संजीवनी १०८ एम्बुलेंस, जीवन दीप समिति और हॉस्पिटल का एम्बुलेंस। इन चारों एम्बुलेंस के होते हुए भी बच्चे के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाई जब बच्चे की मौत हो गई तब एम्बुलेंस की व्यवस्था हो पाई।
हॉस्पिटल प्रबंधक के द्वारा सरकारी एम्बुलेंस की व्यवस्था नही कराई गई, जिसके चलते परिजन गाड़ी की व्यवस्था के लिए इधर, उधर भटकते रहे पर जब बच्चे की हालत और बिगडऩे लगी तब जाकर डॉक्टर के द्वारा उसे ऑक्सीजन लगाने वार्ड में ले जाया गया। उसी वक्त अचानक बिजली चली गई और ऑक्सीजन न मिल पाने से बच्चे ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। यहाँ पर सोलर सिस्टम लगा हुआ है। जनरेटर भी है फिर भी पूरा हॉस्पिटल उस दिन घंटों अँधेरे के साए में रहा। बीएमओ आरआर ध्रुवे से पूछा गया तो सोलर सिस्टम और जनरेटर में खराबी बताई गई, जिसे अभी तक सुधारा नहीं जा सका है।
मृत बालक के पिता ने बताया कि डॉक्टरों की लापरवाही के चलते दूसरी बार पुत्र खोये हैं। बताया कि दो साल पहले भी एक बच्चे को भर्ती कराए थे जिसे भी ऑक्सीजन की सख्त जरूरत थी। *****्पताल प्रबंधन उस वक्त भी ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करा पाए। बच्चे को जिला *****्पताल रेफर कर दिया गया और रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। इस बार भी ऑक्सीजन न मिल पाने से अपने बच्चे को खो दिया। कहा कि सरकार को व्यवस्था सुधारनी चाहिए।
सीएमएचओ राजनांदगांव डॉ. मिथलेश चौधरी ने बताया कि परिजन बच्चे को गंभीर अवस्था में लाए थे। इलाज किया गया है पर इसी बीच बच्चे ने दम तोड़ दिया। *****्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था है। जनरेटर को सुधार लिया गया है।