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राजस्थान के इस शहर में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कहर, 78 शूकरों की मौत

– पशुपालन विभाग की टीम ने पिछले तीन दिन में 57 शूकरों को मानवीय तरीके से दी मौत, एक भी पॉजीटिव आने पर एक किलोमीटर क्षेत्र के शूकरों को पड़ता है मारना, जिले में 17 फरवरी को हुई थी अफ्रीकन स्वाइन फीवर की हुई पुष्ठि

राजसमंदFeb 26, 2023 / 12:21 pm

himanshu dhawal

राजसमंद के गिलूण्ड में शूकरों को यूथेनेसिया प्रक्रिया के तहत इंजेक्शन लगाते चिकित्सक।

हिमांशु धवल@ राजसमंद. जिले में अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने दस्तक दे दी है। रेलमगरा के गिलूण्ड गांव में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्ठि होने के बाद से अब तक करीब 78 शूकरों (सूअर) की मौत हो चुकी है। इसमें भी 57 शूकरों को पशुपालन विभाग की रेपिड रेस्पांस टीम ने यूथेनेसिया प्रक्रिया (मानवीय तरीके से पशुओं को मारना) से मारा गया है। इसके साथ ही इनके मूवेंट पर भी रोक लगा दी है।
पशुपालन विभाग के जानकारों के अनुसार जिले के रेलमगरा पंचायत समिति की गिलूण्ड ग्राम पंचायत में 8 फरवरी को ग्रामीणों ने शूकरों के मरने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों के अंदर 21 शूकरों की मौत हो चुकी है। इसकी जानकारी मिलते ही 9 फरवरी को उदयपुर के क्षेत्रीय पशुरोग निदान केन्द्र को इसकी जानकारी दी गई। इनकी सूचना पर 10 फरवरी को टीम गिलूण्ड पहुंची। टीम ने मृत शूकरों का पोस्टमार्टम किया और मरे और बीमार शूकरों के सेम्पल भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान भेजे गए। इस दौरान पोस्टमार्टम और खून के 10 सेम्पल भेजे गए। जांच में 17 फरवरी को 8 सेम्पल पॉजीटिव आए। इसकी जानकारी जिला कलक्टर को दी गई। पशुपालन विभाग के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. जगदीश जीनगर के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया। टीम ने गिलूण्ड गांव में जहां पर अफ्रीकन स्वाइन फीवर के केस मिले हैं उसके एक किलोमीट के दायरे में आने वाले शूकरों को यूथेनेसिया प्रक्रिया से मारा गया। इसके तहत 38 शूकरों को गुरुवार को एवं 18 शूकरों को शुक्रवार को संक्रमण रोकने के लिए मारा गया। इसके साथ ही पशुपालकों को अपने शूकरों को लेकर आने के लिए पाबंद किया। शूकरों की मौत पर उसे गड्ढ़ा खोदकर नमक डालकर गाडऩे के निर्देश दिए। इसके साथ ही पशुपालन विभाग के चिकित्सक, पटवारी आदि की देखरेख में ही गाढऩे के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि यह बीमारी सिर्फ शूकर से शूकर में ही फैलती है। प्रदेश के जयपुर, भरतपुर और अलवर सहित अन्य जिलों में अब तक इससे 4 हजार के करीब शूकरों की मौत हो चुकी है।
यह होता है अफ्रीकन स्वाइन फीवर
यह एक अत्यधिक संक्रामक और घातक पशु रोग है, जो घरेलू तथा जंगली सूअरों को संक्रमित करता है। इसके संक्रमण से शूकर तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीडि़त होते हैं। इसके साथ ही अवसाद, एनोरेक्सिया, भूख न लगना, त्वचा में रक्तस्राव, उल्टी और दस्त भी होते हैं। इसमें शूकर की मृत्यु दर शत-प्रतिशत है। एक संक्रमित शूकर से दूसरे शूकर में तेजी से फैलती है। मृत्यु 3 से 10 दिन में हो जाती है।
लाइलाज बीमारी, यूथेनिशिया दे रहे मौत
अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक लाइलाज और बेहद तेजी से फैलने वाली बीमारी है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है इसीलिए संक्रमित शूकर के एक किलोमीटर क्षेत्र में सभी शूकर प्रजाति के पशुओं को मानवीय तरीके से मारना पड़ता है। इसे यूथेनेसिया कहा जाता है। इसमें शूकर को बेहोशी का इंजेक्शन दिया जाता है और फिर उसके दिल को पंचर कर उसमें दवाई इंजेक्ट की जाती है, इससे पशु बिना दर्द के मर जाता है।
यह मिलेगा मुआवजा
सरकार की ओर से अफ्रीकन स्वाइन फीवर से मृत्यु होने पर मुआवजा दिया जाएगा। इसमें 0 से 15 किलो के शूकर की मौत पर 2200 रुपए, 15 से 40 किलोग्राम के शूकर के 5800, 40 से 70 किलोग्राम के 8400 रुपए, 70 से 100 किलोग्राम के 12 हजार और 100 किलोग्राम से अधिक शूकर के 15 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।0
स्वाइन फीवर रोकने के लिए कर रहे प्रयास
जिले के गिलूण्ड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के केस मिले हैं। यहां पर अब तक 57 शूकरों की यूथेनिशिया किया है। इसके लिए टीम का गठन भी किया गया है। इनके मालिकों को मुआवजा के लिए प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजे जा रहे हैं। शूकर पालकों को भी पाबंद किया गया है।
– डॉ. अजय अरोड़ा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग राजसमंद
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