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राजस्थान की इस रियासत को जोडऩे के लिए चलाई थी रेल…पढ़े पूरी खबर

रेल लाइन का 1933 में हुआ था श्री गणेश, 88 वर्ष तक कराई नियमित सेवा उपलब्ध

राजसमंदApr 27, 2024 / 12:46 pm

himanshu dhawal

आमेट. मावली से मारवाड़ के बीच शुक्रवार को बंद हुई मीटरगेज की रेल वर्ष 1933 में मेवाड़ रियासत की राजधानी उदयपुर को मारवाड़ रियासत की राजधानी जोधपुर से जोडऩे के लिए तत्कालीन मेवाड़ व मारवाड़ रियासतों ने अपने खर्चे से आम जनता की सुविधा के लिए शुरू करवाई थी। तत्कालीन समय से लेकर आज तक यह रेल लाइन अपने निर्माण के कारण अपनेआप में एक आश्चर्य व कारीगरी की मिसाल मानी जाती है। तकनीक और संसाधनों के बिना इस रेल लाइन का निर्माण कोई सरल कार्य नहीं था। मेवाड़ और मारवाड़ की संस्कृति के बीच में ज्यादातर इस लाइन में अरावली की पर्तमालाएं खड़ी है। अरावली की गहरी घाटियां जो दोनों रियासतों व संस्कृतियों को अलग-अलग करती थीं, परंतु मानवीय इच्छा शक्ति व स्थानीय लोगों ने अपने श्रम से अरावली पर्वतमाला का सीना चीरते हुए व गहरी घाटियों को पाटते हुए रेल की पटरियां बिछाकर इतिहास रच दिया। रेल लाइन का 1933 में श्री गणेश हुआ। तीन वर्ष बाद 1936 में पहली बार भाप के इंजन की छुक छुक करती आवाज के साथ ट्रेन का सफर पूरा हुआ। मानो पटरियों पर दोनों रियासतों के सपनों के साथ-साथ लोगों की खुशियां दौड़ रही थीं। पहली रेलगाड़ी के संचालन के समय उदयपुर से जोधपुर तक 50 से अधिक छोटे-बड़े स्टेशन आबाद थे। 88 वर्ष तक नियमित सेवा उपलब्ध कराने के बाद शुक्रवार को अधिकांश स्टेशनों पर इस रेलगाड़ी का अंतिम सफऱ रहा।

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अधिकांश जगह ब्रॉडगेज होने से सिमटती गई रेललाइन

समय के साथ बड़े-बड़े स्टेशन ब्रॉडगेज हो जाने का असर इस मीटरगेज पर भी पड़ा। उदयपुर से जोधपुर की बजाय यह ट्रेन मावली मारवाड़ तक सीमित होकर रह गई और शुक्रवार के बाद ये कामलीघाट से मारवाड़ तक सीमित हो जाएगी। इस लाइन को बनाने के लिए 130 स्थान पर पहाड़ों को काटा गया। इसमें 90 मोड़ और 35 जगह पर ब्रिज बनाए गए थे। इसी रेलवे लाइन पर विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल गोरमघाट में टनल का निर्माण किया गया। इस लाइन पर उदयपुर, जोधपुर जैसे ऐतिहासिक स्थल थे। वहीं नाथद्वारा, द्वारकाधीश व चारभुजा मंदिर को भी यह रेल लाइन जोड़ती है। प्रसिद्ध चारभुजा जी मंदिर की वजह से ही आमेट रेलवे स्टेशन का नाम चारभुजा रोड रखा गया था।

रेल के समय पर चलती थी बस

आमेट से चारभुजाजी के दर्शनार्थ जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ट्रेन के समय सबसे पहले आमेट के व्यवसायी रतनलाल पूर्बिया की ओर से एक बस का संचालन शुरू किया गया। यह बस आमेट से ट्रेन में आने वाले दर्शनार्थियों को चारभुजाजी के दर्शन करवाकर शाम तक वापस लौटती ट्रेन में सवारियों को छोडऩे के काम आती थी। यह बस तत्कालीन समय में चारभुजाजी के लिए आमेट से पहली बस सेवा थी। इस ट्रेन के साथ ही रेलवे के द्वारा दो रियासतों आध्यात्मिक, ऐतिहासिक स्थलो व परम्पराओं के देश-विदेश तक पहचान बनाने के लिए एक शाही रेल संचालन शुरू किया, जो लोगो के बीच में शाही ट्रेल के नाम से काफी लोकप्रिय थी। सप्ताह में एक दिन चलने वाली इस ट्रेन को देखने के लिए लोग खड़े रहते थे। वहीं, इस मार्ग पर उदयपुर से जोधपुर बीच मीरा एक्सप्रेस रेल का संचालन भी शुरू किया गया था, जो मारवाड़ में ब्रॉडगेज लाइन आने के बाद बंद करनी पड़ी थी।

अब इंतजार ब्रॉडगेज रेल की सीटी का

नगरवासियों का कहना है की पूर्व सांसद स्व. हरिओम सिंह राठौड़ और उपमुख्यमंत्री व पूर्व सांसद दिया कुमारी एवं नगर के समाजसेवी व राजनेता प्रतापसिंह मेहता के प्रयासों से अब इस मार्ग पर बरसों के सपने को साकार करते हुए ब्रॉडगेज रेल लाइन का काम चल रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि ब्रॉडगेज का कार्य जल्द से जल्द पूर्ण हो और इसी स्टेशन पर विद्युत से चलने वाली ब्रॉडगेज का इंजन सीटी देकर लोगों को सफर के लिए बुलाए, जिससे नगरवासी आमेट से ही उदयपुर व जोधपुर के साथ ही देश के महानगरों तक का सफर शुरू कर सकेंं।

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