राजनंदगांव

राज्य शासन द्वारा एक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश कर्मचारियों को उनके अच्छे कार्य करने की मिली सजा …

आदेश कर्मचारी विरोधी और उनके हितों के विरुद्ध

राजनंदगांवJun 01, 2020 / 09:14 am

Nitin Dongre

राज्य शासन द्वारा एक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश कर्मचारियों को उनके अच्छे कार्य करने की मिली सजा …

खैरागढ़. प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोकनें के तुगलगी निर्णय को छग व्याख्याता संघ ने विरोध करते इसे तुगलगी फरमान बताया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार एक ओर सरकारी कर्मचारियों से तन मन धन से राष्ट्रीय आपदाओं, आम चुनाव, जनगणना एवं अन्य राष्ट्रीय कार्यों में सहयोग की अपेक्षा रखती है तो वही दूसरी ओर वही सरकार कर्मचारियों को हतोउत्साहित करते हुए उनके हितों के विरुद्ध निर्णय लेती है जो कि उचित नही है इससे लोककल्याणकारी सरकार होने का दम वाली सरकार की वास्तविकता का उजागर होता है।
जब राज्य समस्त कर्मचारी गण कोरोना जैसे वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए सरकारी प्रयास में तन मन धन से गली मोहल्ले से लेकर क्वारेंटाइन सेंटर, रेलवे स्टेशन में मजदूरों का स्वागत सत्कार चिकित्सालयों में सरकारी डॉक्टर नर्स अपने छोटे-छोटे बाल बच्चों को छोड़कर काम कर रही है तथा कर्मचारी अपनी स्वेच्छा से एक दिवस का वेतन दे रही है। ऐसी स्थिति में आर्थिक संकट का बहाना कर कर्मचारियों के वेतन वृद्धि का आदेश तुगलकी फरमान है तथा एक अच्छी सरकार की लोकप्रियता में कमी लाती है।
कर्मचारियों को एक हजार से 6 हजार रू. प्रतिमाह नुकसान होगा

यदि राज्य सरकार वेतन वृद्धि को रोकती है तो 1 से लेकर आखिरी लेवल तक के अधिकारियों कर्मचारियों को एक हजार से ६ हजार रू. प्रतिमाह नुकसान होगा। छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ ने राज्य सरकार की वेतन वृद्धि रोकने के आदेश का विरोध करते मुख्यमंत्री से अपील करते कर्मचारी हितैषी छवि को बनाए रखने के लिए इस तुगलकी आदेश वापस लेने की मांग की है ताकि कर्मचारी राष्ट्रीय आपदा की चुनौती पूर्ण कार्य को तन मन धन से उत्साहपूर्ण करें और सरकार के कदम से कदम मिलाकर काम कर सके।

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