102 वर्षीया वृद्ध महिला पहुंची बैंक
इसी जिद के चलते ग्राम बडग़ांव चारभांठा की अतिवृद्ध महिला पार्वती कोलियारा को आटो रिक्शा में बैठाकर उनके चार परिजन नगर के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कार्यालय लेकर पहुंचे थे। 1917 में जन्मी एक सौ दो वर्षीया महिला को बैंक कर्मचारियों ने कार्यालय में देखकर उसके जीवित होने की पुष्टि कर आगे की कार्रवाई पूर्ण की गई। अतिवृद्ध व गंभीर बीमार व्यक्ति को बैंक तक आने जाने में हमेशा जान जोखिम में बना रहा है लेकिन बैंकों की निर्दयता के चलते उन्हें यह जोखिम उठाना ही पड़ता है। कमोबेश शहर के सभी बैंकों में लगभग यही स्थिति है। बैंकों में कर्मचारियों की कमी के चलते लगातार अपनी सेवाओं में कमी कर रही है, जिससे हर तरह की परेशानी खाताधारियों को उठानी पड़ रही है। नियमानुसार बीमार और लाचार बुजुर्गों के जीवित सत्यापन के लिए बैंकों को अपने कर्मचारियों को उनके निवास तक पहुंचकर सत्यापन करना होता है लेकिन सभी बैंकों में बुजुर्गों और वरिष्ठ नागरिकों को प्रताडि़त किया जा रहा है। आश्चर्य यह भी है कि इस मामले की जानकारी सभी राजनीतिक संगठनों और समाजसेवी संस्थाओं को भी है किन्तु बैंक के इस रवैय्ये को लेकर कभी कोई आवाज नहीं उठते दिखती।
इसी जिद के चलते ग्राम बडग़ांव चारभांठा की अतिवृद्ध महिला पार्वती कोलियारा को आटो रिक्शा में बैठाकर उनके चार परिजन नगर के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कार्यालय लेकर पहुंचे थे। 1917 में जन्मी एक सौ दो वर्षीया महिला को बैंक कर्मचारियों ने कार्यालय में देखकर उसके जीवित होने की पुष्टि कर आगे की कार्रवाई पूर्ण की गई। अतिवृद्ध व गंभीर बीमार व्यक्ति को बैंक तक आने जाने में हमेशा जान जोखिम में बना रहा है लेकिन बैंकों की निर्दयता के चलते उन्हें यह जोखिम उठाना ही पड़ता है। कमोबेश शहर के सभी बैंकों में लगभग यही स्थिति है। बैंकों में कर्मचारियों की कमी के चलते लगातार अपनी सेवाओं में कमी कर रही है, जिससे हर तरह की परेशानी खाताधारियों को उठानी पड़ रही है। नियमानुसार बीमार और लाचार बुजुर्गों के जीवित सत्यापन के लिए बैंकों को अपने कर्मचारियों को उनके निवास तक पहुंचकर सत्यापन करना होता है लेकिन सभी बैंकों में बुजुर्गों और वरिष्ठ नागरिकों को प्रताडि़त किया जा रहा है। आश्चर्य यह भी है कि इस मामले की जानकारी सभी राजनीतिक संगठनों और समाजसेवी संस्थाओं को भी है किन्तु बैंक के इस रवैय्ये को लेकर कभी कोई आवाज नहीं उठते दिखती।
डिजिटलाईजेशन का नहीं मिल रहा है लाभ
बैंकों के कप्यूटराईज्ड और डिजिटल होने का लाभ पेंशनधारी वरिष्ठ नागरिकों को नहीं मिल पा रहा है। बता दें कि साल के अंत में जीवित प्रमाणपत्र देने के लिए केन्द्र सरकार ने जीवन प्रमाणपत्र को ऑनलाईन तो किया लेकिन प्रमाण पत्र बनाने के लिए थंब इंप्रेशन डिवाईस और इंटरनेट की आवश्यकता होती है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे पेंशनभोगियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं शहरी हो या ग्रामीण सभी वरिष्ठ पेंशनधारियों को जीवित प्रमाणपत्र बनाने लिए भी उपभोक्ता सेवा केन्द्र तक पहुंचना ही होता है, ऐसे में इस डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के बजाए मेनुअल पद्धति ही सही थी, जिसमें दो बार इन वरिष्ठों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता था। बैंक में इन बुजुर्गों को स्वयं अपने फार्म को लेकर उपस्थित होना पड़ता है, तब जाकर बैंक इसे मान्य करता है, जबकि डिजिटलाईजेशन के पश्चात उनके परिजनों के माध्यम से भी फार्म जमा किया जा सकता है।
बैंकों के कप्यूटराईज्ड और डिजिटल होने का लाभ पेंशनधारी वरिष्ठ नागरिकों को नहीं मिल पा रहा है। बता दें कि साल के अंत में जीवित प्रमाणपत्र देने के लिए केन्द्र सरकार ने जीवन प्रमाणपत्र को ऑनलाईन तो किया लेकिन प्रमाण पत्र बनाने के लिए थंब इंप्रेशन डिवाईस और इंटरनेट की आवश्यकता होती है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे पेंशनभोगियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं शहरी हो या ग्रामीण सभी वरिष्ठ पेंशनधारियों को जीवित प्रमाणपत्र बनाने लिए भी उपभोक्ता सेवा केन्द्र तक पहुंचना ही होता है, ऐसे में इस डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र के बजाए मेनुअल पद्धति ही सही थी, जिसमें दो बार इन वरिष्ठों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता था। बैंक में इन बुजुर्गों को स्वयं अपने फार्म को लेकर उपस्थित होना पड़ता है, तब जाकर बैंक इसे मान्य करता है, जबकि डिजिटलाईजेशन के पश्चात उनके परिजनों के माध्यम से भी फार्म जमा किया जा सकता है।
बैंक कर्मियों को वृद्ध लोगों के घर तक पहुंचना चाहिए
विधायक डोंगरगांव, दलेश्वर साहू, ने कहा कि बैंकों व बैंक के कर्मचारियों को सभी संवेदनशील मामलों में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर बुजुर्गों की मदद करना चाहिए और जीवित सत्यापन के लिए उनके निवास तक पहुंचना चाहिए।
विधायक डोंगरगांव, दलेश्वर साहू, ने कहा कि बैंकों व बैंक के कर्मचारियों को सभी संवेदनशील मामलों में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर बुजुर्गों की मदद करना चाहिए और जीवित सत्यापन के लिए उनके निवास तक पहुंचना चाहिए।