ज्ञात हो कि ग्राम कट्टेपार प्राथमिक स्कूल में २२ बच्चे अध्ययनरत हैं। इनमें से १९ बच्चों को शुक्रवार शाम को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तीन बच्चे अनपुस्थित थे। बताया गया कि ये बच्चे पिछले एक सप्ताह से अचानक ही कहीं भी बेहोश हो जाते हैं। तीन-चार मिनट बाद इन्हें होश आता है। ग्रामीण इसे स्कूल में बुरे साये का प्रकोप मान रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि गांव के देवी-देवता रूठे हुए हैं। इस वजह से बच्चों को परेशान किया जा रहा है।
वार्ड में लगाया गया टीवी मनोरोग विशेषज्ञ डाक्टरों की माने तो बच्चों के मन में डर बैठ गया है। इस वजह से ये बार-बार बेहोश हो जाते हैं। यह कोई बीमारी नहीं है। बच्चों के ध्यान से इस डर को भगाने के लिए वार्ड में टीवी लगावाया गया है। इसमें उन्हें मनोरंजनात्मक कार्यक्रम दिखाया जाएगा। इसके बाद बच्चों का बेहोश होना बंद हो जाएगा। शुक्रवार शाम को अस्पताल पहुंचे बच्चों के ध्यान को बंटाने के लिए शनिवार को डाक्टर उनसे लगातार बात कर रहे थे, उनसे कविता, चुटकुले और कहानी आदि बुलवाया जा रहा था।
अफसरों की भी नींद उड़ी एक साथ इतने सारे बच्चों के इस तरह से परेशानी से पीडि़त होने की शिकायत से स्वास्थ्य व स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों की भी नींद उड़ी हुई है। अस्पताल में इन बच्चों को रखने के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। यहां साइकोलॉजी व बच्चों के डाक्टर लगातार बच्चों के जांच और इलाज में लगे हुए हैं।
समस्या दूर हो जाएगी मनोचिकित्सक डॉ. शरद मनोरे ने बताया है कि बच्चों को हिस्टीरिया की शिकायत है। वे एक भ्रम में पड़कर एक दूसरे को फालो करने का काम कर रहे हैं। उनका ध्यान इस ओर से हटाने का प्रयास हो रहा है। ऐसा करने से उनकी समस्या दूर हो जाएगी।