मान्यता है कि यह ब्रह्म कमल का पौधा सौभाग्यशाली व्यक्तियों के घरों में ही जीवित रह पाता है। इस पौधे को देवतुल्य माना गया है। जानकर बताते हंै कि इसके एक फूल की कीमत 5 हजार रुपए तक में बिकता है और यह केवल केदारनाथ की घाटियों में पाया जाता है। यदि किसी घर में इस पौधे का सही पूजा पाठ या देखरेख नहीं हो पाता है, तो मान्यता अनुसार नुकसान दायक भी साबित होता है। ऐसे में इस पौधे को बिरले ही लोग लगाने की हिम्मत कर पाते हैं।
ब्रह्म कमल एक विशेष पुष्प है, जो सभी जगहों में नहीं मिलता है। उत्तराखंड में इसे कौल पद्म नाम से जानते हैं। उत्तराखंड में ब्रह्म कमल की 24 प्रजातियां मिलती हैं। पूरे विश्व में इसकी 210 प्रजातियां पाई जाती हैं। ब्रह्म कमल के खिलने का समय जुलाई से सितंबर महीना होता है। उत्तराखंड की फूलों की घाटी में केदारनाथ में पिंडारी ग्लेशियर में यह पुष्प बहुतायत पाया जाता है। इस पुष्प का वर्णन वेदों में भी मिलता है। महाभारत के वन पर्व में इसे सौगंधिक पुष्प कहा गया है।
रिटायर्ड शिक्षक बंशी लाल जंघेल बताते हंै कि ब्रम्ह कमल के पौधे को ढूढऩे में उन्हें 14 साल लगा। एक चन्दन नाम के लड़के ने बोरसी भिलाई दुर्ग से लाकर मुझे दिया। पौधे को लगाने के बाद में 4 सालों तक पूरे मनोयोग के साथ सेवा किया हूं। उक्त पौधा लगभग 11 साल से मेरे घर में लगा हुआ है। पिछले सात साल से ये ब्रम्ह कमल पुष्प खिल रहा है। ये पुष्प केदारनाथ, बद्रीनाथ और नंदा देवी में चढ़ता है। वहां इसके 1 पुष्प को 5 हजार रुपए तक में खरीद कर भक्त अर्पित करते हैं, इसे झारखंड की राजकीय पुष्प की मान्यता मिला हुआ है।