मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रोजाना ७ से ८ सौ ओपीडी मरीज पहुंच रहे हैं। वहीं सौ के करीब गर्भवती महिलाएं जांच के लिए पहुंचती है। सोनाग्राफी जांच की बात करें तो एक दिन में औसतन ८०-९० मरीजों की जांच की जा रही है। इनमें ज्यादातर गर्भवती महिलाएं होती हैं। गर्भवती महिलाएं हर महीने जांच के लिए पहुंचती हैं।
डॉक्टर गर्भस्थ शिशु की स्थिति को जानने के लिए सोनोग्राफी जांच लिखते हैं, लेकिन सोनोग्राफी कराने पहुंचने पर गर्भवती महिलाओं को समय दे दिया जाता है। सोनोग्राफी जांच के लिए एमबीबीएस के बाद तीन साल का पीजी कोर्स करना पड़ता है। इसके लिए निजी मेडिकल कॉलेज में 5 करोड़ रुपए तक के खर्च आते हैं। रायपुर मेकाहारा में १० सीट में इसकी पढ़ाई होती है। यही कारण है कि इसके डॉक्टर आसानी से उपलब्ध नहीं होते। इसका नुकसान मरीजों को होता है।
मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण अपातकाल वाले मरीज व गर्भवतियों को पहले सुविधा दी जा रही है। नार्मल मरीजों का २५-३० दिन का समय दिया जा रहा है। ऐसे में ये लोग निजी जांच केंद्रों में जाकर इलाज करा रहे हैं। इसके लिए निजी सेंटर वाले १२ से १८ सौ रुपए ले रहे हैं। सोनोग्राफी विभाग के एचओडी डॉ. राजेश पटेल ने बताया कि अपातकालीन मरीजों को तत्काल सुविधा दे रहे हैं। सामान्य मरीजों को २५-३० दिन तक का समय दे रहे हैं। तीन सोनोग्राफी विभाग व दो गायनिक विभाग के हैं।