भोलेनाथ के सानिध्य में है औषधि का भंडार, जीवनरक्षक जड़ी-बूटियों का उपयोग कर बचाते हैं दूसरों की जान ...
महादेव के सानिध्य में फल-फूल रहे औषधि के जानकार पूरा वैद्य समुदाय ऋषि पंचमी और नागपंचमी के अवसर पर पहुंचते हैं, जहां से वे कुछ विशेष औषधि एकत्रित कर पहले भगवान शंकर को समर्पित करते हैं और फिर इन्हें मरीजों और जरूरतमंदों को प्रसाद के रूप में प्रदान करते हैं।

दिवाकर सोनी @ पत्रिका डोंगरगांव. श्रावणमास में हरेली त्यौहार के बाद शुक्ल पक्ष का पंचम दिवस नांगपंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन इस बार हम वैद्य समुदाय के एकत्रित होने और भगवान शिव की महिमा के संबंध में बताएंगे। जहां भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्तकर दीन-दुखियों के सहायक बनते हैं और लाभ होने पर भगवान भोले की कृपा बताते हैं।
हम बात कर रहे हैं क्षेत्र के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल महादेव डोंगरी की, जहां भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद इन औषधियों के माध्यम से लोगों को प्राप्त होता है। ज्ञात हो कि महादेव खुद जितने रहस्यमय हैं, उतना ही उनका धाम भी अद्भूत और अलौकिक चीजों से पटा पड़ा है, खासकर जीवनरक्षक औषधियां उनके सानिध्य में फल-फूल रहे हंै। उपर पहाड़ी से हरे चादर की परत और तमाम प्रकार के फूल मानों स्वर्ग की अनुभूति कराते हो। एक और अद्भुत नजारा जो केवल बरसात के समय में दिखाई देता है।
दूर-दूर से पहुंचतें हैं वैद्य समुदाय
महादेव के सानिध्य में फल-फूल रहे औषधि के जानकार पूरा वैद्य समुदाय ऋषि पंचमी और नागपंचमी के अवसर पर पहुंचते हैं, जहां से वे कुछ विशेष औषधि एकत्रित कर पहले भगवान शंकर को समर्पित करते हैं और फिर इन्हें मरीजों और जरूरतमंदों को प्रसाद के रूप में प्रदान करते हैं। गत शनिवार को नागपंचमी के अवसर पर दानसरलाल साहू पटपर, पंकजलाल साहू रेवाडीह सहित कोहका (ढाबा), किरगी (भानपुरी), राजा भानपुरी व अन्य ग्रामों के औषधि के जानकार पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि यहां रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, बुखार, हैजा, टीबी, सफेद दाग, खुजली, एलर्जी सहित सांप और बिच्छू के जहर को खत्म करने तक की औषधि उपलब्ध है। उपस्थित वैद्यों ने बताया कि यह पहाड़ी आयुर्वेद का खजाना है और हमारे प्रदेश में कई ऐसी पहाडिय़ां है, जहां कई असाध्य रोगों को ठीक करने की दवा उपलब्ध है। इसके लिए शासन-प्रशासन खोज कराकर तथा दवा के रूप में मरीजों को बहुत ही कम खर्च में स्वास्थ्य लाभ दिया जा सकता है। साथ ही यदि किसी कारण से फायदा न भी हो तो शरीर को अन्य कोई नुकसान नहीं होता।
भोलेनाथ के सानिध्य में है औषधि का भंडार
इस पहाड़ी में महादेव ने अपने संरक्षण में सभी प्रकार के रोगियों के तकलीफ दूर करने की व्यवस्था की है। बस जरूरत है तो उन्हें पहचानने की। यहां केंवटी बेला, काली मुसली, चिरायता, अमलतास, गिंदोल लासा, छोटा और बड़ा कुर्रू, विधारा, काला कोरिया जैसी दुर्लभ औषधि है। वहीं इस पहाड़ी की तलहटी में कलिहारी (अग्निशिखा) जैसा नाम से ही प्रतीत होता है और इसका फूल अक्टूबर-नवंबर में खिलता है, तब पूरा जंगल ऐसा लगता है जैसे वहां आग लग गई हो।
विशेष मान्यता है महादेव डोंगरी की
महादेव डोंगरी आस-पास के ग्रामीणों सहित जिले में विशेष स्थान रखता है। यहां ग्रामीणों की मान्यता है कि घर में ही बाबा भोलेनाथ का स्मरण कर अपनी तकलीफ रखते हैं और उसके बाद उनकी समस्या दूर हो जाती है। इस बात का प्रमाण पूरा गांव देता है। मंदिर के पुजारी नेमूचंद पटेल, ग्राम पमुख गोकुलराम साहू तथा वन समिति के अध्यक्ष चंद्रकुमार साहू ने बताया कि यहां लोगों की मान्यता पूरी होती है। इसलिए लोग ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित कराते हैं। यहां मां शीतला और भगवान शिव की कृपा ग्रामीणों व भक्तों पर हमेशा रहती है। वहीं दूसरी ओर तिलईरवार से महादेव के दर्शन के लिए सीढिय़ों से पहाड़ी पर पहुंचा जा सकता है। वहीं नीचे वृहद पौधरोपण भी किया गया है। उन्होंने बताया कि यह स्थान काफी प्रसिद्ध है और लोगों का यहां आना जाना लगा रहता है। इस स्थान को पर्यटन की दृष्टि से व्यवस्थित करने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया है।
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