डॉ. शंकर मुनि राय ने श्लोक पठन किया। दो दिवसीय संगोष्ठी भारत की संत परंपरा का दार्शनिक दृष्टिकोण विषय पर भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली तथा दर्शन परिषद् मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के संरक्षण में आयोजित की गई है। मंच पर परिषद् के सचिव प्रो. जेपी सारवे तथा स्वरुपानंद महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला उपस्थित थीं। प्रारंभ में पौध भेट कर अतिथियों का स्वागत किया गया। प्राचार्य डॉ. बीएन मेश्राम ने कहा कि महान आत्माओं और संतों ने भारत को विश्व विभूति बनाया है। उन संतों ने जो ज्ञान दिया है उसका प्रसार करना सबकी जिम्मेदारी है।
परिषद से जुडऩे की अपील की आधार वक्ताव्य डॉ. छाया राय ने दिया और कहा संतों ने सरल शब्दों को मानवता तक पहुंचाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षण संस्थाओं की चार-दिवारी के बाहर दर्शनशास्त्र के ज्ञान को पहुंचाना जरुरी है। दर्शन परिषद के अध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने परिषद की गतिविधियों की जानकारी देते हुए सभी विषयों एवं अन्य क्षेत्रों के लोगों से परिषद से जुडऩे की अपील की।
अतिथियों का सम्मान किया गया समारोह में विद्यार्थियों को दार्शनिक प्रतिभा सम्मान प्रदान किया गया, इनमें संतराम वर्मा, अगेश्वर वर्मा एवं कु. गरिमा साहू शामिल थे। निबंध प्रतियोगिता के लिए नाजनीन बेग, विनय तिवारी और वर्षा चौरसिया को पुरस्कृत किया गया। समारोह के अंत में अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने आभार ज्ञापन किया। उद्घाटन सत्र के बाद दो तकनीकी सत्रों ने दर्जन भर प्रतिभागियों ने शोध पत्र वाचन किया। विद्वानों ने वक्तव्य देते हुए मार्गदर्शन किया।