शहर सहित आसपास के इलाको मे भवन सहित अन्य निर्माण के लिए राजनांदगांव, धमतरी, चारामा जैसी जगहो से ही अधिकतम रेत की सप्लाई होती है। सरकार द्वारा रायल्टी के चक्कर मे सभी रेत खदानें पूरी तरह बंद कर दी गई है। आसपास के इन रेत खदानों के अचानक बंद किए जाने का सीधा असर अब निर्माण कार्यो पर दिख रहा है आधे से अधिक निर्माण कार्य पर पूरी तरह ब्रेक लग गया है निजी निर्माण कार्य भी काफी ज्यादा प्रभावित हो रहे है ऐसे मे दो माह आगे भी इसका समाधान निकलने का कोई ठिकाना नही दिख रहा है जिसके कारण निर्माण कार्यो पर पूरी तरह रोक लग गई । सीमित जगहो से रेत नही मिलने के कारण रेत के दामो मे डेढ़ गुना वृद्धि हो गई है।
राजनांदगांव, धमतरी, चारामा दुर्ग, की रेत खदानो से पूरानी दर से रेत नही मिल पा रही है। बताया गया कि खैरागढ़ सहित आसपास के इलाको मे निर्माण कार्य के लिए मंगाई जा रही रेत की दरो मे डेढ़ गुना वृद्धि हो गई है । 12 हजार रू तक मिलने वाली एक हाइवा रेत की कीमत अब बाजार मे 17 से 18 हजार तक हो गई है । इसमे भी नगद भुगतान के दौरान ही रेत का परिवहन किया जा रहा है जिसके कारण इलाके मे चल रहे सरकारी कामो सहित निजी निर्माण कार्य बड़ी संख्या मे प्रभावित हो रहे है।
लोक निर्माण विभाग, जनपद पंचायत, नगरपालिका सहित आरईएस और अन्य विभागों के भवन सहित अन्य निर्माण कार्यो मे रेत की कमी का सीधा असर पड़ रहा है सरकारी कार्यो मे रेत नही मिलने के कारण अधिकांश ठेकेदार निर्माण कार्यो से हाथ खींच चुके है। तय कीमत से ज्यादा रेट के कारण ठेकेदार भी मंहगी रेत लेने के चक्कर मे नही है इसके कारण सरकारी निर्माण भी प्रभावित हो रहे है। यही हाल निजी निर्माण कार्यो का भी है समय पर और मंहगी रेत के कारण अधिकांश निर्माण कार्यो पर पूरी तरह ब्रेक लग गया है डेढ़ गुनी कीमत मे आने वाली रेत को लेने वाले मजबूरी मे निर्माण जारी रखने रेत खरीद रहे है।
अध्यक्ष ठेकेदार संघ खैरागढ़, प्रकाश सिंह ने कहा कि रेत की दर बढऩे का सीधा असर निर्माण कार्यो पर पड़ रहा है मंहगी रेत मे भी निर्माण कार्य जारी रखना चुनौती है जल्द ही इसका हल नही निकला तो परेशानी बढ़ जाएगी