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फिर सुलग रही यहां लाल सलाम की चिंगारी, चार जिलों को मिलाकर नक्सलियों ने तैयार किया जीआरबी डिविजन

locationराजनंदगांवPublished: Nov 06, 2017 12:27:51 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

महाराष्ट्र की दक्षिण दिशा में सीमा पर फोर्स के बढ़ते दबाव के चलते माओवादियों ने अपने पुराने ठिकानों को मजबूत करने का काम तेज कर दिया है।

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अतुल श्रीवास्तव@राजनांदगांव. महाराष्ट्र की दक्षिण दिशा में सीमा पर फोर्स के बढ़ते दबाव के चलते माओवादियों ने अपने पुराने ठिकानों को मजबूत करने का काम तेज कर दिया है। छत्तीसगढ़ से लगे मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की उत्तर दिशा में माओवादियों ने जीआरबी के नाम से नया डिविजन तैयार किया है।
इसके अलावा बकरकट्टा में माओवादियों की पुरानी कमेटी टांडा एरिया कमेटी के अलावा एक विस्तार प्लाटून भी काम कर रही है। राजनांदगांव और बस्तर के इलाके में माओवादियों के पकड़े गए डम्प में मिले दस्तावेजों से माओवादियों के इस तरह की कवायद का खुलासा हुआ है।
राजनांदगांव जिले की दक्षिण दिशा में महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले से लगे मानपुर, मोहला, औंधी और खडग़ांव क्षेत्र में माओवादियों की कई बड़ी घटनाओं को अंजाम देने, खासकर जुलाई २००९ में एसपी सहित २९ जवानों की एंबुश लगाकर जान लेने के बाद इस इलाके में फोर्स की संख्या तेजी से बढ़ाई गई। कई बेस कैम्प खोले गए।
आइटीबीपी तैनात
जिला पुलिस बल के अलावा इंडो तिब्बत बार्डर पुलिस (आईटीबीपी) तैनात की गई। माओवादियों से गुरिल्ला लड़ाई के लिए ई-३० की टीम बनाई गई। फोर्स को इन इलाकों में कई बड़ी कामयाबी भी मिली। साल भर में करीब १० हार्डकोर माओवादी फोर्स के हाथों मारे भी गए। फोर्स की लगातार कामयाबी से घबराए माओवादियों ने अब उस इलाके में फिर से ध्यान देना शुरू कर दिया है, जहां से उन्होंने अपने कदम पीछे कर लिए थे।
डिविजन तैयार किया
उत्तर दिशा में राजनांदगांव जिले के बकरकट्टा, गातापार और मलैदा की सीमा से लगे मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले और महाराष्ट्र के गोंदिया जिले को एक साथ शामिल कर माओवादियों ने डिविजन तैयार किया है। डिविजन का नाम जीआरबी रखा गया है। इस डिविजन में कवर्धा जिले को भी शामिल किया गया है। माओवादियों के डिविजन के बनाए जाने का खुलासा उनके बरामद डम्प से हुआ है। जीआरबी डिविजन बनने की खबरें मिलने के बाद फोर्स ने भी इन इलाकों में फिर से ध्यान देना शुरू कर दिया है और फोर्स को यहां कामयाबी भी मिली हैं।
विस्तार प्लाटून बनाया
माओवादियों ने अपने नए डिविजन का केन्द्र बिंदु बकरकट्टा में रखा है। दुर्ग रेंज के आईजी दीपांशु काबरा से मिली जानकारी के अनुसार माओवादियों ने बकरकट्टा में विस्तार प्लाटून बनाया है। इस इलाके में माओवादियों का पुराना संगठन टांडा एरिया कमेटी भी काम कर रहा है। काबरा ने कहा कि इन इलाकों में फोर्स ने माओवादियों के कई डम्प बरामद किए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में इस इलाके में भी फोर्स माओवादियों का खात्मा करने में कामयाब होगी।
कैंप तैयार कर रहे
चार जिलों को मिलाकर बनाए माओवादियों के डिविजन को लेकर ऐसी सूचनाएं हैं कि जंगल के भीतर माओवादियों ने गुरिल्ला वार के लिए ट्रेनिंग कैम्प तैयार किए हुए हैं और कई हार्डकोर माओवादी इस कैम्प में अपने योद्धा तैयार करने में जुटे हैं। ऐसी सूचनाएं हैं कि माओवादियों ने कटेमा से लगे जंगलों में कैम्प तैयार किए हंै। पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जीआरबी डिविजन इंचार्ज सुरेन्दर के अलावा डिविजनल कमेटी सचिव पहाड़ सिंह, सेंट्रल कमेटी मेंबर दीपक के अलावा दामा, राकेश आदि मुख्य रूप से इस इलाके में सक्रिय हैं।
उत्तर में खुद को स्थापित कर रहे माओवादी
आईजी दुर्ग रेंज दीपांशु काबरा ने बताया कि दक्षिण में फोर्स की मजबूत स्थिति से घबराए माओवादियों ने उत्तर में खुद को स्थापित करने डिविजन और विस्तार कमेटी बनाए हैं लेकिन फोर्स अब उधर भी इनको खदेडऩे में कामयाब हो रही है। एएसपी नक्सल रेंज वायपी सिंह ने बताया कि माओवादियों से निपटने के लिए उत्तर की दिशा में फोर्स ने कई बेस कैम्प तैयार किए हैं। हमें वहां भी सफलता मिल रही है। आने वाले वक्त में हम वहां और माओवादियों को मारने में सफल होंगेे।
उत्तर में मिली थी बड़ी कामयाबी
१. २८ फरवरी २०१७ को बकरकट्टा थाना क्षेत्र के भोथली-भुजारी के बीच करेलागढ़ की ओर जंगल में मुठभेड़ के बाद भागे माओवादी।
२. १० अप्रैल २०१७ को गातापार थाना क्षेत्र के कौहाबाहरा-ढोर्राडीह के दाहिने तरफ जंगल में भुठभेड़ के बाद भागे माओवादी।
३. १५ मई २०१७ को गातापार थाना क्षेत्र के कौहाबाहरा के जंगल में कैम्प ध्वस्त कर माओवादियों का रसद बरामद।
४. २८ जून २०१७ को गंडई थाना क्षेत्र के सुकतरा जंगल की पहाड़ी में दो माओवादी सदस्य राजू और नंदे को मुठभेड़ में मारा गया। दो रायफल बरामद किया गया।
५. २४ अक्टूबर २०१७ को गातापार थाना क्षेत्र के घोड़ापाठ-भावे के जंगल में हथियार बनाने की छोटी फैक्ट्री बरामद की गई। यहां लैथवाइस मशीन, बैच वाईस मशीन, लोहार धोकनी, हेड मशीन, ड्रीलर हेड मशीन, सहित एसएलआर बट, चार्जर, आरी, गिरमीट, बर्नियर कैलीपर्स, चिमटा, बसूला, फावड़ा, एसएलआर ट्रेगर गार्ड, 3 बण्डल तिरपाल, व नक्सली साहित्य की बरामदगी हुई थी।

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