यह है अभियान
आईएमएएम/सीएमएएम (समेकित कुपोषण प्रबंधन/समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन) के तहत सर्वे कार्य पूरा किया गया है। अभियान में महिला एवं बाल विकास को भी जोड़ा गया है और अतिकुपोषित बच्चों के साथ ही चिह्नित ब्लॉक के गांवों में गर्भवतियों, नवजात शिशुओं की देखभाल की भी विशेष जिम्मेदारी है। इस अभियान के तहत आशा व क्षेत्र की चिकित्सा टीम गर्भवतियों की सम्पूर्ण जांचे करवाने, उनका पंजियन करने, सतप्रतिशत टीकाकरण करने, नवजात की घर जाकर देखभाल करने की विशेष जिम्मेदारी है।
जिले के इन क्षेत्रों में हुआ सर्वे
अभियान के तहत जिले के चार ब्लॉकों के करीब १८० गांव-ढाणियों में सर्वे किया गया। इसमें राजसमंद के १२ कुंवारिया, फियावड़ी, महासतियों की मादड़ी, वणाई, पीपली आचार्यान, मोही, राज्यावास, नाकली, फरारा, साकरोदा, सुंदरचा, सांगठकला। रेलमगरा के ११ रेलमगरा, चोकड़ी, सिंदेसरकला, सादड़ी, बनेडिया, पीपली डोडियान, कुरज, खंडेल, गिलूंड, जवासिया, जुणदा। आमेट के ८ सरदरगढ़, जिलोला, घोसुंडी, आगरिया, दोवड़ा, सेंगावास, जेतपुरा, सिरोड़ी। देवगढ़ ब्लॉक के ८ चिकित्सा संस्थानों से जुड़े गांव लसानी, मदारिया, मियाला, ताल, ईशरमंड, काकरोद, पुनियाना, सोहनगढ़ चिकित्सा संस्थानों से जुड़े गांवों में सर्वे कार्य किया गया है।
लक्ष्य से ज्यादा मिले बच्चे
ब्लॉक अतिकुपोषित लक्ष्य सामने आए
राजसमंद २८१ ३००
देवगढ़ १७३ २०९
रेलमगरा २४५ २४७
आमेट १७६ २००
कुल ८७५ ९५६
यह चला था पूर्व में अभियान
चिकित्सा विभाग ने प्रदेश से कुपोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने तथा कुपोषण कम करने के उद्देश्य से सितम्बर २०१५ में चयनित जिलों में सीएमएएम (समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन) शुरू किया। जिसमें चिह्नित गांवों के अतिकुपोषित बच्चों को पूरक आहार देकर सामान्य किया गया। वैसा ही अभियान इसबार फिर से प्रदेश के २० चिह्नित जिलों में चलाया जा रहा है। लेकिन इसबार इसमें गर्भवती महिलाओं की देखभाल की भी जिम्मेदारी दी गई है ताकि कुपोषण को जड़ से समाप्त किया जा सके।
इन जिलों में चल रहा अभियान
राजसमंद के साथ ही यह अभियान प्रदेश के बांसवाड़ा, बाड़मेर, बूंदी, करौली, धौलपुर, डूंगरपुर, जैसलमेर, जालोर, प्रतापगढ़, सिरोही, उदयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, बीकानेर, चूरू, चितौडग़ढ़, झालावाड,़ जोधपुर में चल रहा है।
सर्वे कार्य पूरा हुआ…
अभियान के तहत सर्वे कार्य पूरा हो चुका है, अब जैसे ही पूरक अहार देने के आदेश आएंगे, वैसे ही रजिस्टर्ड बच्चों को इसका लाभ दिया जाएगा। कुपोषण के मामले में संख्या बहुत जल्दी घटती-बढ़ती है, ऐसे में संख्या में बदलाव भी संभव है।
-सुरेश कुमार मीणा, आरसीएचओ, राजसमंद