शिकायत वापसी के बाद क्या भ्रष्टाचार की जांच बंद हो जाता है?
अब मामला यह उठता है कि क्या एक बार भ्रष्टाचार की शिकायत हो जाने के बाद यदि प्रार्थियों के द्वारा शिकायत वापस लिए जाने का आवेदन दिया जाता है तो ऐसी परिस्थिति में क्या प्रशासन भ्रष्टाचार की जांच करना बंद कर देता है? दोषियों को निर्दोष मान लिया जाता है ? मारपीट की घटना जो पुलिस के सज्ञान तक पहुंची थी उसे शिथिल मान लिया जाता है ? क्या दोषियों को यह अधिकार है कि वे स्वयं के द्वारा उच्च कार्यालयों को शिकायत के साथ प्रस्तुत प्रमाणित दस्तावेजों को खारिज किए जाने का आवेदन दे और प्रशासन प्रकरण बिना जांच व कार्यवाही के नस्ती कर दिया जाए? ऐसे कई सवाल है जो ग्राम पंचायत कालेगोंदी में हुए घटनाक्रम के साथ जुड़े है। साथ ही इस बात का भी पटाक्षेप होना बाकी है कि ऐसी क्या बात हुई कि शिकायतकर्ताओं ने शिकायत वापस ले ली? मामले में आसपास के पंचायतों के लोगों एवं विश्वस्त सूत्रों के द्वारा दबे जुबान से यह भी कहा जा रहा है कि मामले में शिकायतकर्ताओं में से कुछ लोगों को अन्य शिकायत कर्ताओ को नियंत्रण में रखने एवं शिकायत वापसी के लिए लंबा आर्थिक खेल खेला गया है। जिसके चलते शिकायत वापस लिए जाने की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने में सफलता प्राप्त हो सकी है। जबकि प्रकरण में आज भी कुछ सवाल बाकी है।
अब मामला यह उठता है कि क्या एक बार भ्रष्टाचार की शिकायत हो जाने के बाद यदि प्रार्थियों के द्वारा शिकायत वापस लिए जाने का आवेदन दिया जाता है तो ऐसी परिस्थिति में क्या प्रशासन भ्रष्टाचार की जांच करना बंद कर देता है? दोषियों को निर्दोष मान लिया जाता है ? मारपीट की घटना जो पुलिस के सज्ञान तक पहुंची थी उसे शिथिल मान लिया जाता है ? क्या दोषियों को यह अधिकार है कि वे स्वयं के द्वारा उच्च कार्यालयों को शिकायत के साथ प्रस्तुत प्रमाणित दस्तावेजों को खारिज किए जाने का आवेदन दे और प्रशासन प्रकरण बिना जांच व कार्यवाही के नस्ती कर दिया जाए? ऐसे कई सवाल है जो ग्राम पंचायत कालेगोंदी में हुए घटनाक्रम के साथ जुड़े है। साथ ही इस बात का भी पटाक्षेप होना बाकी है कि ऐसी क्या बात हुई कि शिकायतकर्ताओं ने शिकायत वापस ले ली? मामले में आसपास के पंचायतों के लोगों एवं विश्वस्त सूत्रों के द्वारा दबे जुबान से यह भी कहा जा रहा है कि मामले में शिकायतकर्ताओं में से कुछ लोगों को अन्य शिकायत कर्ताओ को नियंत्रण में रखने एवं शिकायत वापसी के लिए लंबा आर्थिक खेल खेला गया है। जिसके चलते शिकायत वापस लिए जाने की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने में सफलता प्राप्त हो सकी है। जबकि प्रकरण में आज भी कुछ सवाल बाकी है।
क्या शिकायत वापसी पर जांच प्रक्रिया बंद कर प्रकरण नस्ती की जा सकती है?
यहां एक बड़ा सवाल है कि क्या एक बार शिकायतकर्ताओ की शिकायत पर विभाग की ओर से जांच दल स्थापित कर दिया जाता है और प्रक्रिया जांच के दायरे मे आ जाती है। तो एैसी परिस्थिति मे शिकायत कर्ताओ द्वारा अपनी शिकायत वापस लिए जाने के आवेदन देनें पर जांच प्रक्रिया को वहीं रोककर प्रकरण नस्ती के लिए भेज दिया जाता है ? अथवा जांच अधिकारी द्वारा जांच पूरी कर अपना रिपोर्ट सौपा जाता है?
यहां एक बड़ा सवाल है कि क्या एक बार शिकायतकर्ताओ की शिकायत पर विभाग की ओर से जांच दल स्थापित कर दिया जाता है और प्रक्रिया जांच के दायरे मे आ जाती है। तो एैसी परिस्थिति मे शिकायत कर्ताओ द्वारा अपनी शिकायत वापस लिए जाने के आवेदन देनें पर जांच प्रक्रिया को वहीं रोककर प्रकरण नस्ती के लिए भेज दिया जाता है ? अथवा जांच अधिकारी द्वारा जांच पूरी कर अपना रिपोर्ट सौपा जाता है?
क्या शिकायतकर्ताओं ंद्वारा फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किया गया था
ग्राम पंचायत कालेगोंदी के आसपास के ग्राम पंचायत के निवासियों सहित इधर प्रशासनिक महकमें से जुड़े लोगों की ओर से दबेजुबान यह बात कही जा रही है कि या तो शिकायतकर्ताओ ने भ्रष्टाचारियो से सांठगांठ कर लिया है या फिर उनके द्वारा प्रशासन को धोखे में रखकर गलत दस्तावेज प्रस्तुत किया गया था। जब प्रशासन की ओर से कार्यवाही करते हुए जांच कमेटी बैठाई गई तब पकड़े जाने के डर से शिकायत वापसी का आवेदन देकर मामले से बचने का प्रयास किया जा सकता है फिलहाल मामला अभी भी प्रशासनिक जांच के अधीन है।
ग्राम पंचायत कालेगोंदी के आसपास के ग्राम पंचायत के निवासियों सहित इधर प्रशासनिक महकमें से जुड़े लोगों की ओर से दबेजुबान यह बात कही जा रही है कि या तो शिकायतकर्ताओ ने भ्रष्टाचारियो से सांठगांठ कर लिया है या फिर उनके द्वारा प्रशासन को धोखे में रखकर गलत दस्तावेज प्रस्तुत किया गया था। जब प्रशासन की ओर से कार्यवाही करते हुए जांच कमेटी बैठाई गई तब पकड़े जाने के डर से शिकायत वापसी का आवेदन देकर मामले से बचने का प्रयास किया जा सकता है फिलहाल मामला अभी भी प्रशासनिक जांच के अधीन है।