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बैंक प्रबंधन की गलती की सजा भुगत रहे शहीद के बूढ़े माता-पिता …

locationराजनंदगांवPublished: Jun 06, 2020 06:49:22 am

Submitted by:

Nitin Dongre

पेंशन के लिए आज भी लगा रहे चक्कर

The old parents of the martyr who are facing the punishment of the mistake of the bank management ...

बैंक प्रबंधन की गलती की सजा भुगत रहे शहीद के बूढ़े माता-पिता …

डोंगरगढ़. भारतीय स्टेट बैंक प्रबंधन की गलती की सजा शहीद के बूढ़े माता-पिता भुगत रहे हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब बैंक प्रबंधन ने आरके पुरम दिल्ली स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के मुख्यालय भेजे गए जीवित होने के प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि पुलिस बल को उपलब्ध कराई। इसमें यह स्पष्ट हो गया कि बैंक प्रबंधन ने शहीद ओमकार सिन्हा के बुजुर्ग माता-पिता ग्वालिन बाई और नंदू राम सिन्हा के जीवित होने का प्रमाण पत्र 18 मार्च 2020 को दोपहर 3 बजे भेजा है। सोचनीय बात तो यह है कि उक्त प्रमाण पत्र पूरे डेढ़ माह बाद 4 मई को दिल्ली स्थित मुख्यालय में मिला है। उसके बाद दिल्ली मुख्यालय में शहीद के माता पिता की पेंशन पुन: प्रारंभ करने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।
इस दौरान शहीद के माता पिता ने पुलिस अधीक्षक से भी गुहार लगाई। उसके बाद पुलिस अधीक्षक ने स्थानीय थाने के माध्यम से शहीद के माता-पिता के साथ पुलिस बल भेजकर बैंक में पूछताछ की। पूछताछ के बाद बैंक प्रबंधन ने अपनी गलती स्वीकार की और जीवित होने का प्रमाण पत्र भेजे जाने के दस्तावेज प्रस्तुत किया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि बैंक प्रबंधन की गलती की सजा शहीद के माता-पिता भुगत रहे हैं। चूंकि अभी लॉकडाउन के कारण डोंगरगढ़ नगर के सभी बैंक बंद है इसलिए अभी भी शहीद के माता-पिता को पेंशन की राशि नहीं मिली है। वे पेंशन की आस लगाए बैठे हैं। इसके पूर्व 2017 में भी बैंक प्रबंधन ने इसी प्रकार की त्रुटि की थी तब भी छह माह रुकने के बाद शहीद के माता-पिता का पेंशन पुन: प्रारंभ हुआ था।
बार-बार जीवित होने का प्रमाण पत्र

ओंकार सिन्हा जो 168वीं वाहिनी में आरक्षक के पद पर पदस्थ रहते हुए 23 नवंबर 2010 को मरतुंडा बीजापुर के पास नक्सली हमले में शहीद हो गया था। उसके बाद पीपीओ नंबर एन 23903121420 के माध्यम से ग्वालिन बाई पति नंदू राम सिन्हा को 22000 रूपए प्रति माह की पेंशन मिलना प्रारंभ हो गई थी। नियमानुसार उन्हें प्रतिवर्ष नवंबर माह में अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र जमा करना पड़ता है। इस प्रकार ग्वालिन बाई व नंदूराम सिन्हा ने 1 नवंबर 2019 को ही भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र जमा करा दिया। पुन: बैंक के निर्देशानुसार 24 जनवरी को फिर उन्होंने एक बार जीवित होने का प्रमाण पत्र जमा कराया किंतु दिसंबर से बंद हुई पेंशन उन्हें अब तक नहीं मिल रही है।
पेंशन प्रारंभ नहीं हुई

मासिक पेंशन नहीं मिलने से यह दंपति भूखमरी की कगार पर आ गई। ऐसा नहीं है कि नंदूराम ने बैंक में तथा पुलिस विभाग में संपर्क नहीं किया हो किंतु हर जगह उसे आश्वासन का झुनझुना ही थमा रहे थे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के इस जवान के माता-पिता अपना पेट पालने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक में प्रबंधक से संपर्क करने पर उन्होंने इस शाखा के प्रभारी जोयेल के पास भेज दिया जिसने पुन: जीवित होने का प्रमाण पत्र मांगा और उन्होंने 18 मार्च को पुन: अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र पेश कर दिया किंतु अभी तक उन्हें पेंशन प्रारंभ नहीं हुई है।
यहां भी नहीं मिली सफलता

राजनांदगांव नक्सल सेल में भी उन्होंने बार-बार इस के लिए गुहार लगाई किंतु उन्हें यहां भी सफलता नहीं मिली। शहीदों के लिए रायपुर के तेलीबांधा में गु्रप सेंटर बनाया गया है जिस में स्थापित कंट्रोल रूम में भी उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराई किंतु यहां भी आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के दिल्ली मुख्यालय में भी तथा स्टेट बैंक की रायपुर मुख्य ब्रांच की शाखा में भी उन्होंने जाकर अपनी गुहार लगाई यहां तक कि राजनांदगांव के पुलिस अधीक्षक से भी वे जाकर मिले। पुलिस अधीक्षक ने उन्हें अपने बाबू के पास भेज दिया तब से वे फुटबॉल की तरह विभिन्न विभागों के चक्कर लगा रहे हैं। जबकि ओंकार की माता ग्वालिन बाई व पिता नंदूराम सिन्हा ने 1 नवंबर को ही स्टेट बैंक में अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र जमा करा दिया था। यह पहली बार नहीं हुआ है इसके पूर्व नवंबर 2017 से में भी इनकी पेंशन रोक ली गई थी जो मई 2018 में बड़ी मुश्किल से प्रारंभ हुई थी।
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