अस्पताल का निजी वार्ड क्रमांक १३ में सालों से ताला लटक रहा है। इस एसीयुक्त वार्ड का एक दिन का किराया एक हजार रुपए है। ऐसे में महीने भर यदि मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है, तो इससे ३० हजार रुपए की आवक होगी। सलाना तीन लाख रुपए से अधिक की आय होगी। इस तरह तीन-चार साल में शासन को लाखों रुपए का चूना लगाया जा चुका है।
नियमों का पालन नहीं किया जा रहा प्रबंधन की माने तो उक्त वार्ड को अपातकाल आने वाले डाक्टर या परीवेक्षक के लिए रखा गया है, लेकिन कब कौन-कौन डाक्टर या अधिकारी यहां रूके हैं। इसका जवाब नहीं दिया जा रहा है। इस तरह सूचना का अधिकार अधिनियम का भी प्रबंधन द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है।
स्टोर रूम की जा रही शिफ्टिंग अस्पताल में ड्रेनेज की समस्या अब तक नहीं सुधर पाई है और हल्की बारिश में ही परिसर में जल जमाव हो रहा है। पिछले दिनों हुई बारिश से दवाई स्टोर रूप में पानी भर गया था। इस वजह से प्रबंधन ने स्टोर रूम को प्रसूति वार्ड में शिफ्ट करने का निर्णय लिया है। दवाइयों को अब इस वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है।
शिफ्ट कराया जा रहा है मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक ने कहा कि प्राइवेट वार्ड को रात में ड्यूटी करने वाले डाक्टर या बाहर से आने वाले परीवेक्षक आदि के लिए आरक्षित रखा गया है। एक कमरा आरक्षित नहीं रखेंगे, तो परेशानी हो जाएगी। इस वजह से वहां ताला लगा हुआ है। पानी घुसने के कारण दिक्कत आती है। इस वजह से दवाई के स्टोर को प्रसूति वार्ड में शिफ्ट कराया जा रहा है।