नाथद्वारा उपखंड व तहसील के क्षेत्राधीन खमनोर में पहले नायब तहसील थी, जिसे राज्य सरकार ने वर्ष 2013 में तहसील के रूप में क्रमोन्नत कर दिया था। तब नाथद्वारा तहसील से खमनोर, उनवास, टांटोल, मोलेला, मचींद, फतेहपुर, सलोदा, सगरूण, सेमा, भैंसाकमेड़, उसरवास, बड़ा भाणुजा, छोटा भाणुजा, कोशीवाड़ा, गांवगुड़ा, सिरोही की भागल, झालों की मदार पटवार मंडलों को अलग कर खमनोर तहसील में जोड़ा गया था। खमनोर तहसील में कुल 58 छोटे-बड़े राजस्व गांव हैं।
पटवारियों की कमी से हालात ये हो गए हैं कि राजस्व विभाग से संबंधित जनता के लंबित कामों को निबटाने के लिए अधिकारियों को पटवारियों के लिए सप्ताह के कार्यदिवस के शेड्यूल तक बनाने पड़ रहे हैं। सप्ताह में पटवारी की मूल पदस्थापन के अलावा किस दिन-किस पटवार में ड्यूटी लगेगी, यह तय करना पड़ रहा है। नाथद्वारा एसडीएम अभिषेक गोयल ने नाथद्वारा, देलवाड़ा व खमनोर तहसीलों में कार्यरत पटवारियों के लिए 17 जनवरी 2022 को एक आदेश जारी कर स्थान और वार तय किए हैं। आदेशानुसार खमनोर तहसील के पटवारी राजेश गुर्जर को सोमवार को खमनोर, बुधवार को टांटोल, मंगलवार को उनवास और गुरुवार को मोलेला में काम करने को कहा है। इसी तरह रेखा नायक को सोमवार को सेमा, बुधवार को उसरवास, मंगलवार को झालों की मदार व गुरुवार को भैंसाकमेड़, विष्णु कंवर को मंगलवार को फतहपुर एवं एलआरसी, गोपेश गहलोत को सोमवार को कोशीवाड़ा, बुधवार को सिरोही की भागल (गांवगुड़ा), मंगलवार को गांवगुड़ा व गुरुवार को मचींद, विक्रमसिंह को सोमवार व मंगलवार को सलोदा, बुधवार व गुरुवार को सगरूण में ड्यूटि देने के निर्देश दिए हैं।
सरकारी भूमियों पर अतिक्रमण करना, अवैध निर्माण करना, आम समस्या है। मगर जब तहसीलदार, पटवारी व राजस्व कार्मिकों का आधे से ज्यादा खाली पदों की स्थिति बन गई है तो बेशक सरकारी भूमियों पर अतिक्रमण, अवैध निर्माण और यहां तक कि अवैध खनन जैसी स्थितियां रोकना मुश्किल है। सरकारी भूमियां बच पाएं, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में तंत्र और उसकी सक्रीयता जरूरी है। तहसील क्षेत्र के अनेक गांवों में लोगों का कहना है कि अधिकारियों व कार्मिकों के नहीं होने से सरकारी भूमियों पर अतिचार व अवैध निर्माण के मामले बढ़ रहे रहे हैं। अतिचारियों को रोकने वाला निगरानी तंत्र कमजोर हो रहा है।
तहसील क्षेत्र में नियुक्त 5 पटवारियों में कोई ऐसा नहीं है, जिस पर मूल पदस्थापन वाले पटवार के अलावा अतिरक्ति का भार ना हो। किसी को दो तो किसी को तीन पटवार का चार्ज दिया जा गया है। तीन पटवारी तो ऐसे हैं, जिन पर चार-चार पटवार मंडलों के काम की मार पड़ रही है। खमनोर मुख्यालय के पटवार मंडल में नियुक्त पटवारी राजेश गुर्जर को उनवास, टांटोल व मोलेला पटवार मंडलों का अतिरिक्त प्रभार दे रखा है। गांवगुड़ा पटवार में नियुक्त गोपेश गहलोत को मचींद, कोशीवाड़ा व सिरोही की भागल पटवार का भी चार्ज सौंप रखा है। पटवारी रेखा नायक को भैंसाकमड़, उसरवास, झालों की मदार व सेमा के पटवार मंडलों के चार्ज दे रखे हैं। कार्मिक जितेश कुमार मीणा को बड़ा भाणुजा, छोटा भाणुजा के पटवार भवनों के अलावा रिसोर्स पर्सन का भी चार्ज दे रखा है। एक पटवारी के लिए इतने मंडलों का भार झेलना काफी मुश्किल हो गया है।
