झील में चोरी-छिपे एवं रात्रि में अंधेरे का फायदा उठाते हुए मत्स्याखेट होने की सूचना मिलने पर पार्षद हेमंत रजक, प्रमोद रेगर, हेमंत गुर्जर, अनिल कुमावत के साथ जेसी गु्रप के कार्यकर्ता हीरालाल माली, राकेश प्रजापत, देवाशीष बागोरा, अर्पित जैन, कुलदीप बावरा, युवराज गुर्जर, शंकर खटीक आदि देर शाम सलूस रोड की तरफ से झील पर पहुंचे। जूना अखाड़ा एवं आसपास के क्षेत्र में झील के पानी एवं किनारों पर तलाशी शुरू की तो सभी चौंक गए। वहां झाडिय़ों व आसपास छिपाकर रखे 50 से अधिक बड़े आकार के जाल, कई ट्यूब, चाकू सहित मछली पकडऩे में उपयोग लिए जाने वाले छोटे-बड़े अन्य संसाधन पड़े मिले। यही नहीं, झील के जल में भी मछलियों को फंसाने के लिए चार-पांच जाल बिछे हुए मिले।
कार्यकर्ताओं ने जाल सहित अन्य तमाम संसाधन एक जगह एकत्रित कर आग के हवाले कर दिए, ताकि फिर कभी इनका कोई उपयोग नहीं कर सके। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने नगर परिषद सभापति अशोक टांक को पूरे घटनाक्रम की सूचना दी, जिस पर वह भी मौके पर पहुंचे एवं स्थिति देखी। कार्यकर्ताओं ने सभापति से इस सम्बंध में प्रशासन व पुलिस से प्रभावी कार्रवाई करवाने की मांग की और कहा कि ऐतिहासिक एवं धार्मिक आस्था से जुड़ी झील में मत्स्याखेट रोका जाना चाहिए।
राजस्थान पत्रिका ने झील में अवैध मत्स्याखेट और पक्षियों के मारे जाने को लेकर लगातार खबरें प्रकाशित की थीं। उसके बाद वन और सिंचाई विभाग ने कुछ दिन निगरानी की, लेकिन अवैध मत्स्याखेट व अन्य शिकार की गतिविधियों को पूरी तरह रोकने में प्रशासन भी विफल रहा है। पिछले दस साल में अवैध मत्स्याखेट बढऩे पर भी जिला प्रशासन व पुलिस विभाग अब तक कोई ठोस योजना नहीं बना सका है।
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तीन दिन पहले भी कार्यकर्ता झील क्षेत्र में जोंक की मण्डी पहुंचे थे, जहां किनारे पर मत्स्यााखेट के लिए छिपाए जाल व अन्य संसाधन बरामद किए थे। मत्स्याखेट पर पूरी तरह रोक लगाने की जरूरत है। कुछ लोग इस अवैध कार्य को चोरी-छिपे अंजाम दे रहे हैं। छोटी-मोटी कार्रवाई ठण्डी पडऩे के बाद वे पुन: सक्रिय हो जाते हैं।
हेमंत रजक, पार्षद