सरकार को खुद याद नहीं है कि वर्ष 2018 से लगभग 9 ब्लाकों में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल संचालित किए जा रहे है, जहां अब लगभग 500 बच्चे इस वर्ष 2021 में कक्षा नवमीं कहां पढ़ेंगे, इसकी जानकारी कोई नहीं दे रहा है। क्योंकि सरकार ने सिर्फ मिडिल स्कूल यानि कक्षा छटवीं से लेकर आठवीं तक ही अंग्रेजी माध्यम स्कूल की स्वीकृति दी है। इस वर्ष लगभग पांच सौ बच्चे कक्षा आठवीं उत्तीर्ण कर कक्षा नवमीं में प्रवेश कर चुके हैं। अब इन बच्चों को किस सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश दिलाया जाएगा, इसको लेकर जिला शिक्षा अधिकारी के पास कोई योजना नहीं है।
राजनांदगांव जिले में लगभग 25 प्राइवेट स्कूल ऐसे संचालित हो रहे हैं, जहां सिर्फ कक्षा आठवीं तक ही स्कूल संचालित हो रही है। इन स्कूलों में जिला शिक्षा अधिकारी ने लगभग 500 आरटीई के बच्चों को प्रवेश दिलाया है। अब सभी बच्चों को कक्षा नवमीं में किस अंग्रेजी माध्यम स्कूल में प्रवेश दिलाया जाएगा, इसकी जानकारी किसी भी जवाबदार अधिकारी के पास नहीं है। जिससे गरीब बच्चों के भविष्य पर सवाल उठ गया है।
आरटीई के बच्चों को कक्षा बारहवीं तक की शिक्षा पूर्ण कराने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की है। बीते वर्ष कोरोना काल में जो प्राइवेट स्कूल बंद हो गए थे, उनके स्कूलों में प्रवेशित आरटीई के बच्चों को आज तक किसी भी स्कूल में प्रवेश नहीं दिलाया गया है। वे बच्चे आज भी शिक्षा से वंचित हैं। उनका एक साल बर्बाद हो चुका है, जिसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी ही जिम्मेदार है। कई पालकों ने पुलिस थाने में जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ लिखित शिकायत भी दर्ज कराई है।
छत्तीसगढ़ पैरेंटस एसोसिएशन ने राजनांदगांव जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर इन एक हजार बच्चों को तत्काल शासकीय और प्राइवेट अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश दिलाने की मांग की है। साथ ही प्रवेश नहीं होने पर मुख्यमंत्री से शिकायत करने की बात कही है। गरीब पालकों के बच्चों की अधूरी शिक्षा से उनका भविष्य दाव पर लग गया है।