scriptरिटायर्ड टीचर के घर आधी रात को खिला ब्रह्म कमल, दुर्लभ फूल को देखने लोगों का लगा तांता, आप भी जानिए क्यों है यह खास | Rare Brahma Kamal feeding at retired teacher's house in Rajnandgaon | Patrika News

रिटायर्ड टीचर के घर आधी रात को खिला ब्रह्म कमल, दुर्लभ फूल को देखने लोगों का लगा तांता, आप भी जानिए क्यों है यह खास

locationराजनंदगांवPublished: Aug 23, 2021 01:06:06 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

Brahma Kamal: रात्रि लगभग 1 बजे ग्राम पंचायत चकनार के एक रिटायर्ड टीचर बंशीलाल जंघेल के घर में ब्रह्म कमल के 4 आकर्षक फूल खिले हैं। ग्राम के कुछ लोग इस नजारे को देखने के लिए देर रात तक जागते रहे।

रिटायर्ड टीचर के घर आधी रात को खिला ब्रह्म कमल, दुर्लभ फूल को देखने लोगों का लगा तांता, आप भी जानिए क्यों है यह खास

रिटायर्ड टीचर के घर आधी रात को खिला ब्रह्म कमल, दुर्लभ फूल को देखने लोगों का लगा तांता, आप भी जानिए क्यों है यह खास

राजनांदगांव/गंडई पंडरिया. ब्रह्म कमल नाम सुनकर ही मन में एक अलग ही सात्विक विचार का संचार हो जाता है। रविवार रात्रि लगभग 1 बजे ग्राम पंचायत चकनार के एक रिटायर्ड टीचर बंशीलाल जंघेल के घर में ब्रह्म कमल के 4 आकर्षक फूल खिले हैं। ग्राम के कुछ लोग इस नजारे को देखने के लिए देर रात तक जागते रहे। बताया जाता है कि ब्रम्ह कमल जब पूर्ण रूप से खिलता है, उस समय वहां पर प्रार्थना किया जाए तो उसकी प्रार्थना अवश्य स्वीकार होती है और मनवांछित फल प्राप्त होता है।
ग्राम चकनार के अलावा शायद पूरे जिले में और कहीं नहीं
मान्यता है कि यह ब्रह्म कमल का पौधा सौभाग्यशाली व्यक्तियों के घरों में ही जीवित रह पाता है। इस पौधे को देवतुल्य माना गया है। जानकर बताते हंै कि इसके एक फूल की कीमत 5 हजार रुपए तक में बिकता है और यह केवल केदारनाथ की घाटियों में पाया जाता है। यदि किसी घर में इस पौधे का सही पूजा पाठ या देखरेख नहीं हो पाता है, तो मान्यता अनुसार नुकसान दायक भी साबित होता है। ऐसे में इस पौधे को बिरले ही लोग लगाने की हिम्मत कर पाते हैं।
केदारनाथ में मिलता है ब्रह्म कमल
ब्रह्म कमल एक विशेष पुष्प है, जो सभी जगहों में नहीं मिलता है। उत्तराखंड में इसे कौल पद्म नाम से जानते हैं। उत्तराखंड में ब्रह्म कमल की 24 प्रजातियां मिलती हैं। पूरे विश्व में इसकी 210 प्रजातियां पाई जाती हैं। ब्रह्म कमल के खिलने का समय जुलाई से सितंबर महीना होता है। उत्तराखंड की फूलों की घाटी में केदारनाथ में पिंडारी ग्लेशियर में यह पुष्प बहुतायत पाया जाता है। इस पुष्प का वर्णन वेदों में भी मिलता है। महाभारत के वन पर्व में इसे सौगंधिक पुष्प कहा गया है।
रिटायर्ड टीचर के घर आधी रात को खिला ब्रह्म कमल, दुर्लभ फूल को देखने लोगों का लगा तांता, आप भी जानिए क्यों है यह खास
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पुष्प को केदारनाथ स्थित भगवान शिव को अर्पित करने के बाद विशेष प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। ब्रह्म कमल के पौधों की ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर होती है। यह साल में केवल एक बार खिलता है। सफेद रंग का इसका पुष्प टहनियों में ही नहीं बल्कि पत्तियों से निकले कमल पात के पुष्पगुच्छ के रूप में खिलता है, जिस समय यह पुष्प खिलता है, उस समय वहां का वातावरण सुगंध से भर जाता है। मान्यता है कि फूल खिलते वक्त मनोकामना मांगने से वह अवश्य ही मिलता है।
क्या कहते हंै बंशी लाल
रिटायर्ड शिक्षक बंशी लाल जंघेल बताते हंै कि ब्रम्ह कमल के पौधे को ढूढऩे में उन्हें 14 साल लगा। एक चन्दन नाम के लड़के ने बोरसी भिलाई दुर्ग से लाकर मुझे दिया। पौधे को लगाने के बाद में 4 सालों तक पूरे मनोयोग के साथ सेवा किया हूं। उक्त पौधा लगभग 11 साल से मेरे घर में लगा हुआ है। पिछले सात साल से ये ब्रम्ह कमल पुष्प खिल रहा है। ये पुष्प केदारनाथ, बद्रीनाथ और नंदा देवी में चढ़ता है। वहां इसके 1 पुष्प को 5 हजार रुपए तक में खरीद कर भक्त अर्पित करते हैं, इसे झारखंड की राजकीय पुष्प की मान्यता मिला हुआ है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो