दफ्तर में नहीं मिलते पटवारी
कम समय में पंजीयन कराना किसानों के लिए चुनौती हो गई है। ऐसा इसलिए हो रहा है, कि क्षेत्र के पटवारी अपने दफ्तर से गायब है, उनका कोई अता पता नही है। ये हाल है ठेलकाडीह के आसपास के हल्कों का है, जहां किसान परेशानी से जूझ रहे है। शुक्रवार को मरकामटोला और महरूमकला के ग्रामीण पटवारी के मुख्यालय ठेलकाडीह में पहुंचे थे। वे सप्ताह भर से पटवारी के मुख्यालय पहुंच रहे है, लेकिन पटवारी नही आ रहे है। ऐसे में पंजीयन फार्म में पटवारी का हस्ताक्षर नहीं हो पा रहा है। जबकि पंजीयन फार्म में पटवारी का हस्ताक्षर अनिवार्य किया गया है। इधर जानकारी मिली है कि विचारपुर सोसायटी में किसान जैसे-तैसे पंजीयन फार्म लेकर पहुंच तो रहे है, लेकिन सोसायटी के समिति प्रबधक किसानों को नहीं मिल रहे है। विचारपुर सोसायटी में शुक्रवार को प्रबधंक नही मिले। जिसके चलते किसान परेशानियों से दो चार हो रहे है।
कम समय में पंजीयन कराना किसानों के लिए चुनौती हो गई है। ऐसा इसलिए हो रहा है, कि क्षेत्र के पटवारी अपने दफ्तर से गायब है, उनका कोई अता पता नही है। ये हाल है ठेलकाडीह के आसपास के हल्कों का है, जहां किसान परेशानी से जूझ रहे है। शुक्रवार को मरकामटोला और महरूमकला के ग्रामीण पटवारी के मुख्यालय ठेलकाडीह में पहुंचे थे। वे सप्ताह भर से पटवारी के मुख्यालय पहुंच रहे है, लेकिन पटवारी नही आ रहे है। ऐसे में पंजीयन फार्म में पटवारी का हस्ताक्षर नहीं हो पा रहा है। जबकि पंजीयन फार्म में पटवारी का हस्ताक्षर अनिवार्य किया गया है। इधर जानकारी मिली है कि विचारपुर सोसायटी में किसान जैसे-तैसे पंजीयन फार्म लेकर पहुंच तो रहे है, लेकिन सोसायटी के समिति प्रबधक किसानों को नहीं मिल रहे है। विचारपुर सोसायटी में शुक्रवार को प्रबधंक नही मिले। जिसके चलते किसान परेशानियों से दो चार हो रहे है।
प्ंाजीयन फार्म को पटवारी करेगें सत्यापन
किसी तरह किसानों ने पंजीयन कराने के लिए आवेदन पत्र भर भी लिया है तो उन्हें सत्यापन कराने के लिए पटवारी के चक्कर लगाना पड़ रहा है। आज भी ठेलकाडीह के आसपास के हल्कों के पटवारी वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों के मैनुअल के तौर पर काम करते दिखते है। समय पर दफ्तर पर नही मिलना, यदि मिल भी जाएं तो छोटे से काम के लिए महीनों का चक्कर काटना इनके अलावा किसान कई परेशानियों से जूझते है। किसान बार-बार मुख्यालय के चक्कर काटने के बाद यदि पटवारी मिल जाए तो भाग्य समझिए। बहरहाल ठेलकाडीह सहित मरकामटोला, महरूमकला व अन्य गांवों के किसान इन दिनों पंजीयन फार्म लेकर पटवारी के चक्कर काट रहे है।
किसी तरह किसानों ने पंजीयन कराने के लिए आवेदन पत्र भर भी लिया है तो उन्हें सत्यापन कराने के लिए पटवारी के चक्कर लगाना पड़ रहा है। आज भी ठेलकाडीह के आसपास के हल्कों के पटवारी वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों के मैनुअल के तौर पर काम करते दिखते है। समय पर दफ्तर पर नही मिलना, यदि मिल भी जाएं तो छोटे से काम के लिए महीनों का चक्कर काटना इनके अलावा किसान कई परेशानियों से जूझते है। किसान बार-बार मुख्यालय के चक्कर काटने के बाद यदि पटवारी मिल जाए तो भाग्य समझिए। बहरहाल ठेलकाडीह सहित मरकामटोला, महरूमकला व अन्य गांवों के किसान इन दिनों पंजीयन फार्म लेकर पटवारी के चक्कर काट रहे है।
फोन रिसीव नहीं करते पटवारी
शुक्रवार को दर्जनभर ग्रामीण ठेलकाडीह पहुंचे थे। वहां मरकामटोला व महरूमकला के अलावा अन्य गांव किसान पहुंचे थे। लेकिन पटवारी नदारत मिले। उन्होंने पटवारी के मोबाइल नंबर पर भी संपर्क किया। फोन की घंटी बज रही थी। लेकिन पटवारी ने फोन रिसीव नहीं किया। ऐसे में पटवारी की मनमानी सामने आ रही है, उनकी लापरवाही के चलते किसान अपने कामकाज छोड़कर पंजीयन कराने दफ्तर के चक्कर काट रहे है।
शुक्रवार को दर्जनभर ग्रामीण ठेलकाडीह पहुंचे थे। वहां मरकामटोला व महरूमकला के अलावा अन्य गांव किसान पहुंचे थे। लेकिन पटवारी नदारत मिले। उन्होंने पटवारी के मोबाइल नंबर पर भी संपर्क किया। फोन की घंटी बज रही थी। लेकिन पटवारी ने फोन रिसीव नहीं किया। ऐसे में पटवारी की मनमानी सामने आ रही है, उनकी लापरवाही के चलते किसान अपने कामकाज छोड़कर पंजीयन कराने दफ्तर के चक्कर काट रहे है।