राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल से मिली जानकारी के अुनसार 70 वर्षीय श्यामलाल पटवा को 13 जनवरी को आपातकालीन चिकित्सा विभाग में भर्ती किया गया था, उन्हें बुखार और सांस लेने में तकलीफ थी। मरीज को किडनी, मेटाबालिक एनस्लोपेथी एवं सुगर की बीमारी थी। वहीं मरीज ने कोरोना वैक्सीन का कोई भी डोज भी नहीं लगवाया था। रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही डॉक्टरों ने कोविड गाइडलाइन के तहत उपचार भी शुरु कर दिया था लेकिन इसी बीच मरीज की मौत हो गई। ऐसे में टीका कितना जरूरी है। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
कोरोना टीके का एक ही डोज लगवाने वाली डाली शर्मा उम्र 62 साल ने भी कोरोना इलाज के दौरान दम तोड़ दिया है। उसे एक सप्ताह से सांस लेने में दिक्कत थी। बुखार और खांसी भी आ रही थी। अस्पताल में भर्ती होने के बाद जांच में कोविड एंटीजेन जांच पॉजिटिव आया। इसके बाद मरीज को कोविड आईसीयू में शिफ्ट करके वेंटिलेटर में रखा गया था, जिसे शुगर, ब्लडप्रेशर, बे्रस्टकेंसर, मल्टी आर्गन डिसफंक्शन, मेलेगनेंट, प्लूरल एफयुसन (फेफड़े में पानी) था। उक्त मरीज ने वैक्सीन की केवल एक ही डोज लगवाई थी।
राजनांदगांव जिले में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है। इसके बाद भी लोगों की लापरवाही जा रही है। कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। जिले में अब तक 59 हजार 702 संक्रमित हो चुके हैं। बावजूद लोग बिना मास्क लगाए बाजारों में घूमते नजर आ रहे हैं। इधर पॉजिटिविटी रेट बढऩे के बाद कलेक्टर ने जिले के स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों को आगामी आदेश तक बंद कर दिया है। इधर राजनांदगांव के पड़ोसी जिले दुर्ग में भी बुधवार को दो मरीजों की उपचार के दौरान मौत हो गई। राजधानी रायपुर के बाद कोविड के लिहाज से यह हॉटस्पॉट बना हुआ है।