मुख्यमंत्री ने किसानों से पूछा कि क्या वे बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन के लिए तैयार हैं। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कि इस बार हमने हार्टिकल्चर कॉलेज के वैज्ञानिकों के देखरेख में स्ट्राबेरी लगाए हैं। इसका बाजार भाव काफी अच्छा है हम अगले सीजन में बड़े क्षेत्र में इसे लगाएंगे। प्रतिनिधिमंडल में 65 सदस्य शामिल थे।
इन्होंने जेम और जेली भी सीएम को दिखाए। उन्होंने कहा कि जेम और जेली की खरीदी धमतरी के व्यापारी करते हैं। उल्लेखनीय है कि हार्टिकल्चर द्वारा स्ट्राबेरी जैसी फसल उगाने के साथ ही खाद्य प्रसंस्करण पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री को प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने जानकारी देते हुए बताया कि कलक्टर भीम सिंह ने जेम एवं जेली के विक्रय के लिए दुकान उपलब्ध कराने निर्देश दिए हैं। साथ ही उत्पादों की मार्केटिंग के लिए भी सहयोग की बात की है।
मुख्यमंत्री को प्रतिनिधिमंडल ने मशरूम उत्पादन के संबंध में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मशरूम की बिक्री से कमाई भी होती है और घर में भी इसका उपयोग हो जाता है। प्रोटीन का अच्छा स्रोत होने की वजह से मशरूम कुपोषण से लडऩे में भी सहायक होता है। प्रतिनिधिमंडल में महाविद्यालय के डीन डॉ. आरएन गांगुली, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शिशिर प्रकाश शर्मा, डॉ. अभय बिसेन, संतोष साहू, कोमल सिंह राजपूत शामिल थे।
विम्बलडन का मशहूर डेजर्ट है स्ट्राबेरी से बनने वाली क्रीम
लंदन में विम्बलडन मैचों के बाद होने वाली पार्टियों में सबसे मशहूर व्यंजन स्ट्राबेरी क्रीम होती है और ब्रिटिश कल्चर में परंपरा की तरह शामिल है। स्वीडन में मिडसमर डे के अवसर पर स्ट्राबेरी खाई जाती है। फ्रेंच और ब्रिटिश राजाओं ने इसकी खेती को बढ़ावा दिया, यद्यपि रोमन साहित्य में भी बार-बार इसका जिक्र आता है। छत्तीसगढ़ में भी इसका बाजार तेजी से बढ़ रहा है।
लंदन में विम्बलडन मैचों के बाद होने वाली पार्टियों में सबसे मशहूर व्यंजन स्ट्राबेरी क्रीम होती है और ब्रिटिश कल्चर में परंपरा की तरह शामिल है। स्वीडन में मिडसमर डे के अवसर पर स्ट्राबेरी खाई जाती है। फ्रेंच और ब्रिटिश राजाओं ने इसकी खेती को बढ़ावा दिया, यद्यपि रोमन साहित्य में भी बार-बार इसका जिक्र आता है। छत्तीसगढ़ में भी इसका बाजार तेजी से बढ़ रहा है।
होती हैं १४ किस्में
स्ट्राबेरी की 14 किस्में हैं जो उद्यानिकी महाविद्यालय ने महाबलेश्वर, महाराष्ट्र से मंगवाई थीं। इसमें दो किस्मे नावेला और कैमारोसा राजनांदगांव के क्लाइमेट और मिट्टी के दृष्टिकोण से सफल रही हैं। उल्लेखनीय है कि पिछली बार बजट सत्र के दौरान भी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राजनांदगांव जिले की स्ट्राबेरी देखी थी और इसका जिक्र मासिक रेडियो वार्ता ‘रमन के गोठÓ में किया था।
स्ट्राबेरी की 14 किस्में हैं जो उद्यानिकी महाविद्यालय ने महाबलेश्वर, महाराष्ट्र से मंगवाई थीं। इसमें दो किस्मे नावेला और कैमारोसा राजनांदगांव के क्लाइमेट और मिट्टी के दृष्टिकोण से सफल रही हैं। उल्लेखनीय है कि पिछली बार बजट सत्र के दौरान भी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राजनांदगांव जिले की स्ट्राबेरी देखी थी और इसका जिक्र मासिक रेडियो वार्ता ‘रमन के गोठÓ में किया था।