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राशन दुकानों में सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं, बरती जा रही लापरवाही

locationराजनंदगांवPublished: Mar 31, 2020 08:40:36 pm

Submitted by:

Govind Sahu

कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के बीच ३१ मार्च को शासकीय उचित मूल्य की दुकान खुलते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां लोगों के बीच सोशल डिस्टेंस के लिए बनाए नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आए।

राशन दुकानों में सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं, बरती जा रही लापरवाही

राशन दुकानों में सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं, बरती जा रही लापरवाही

राजनांदगांव. कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के बीच ३१ मार्च को शासकीय उचित मूल्य की दुकान खुलते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां लोगों के बीच सोशल डिस्टेंस के लिए बनाए नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आए। लोगों के बीच डिस्टेंस के लिए मार्किंग की गई थी, लेकिन इसका पालन होते नहीं दिखा। इस तरह लापरवाही कहीं लोगों को भारी न पड़ जाए।
ज्ञात हो कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की स्थिति में सरकार ने शासकीय राशन दुकानों से लोगों को दो महीने का चावल, शक्कर व केरोसीन एकमुश्त देने की घोषणा की गई है।
इसके अलावा प्रत्येक गरीब परिवार को 5 किलो गेहूं, एक किलो दाल व मसाले आदि देने की भी घोषणा की गई है। इस वजह से भी लोग राशन दुकान खुलते ही टूट पड़े। इस बीच ये लोग कोरोना के संक्रमण को रोकने बनाए नियमों को ताक पर रख दिए। हालांकि कुछ गांवों से मिली जानकारी अनुसार लोगों को चावल फ्री दिया गया है और शक्कर व केरोसीन का पैसा लिया गया है। वहीं गेहूं व मशाले आदि नहीं मिला है।

नहीं करा पा रहे नियमों का पालन
राशन दुकान संचालक व पंचायत कोरोना संक्रमण को रोकने शासन-प्रशासन द्वारा तय नियमों का पालन नहीं करा पा रहे हैं। सोशल डिस्टेंस के अलावा दुकानों में हाथ धुलाई और लोगों को मास्क लगाकर आने का निर्देश था, लेकिन इन नियमों का भी पालन नहीं हो पा रहा है। इसमें पंचायत के सरपंच-सचिव व गांव के लोगों सहयोग जरूरी है, नहीं तो प्रशासनिक कार्रवाई हो सकती है।

गांवों में पुलिस की सख्ती हुए कम
वर्तमान में देखा जा रहा है कि कोरोना का संक्रमण राजनांदगांव जिले में कंट्रोल होता दिख रहा है। एक भरकापारा के केस के बाद अब तक कोई पॉजीटिव मरीज नहीं मिला है। शासन-प्रशासन की सख्ती की वजह से सोशल डिस्टेंस का पालन हुआ है, लेकिन पिछले दो दिनों से पुलिस की सख्ती कम हुई है। गांवों पहले पुलिस लगातार दबिश दे रही थी। अब फेरे कम लग रहे हैं। इससे गांवों में लोग थोड़ी लापरवाही बरतते भी देखे जा रहे हैं।

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