सरकारी जगह पर मकान बनाकर बेचने वाले हाऊसिंग बोर्ड को लेकर पूरा मामला तब खुला जब लोग अवैध निर्माण के नियमितिकरण के आवेदन लेकर नगरीय निकाय और नगर एवं ग्राम निवेश के दफ्तर पहुंचे। पता चला कि जिस वक्त हाऊसिंग बोर्ड ने मकानों का निर्माण किया था, उस वक्त उन्होंने सिर्फ ले-आऊट ही पास कराया था। अनुज्ञा लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई थी। ऐसे में हाऊसिंग बोर्ड से खरीदे गए मकान का पूरा निर्माण ही अवैध कहलाएगा।
राजनांदगांव के कमला कॉलेज के पास हाऊसिंग बोर्ड की कॉलोनी में मकान खरीदने वाले बीएनसी मिल के रिटायर्ड कर्मचारी ने नियमितिकरण के लिए नगर निगम में आवेदन लगाया था। मिश्रा ने हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी में एचआईजी श्रेणी का १०४ वर्गमीटर क्षेत्रफल में ७०.७४ वर्गमीटर में बना मकान खरीदा था। मकान खरीदने के कुछ साल बाद उन्होंने भू-तल के इस निर्माण के ऊपर १०४४२ वर्गमीटर का प्रथम तल का निर्माण कराया।
राज्य सरकार ने जब अनियमित निर्माणों के नियमितिकरण की प्रक्रिया शुरू की तब मिश्रा ने अपने प्रथम तल के निर्माण को नियमित करने जिला नियमितिकरण प्राधिकारी को आवेदन दिया। इस आवेदन के बाद नगर एवं ग्राम निवेश ने मिश्रा के २०८.८४ वर्गमीटर निर्माण को अनाधिकृत निर्माण बताते हुए १२५ रूपए प्रति वर्गमीटर की दर से २६ हजार १०५ रूपए जमा करने का पत्र दिया।
सर्वजनहित समिति के अध्यक्ष अशोक फडऩवीस और उनकी टीम ने पीडि़त के साथ नगर निवेश कार्यालय में जाकर नियमितीकरण के संबध में जानकारी ली। वहां पता चला कि हाऊसिंग बोर्ड ने बिना अनुज्ञा लिए निर्माण कराया है। फडऩवीस ने आरोप लगाया कि एक ओर आम लोगों को बिना भवन अनुज्ञा के मकान बनाने नहीं दिया जाता और दूसरी ओर सरकार से जुड़ी संस्था इस तरह के अवैध काम कर रही है। इसका खामियाजा भी आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। फडऩवीस ने कहा कि हाऊसिंग बोर्ड को अपने निर्माण का शुल्क जमा करना चाहिए। इसे मकान खरीदने वालों से वसूल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहाकि अनुज्ञा की राशि नगर निगम यदि लेता है तो उसके राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
संदर्भित मामले में पीडि़त ने १०४ वर्गमीटर के अपने निर्माण को नियमित करने के लिए आवेदन दिया है। फीट में यह लगभग १११९.४४ वर्गफीट होता है। अनियमित निर्माण के नियमितिकरण में प्रावधान है कि १२ सौ वर्गफीट के निर्माण को मुफ्त में नियमित किया जाएगा। अब यह निर्माण मुफ्त में नियमित होना चाहिए लेकिन हाऊसिंग बोर्ड के अनुज्ञा नहीं लेने के कारण पीडि़त को २६ हजार रूपए से ज्यादा की नोटिस दी गई है। पीडि़त आरके मिश्रा ने बताया कि मैंने पूरी प्रक्रिया कर हाऊसिंग बोर्ड से मकान खरीदा था और अपने बिना अनुमति के निर्माण के लिए नियमितिकरण समिति के पास गए जाने पर उन्हें जुर्माने की बड़ी रकम का पत्र भेजा गया है।
ईई हाउसिंग बोर्ड चंद्रशेखर बेलचंदन ने बताया कि हाऊसिंग बोर्ड सरकारी संस्था है, इसलिए भवन अनुज्ञा नहीं लिया जाता। सिर्फ ले-आऊट पास कराकर मकान निर्माण कराया जाता है। इसके बाद सारी जिम्मेदारी मकान खरीदने वालों की होती है। आयुक्त नगर निगम अश्विनी देवांगन ने बताया कि अभी जानकारी में मामला आया है। पता करना पड़ेगा कि अनुज्ञा लिया जाता है या नहीं। वैसे बिना अनुज्ञा निर्माण नहीं कराया जा सकता। नियमितिकरण के समय ऐसी दिक्कत है, तो पता करेंगे।
हाऊसिंग बोर्ड जमीन का ले-आऊट पास कराता है। इसके बाद वह इस ले-आऊट की रजिस्ट्री संबंधित ग्राहक के नाम पर कर देता है। इसके बाद वह मकान बनाकर ग्राहक के सुपुर्द कर देता है। ले-आऊट पास जमीन की रजिस्ट्री होने में कोई दिक्कत नहीं आती। यदि मकान बनाने के बाद रजिस्ट्री की स्थिति आती तो बिना अनुज्ञा के यह हो नहीं पाता। इस तरह हाऊसिंग बोर्ड मकान बनाकर बचकर निकल जाता है। नगरीय निकायों के सूत्रों के अनुसार अविभाजित मध्यप्रदेश में हाऊसिंग बोर्ड अनुज्ञा लेकर काम करता था। छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अनुज्ञा नहीं लिया जा रहा है। निगम अधिनियम कहता है कि अनुज्ञा लिए बिना किसी तरह का निर्माण किया जाना अपराध की श्रेणी में आता है।