल ने कंपनी से सीधे इंजेक्शन लिया और इसका कोई रिकार्ड भी संधारित कर नहीं रखा। टीम की जांच में अस्पताल ने रेमडेसिवीर का स्टाक निल बताया जबकि उनके पास इंजेक्शन मिले। इसके साथ ही यह गड़बड़ी भी मिली कि अस्पताल के पास इंजेक्शन जिस तिथि को आई, उस तिथि के पहले ही मरीज को लगाए जाने का रिकार्ड बनाकर रखा था।
सुंदरा अस्पताल ने 60 बेड के कोविड अस्पताल की अनुमति प्रशासन से ली थी लेकिन यहां 75 मरीजों को रखकर इलाज किया जा रहा था। जांच टीम के सवालों पर इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। राज्य सरकार ने कोविड मरीजों से आईसीयू, सामान्य और वेंटिलेटर बेड के लिए ली जाने वाली राशि तय किया है और इस राशि में कुछ दवाओं और भोजन का मूल्य भी शामिल किया गया है लेकिन इस अस्पताल में इससे ज्यादा राशि ली गई है।
सस्पेंशन के खिलाफ कर सकते हैं अपील
हाईकोर्ट ने लाइसेंस सस्पेंड करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि अस्पताल प्रबंधन चाहे तो सस्पेंशन के खिलाफ संचालक स्वास्थ्य सेवाएं में अपील कर सकते हैं। डॉ. मिथलेश चौधरी, सीएमएचओ राजनांदगांव ने बताया कि सुंदरा अस्पताल के लाइसेंस को सस्पेंड करने के खिलाफ अस्पताल प्रबंधन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसे खारिज कर दी गई है।
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