दीपक स्वयं बीमार हो गए थे और उनके चलने, बोलने की शक्ति क्षीण हो गई थी लेकिन मंच से उनका जुडा़व जीवन के अंतिम समय तक रहा। वे अपनी पत्नी और बेटी के साथ मंच पर मौजूद रहते थे। खुद लंबे समय से लकवाग्रस्त होने के बाद बिस्तर पर आ गए दीपक का फिर भी कला के प्रति जज्बा बना हुआ था लेकिन ? कुछ समय पहले उनके जवान बेटे सूरज की आकस्मिक मृत्यु होने के बाद वे टूट से गए थे। सूरज भी मंच का बेजोड़ कलाकार था।
दीपक विराट देश के प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर के नाटकों के दबंग किरदार निभाते थे। मशहूर नाटक चरणदास चोर में चोर का जीवंत किरदार निभाकर दीपक ने नाट्य कला के क्षेत्र में विश्व में अपनी अलग पहचान बना ली थी।
दीपक विराट की पत्नी लोक कलाकार पूनम तिवारी बताती हैं कि करीब 27-28 साल पहले दीपक जनसंपर्क विभाग में नौकरी करते थे और साथ ही हबीब तनवीर के साथ थियेटर भी करते थे। थियेटर नहीं छोड़ा तो इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। राजनांदगांव में निवासरत मूलत: बिलासपुर के रहने वाले दीपक विराट तिवारी ने राजनांदगांव को अपना कर्म क्षेत्र बनाया था। साल 1980-90 के दशक में हबीब तनवीर के गु्रप नया थियेटर का हिस्सा बने। उन्होंने चरणदास चोर, लाला शोहरत राय, मिट्टी की गाड़ी, आगरा बाजार, कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना, देख रहे हैं नैन, लाहौर नहीं देखा और हिरमा की अमर कहानी जैसे नाटक में अपनी अलग छाप छोड़ी।
पिछले 12 सालों से वे जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे थे और शुक्रवार को उन्होंने अपनी आखरी सांसे ली।
लोक कलाकार दीपक विराट को वर्ष 2019 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से नवाजा गया था। यह पहला मौका था जब दुर्ग संभाग के किसी कलाकार को इतना बड़ा अवार्ड मिला था। दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विराट को 2019 का संगीत नाटक अकादमी का पुरस्कार दिया था। पुरस्कार लेने व्हीलचेयर पर पहुंचे दीपक को राष्ट्रपति ने खुद मंच से नीचे आकर सम्मानित किया था।