scriptजो जाल जिम्मेदारों की आंखों को नहीं दिखे, वो युवाओं ने ढूंढ निकाले | 50 nets and tubes recovered from Rajsamand lake | Patrika News

जो जाल जिम्मेदारों की आंखों को नहीं दिखे, वो युवाओं ने ढूंढ निकाले

locationराजसमंदPublished: Jun 12, 2021 11:03:30 am

Submitted by:

jitendra paliwal

मत्स्याखेट के लिए झील किनारे झाडिय़ों व अन्य जगहों पर छिपाकर रखे थे, 50 जाल और ट्यूब किए बरामद

जो जाल जिम्मेदारों की आंखों को नहीं दिखे, वो युवाओं ने ढूंढ निकाले

जो जाल जिम्मेदारों की आंखों को नहीं दिखे, वो युवाओं ने ढूंढ निकाले

राजसमन्द. सिंचाई विभाग, वन विभाग और पुलिस के अलावा प्रशासन की आंखों को राजसमंद झील में मत्स्याखेट और पक्षियों के शिकार के सबूत दिखाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन शहर के ही युवाओं ने बड़ी मात्रा में जाल और ट्यूब निकाले हैं।
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की झील में मत्स्याखेट पर सख्त प्रतिबंध के बावजूद कतिपय लोग इससे बाज नहीं आ रहे हैं। पत्रिका में लगातार खबरें प्रकाशित होने पर अब स्थानीय युवा और कुछ जनप्रतिनिधि जागरूक हुए हैं। उन्होंने प्रशासन की सुस्ती को देखते हुए खुद इस पर प्रभावी रोकथाम करने के लिए निगरानी शुरू कर दी है।
शुक्रवार को जे.सी. गु्रप के कार्यकर्ताओं के साथ जनप्रतिनिधि झील पर पहुंचे एवं मत्स्याखेट के लिए छिपाकर रखे जाल सहित अन्य साजो-सामान जब्त कर जला दिए। हालांकि जाल को जलाना पर्यावरण प्रदूषण की दृष्टि से उचित नहीं था।
मिली थी सूचना, पहुंचा युवाओं का दल
झील में चोरी-छिपे एवं रात्रि में अंधेरे का फायदा उठाते हुए मत्स्याखेट होने की सूचना मिलने पर पार्षद हेमंत रजक, प्रमोद रेगर, हेमंत गुर्जर, अनिल कुमावत के साथ जेसी गु्रप के कार्यकर्ता हीरालाल माली, राकेश प्रजापत, देवाशीष बागोरा, अर्पित जैन, कुलदीप बावरा, युवराज गुर्जर, शंकर खटीक आदि देर शाम सलूस रोड की तरफ से झील पर पहुंचे। जूना अखाड़ा एवं आसपास के क्षेत्र में झील के पानी एवं किनारों पर तलाशी शुरू की तो सभी चौंक गए। वहां झाडिय़ों व आसपास छिपाकर रखे 50 से अधिक बड़े आकार के जाल, कई ट्यूब, चाकू सहित मछली पकडऩे में उपयोग लिए जाने वाले छोटे-बड़े अन्य संसाधन पड़े मिले। यही नहीं, झील के जल में भी मछलियों को फंसाने के लिए चार-पांच जाल बिछे हुए मिले।
सभापति भी पहुंचे मौके पर
कार्यकर्ताओं ने जाल सहित अन्य तमाम संसाधन एक जगह एकत्रित कर आग के हवाले कर दिए, ताकि फिर कभी इनका कोई उपयोग नहीं कर सके। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने नगर परिषद सभापति अशोक टांक को पूरे घटनाक्रम की सूचना दी, जिस पर वह भी मौके पर पहुंचे एवं स्थिति देखी। कार्यकर्ताओं ने सभापति से इस सम्बंध में प्रशासन व पुलिस से प्रभावी कार्रवाई करवाने की मांग की और कहा कि ऐतिहासिक एवं धार्मिक आस्था से जुड़ी झील में मत्स्याखेट रोका जाना चाहिए।
पत्रिका ने बार-बार उठाया मुद्दा
राजस्थान पत्रिका ने झील में अवैध मत्स्याखेट और पक्षियों के मारे जाने को लेकर लगातार खबरें प्रकाशित की थीं। उसके बाद वन और सिंचाई विभाग ने कुछ दिन निगरानी की, लेकिन अवैध मत्स्याखेट व अन्य शिकार की गतिविधियों को पूरी तरह रोकने में प्रशासन भी विफल रहा है। पिछले दस साल में अवैध मत्स्याखेट बढऩे पर भी जिला प्रशासन व पुलिस विभाग अब तक कोई ठोस योजना नहीं बना सका है।

तीन दिन पहले भी कार्यकर्ता झील क्षेत्र में जोंक की मण्डी पहुंचे थे, जहां किनारे पर मत्स्यााखेट के लिए छिपाए जाल व अन्य संसाधन बरामद किए थे। मत्स्याखेट पर पूरी तरह रोक लगाने की जरूरत है। कुछ लोग इस अवैध कार्य को चोरी-छिपे अंजाम दे रहे हैं। छोटी-मोटी कार्रवाई ठण्डी पडऩे के बाद वे पुन: सक्रिय हो जाते हैं।
हेमंत रजक, पार्षद
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