खमनोर तहसील में पूर्व में कार्यरत तहसीलदार सोहनलाल शर्मा का गत 3 सितंबर 2021 को धौलपुर तबादला हो गया था। इसके बाद नाथद्वारा तहसीलदार कपिल उपाध्याय को खमनोर तहसीलदार के पद का अतिरिक्त चार्ज दिया गया, मगर दो तहसीलों का भार एक ही अधिकारी के पास होने से समस्या खड़ी हो गई है। खमनोर तहसील भवन के तहसीलदार कक्ष में अधिकारी की कुर्सी अक्सर खाली नजर आती है। लोग तहसील से जुड़े काम लेकर भटकते रहते हैं। तहसीलदार व नायब तहसीलदार के मूल पदों पर नियुक्तियां नहीं होने से लंबित काम और लंबित हुए जा रहे हैं। तहसीलदार से काम हो तो कभी नाथद्वारा तहसील, कभी फिल्ड में होने पर स्थान का पता लगाकर वहां तक भटकना पड़ रहा है। जमीनों के रजिस्ट्रीकरण में पक्षकारों की पेशगी तहसीलदार जहां मिल सके, वहां जाकर करानी पड़ रही है। हाल ही में दो माह तक प्रशासन गांवों के संग शिविरों लगे थे। रजिस्ट्री के तैयार दस्तावेज लेकर क्रेता-विक्रेता पक्षों को शिविर-शिविर दौड़ लगानी पड़ी थी। अब भी कई बार नाथद्वारा और अन्यत्र उपलब्ध होने पर वहां तक जाना पड़ रहा है।
तहसील कार्यालय में ईडब्यूएस, जन्म-मृत्यू, जाति, मूल निवास प्रमाण पत्रों, किसान सम्मान निधि योजना एवं अन्य प्रकार के आवेदनों के स्वीकरण का काम ऑनलाइन करने के प्रावधान कर रखे हैं। राजस्थान सम्पर्क पोर्टल की ऑनलाइन शिकायतों के निस्तारण व विभागीय सूचनाओं का आदान-प्रदान भी करना होता है, मगर सूचना सहायक का पद वर्षभर से खाली होने से ये सभी काम प्रभावित हो रहे हैं। सूचना सहायक का करीब वर्षभर पहले स्थानांतरण हो गया था। कार्यालय में नियुक्त दूसरे कर्मचारी अपने काम से समय निकालकर ऑनलाइन कामों को पूरा कर रहे हैं, मगर जनता के काम नियत समय पर नहीं हो पा रहे हैं।
प्रशासन गांवों के संग अभियान में पंचायत मुख्यालयों पर लगे शिविरों में बड़े पैमाने पर नामांतरण, शुद्धिकरण जैसे प्रकरण निबटाने के दावे किए गए थे। यही प्रकरण विभाग के डिजिटल अभिलेखों में अटके हुए हैं। किसी की जमीन का नामांतरण नहीं खुला है तो किसी की जमीन के रिकॉर्ड का शुद्धिकरण नहीं हो पाया है। किसी के नाम परिवर्तन का शिविर में तो आदेश हो गया, लेकिन रिकार्ड में अभी भी बदलाव नहीं हो पाया है। लोग अपने काम के लिए पटवार मण्डलों के चक्कर लगाने को मजबूर नजर आ रहे हैं।
17 पटवार हल्कों में काम करने वाले 5 ही पटवारी होने से हाल यहां स्थिति तहसील कार्यालय से कई गुना ज्यादा खराब है। लोग अपने गांव के पटवार भवन तक जाते हैं और उन्हें ताले लटके देखकर निराश लौटना पड़ रहा है। पटवारी से गांव की जमाबंदी में अपनी भूमि, सीमाओं सहित राजस्व अभिलेखों से संबंधित और दूसरे भी कई प्रकार के छोटे-मोटे कामों को लेकर लोगों में असंतोष है। लोगों का कहना है कि क्या ये इतना मुश्किल है कि सरकार गांव में एक पटवारी तक की व्यवस्था नहीं कर पा रही है।