यह निर्देश जिले के विभागीय प्रभारी एवं राज्य परियोजना निदेशक मातृ स्वास्थ्य डॉ. तरुण चौधरी ने स्वास्थ्य भवन में आयोजित समीक्षा बैठक में दिए। उन्होंने कहा की जिले में रेलमगरा, राजसमंद एवं देवगढ़ में इस गतिविधि को बतौर पायलट शुरू किया जाए तथा इससे पहले वहां एमसीएचएन डे तथा स्वास्थ्य सूचकांकों का आंकलन किया जाए, जिससे गतिविधि शुरू करने के कुछ माह बाद समीक्षा की जा सके।
उन्होंने कहा की मातृ, शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वास्थ्य सेवाओं का संवर्धन एवं सुदृढीकरण करें तो जिले के स्वास्थ्य सूचकांकों को सुधारा जा सकता है। इसके लिए समुदाय में स्वास्थ्य सेवाओं की मंाग पैदा करने के लिए आवश्यक है की लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए गांव में एमसीएचएन डे से पूर्व दिवस पर एएनएम एवं आशा द्वारा कोई ऐसी गतिविधि की जाए जिससे चिह्नित लाभार्थियों के साथ-साथ नए लाभार्थियों की भी पहचान हो सके। बैठक में डॉ. तरुण ने प्रसव पूर्व जांच, संस्थागत प्रसव, प्रसव पश्चात जांच, टीकाकरण, मातृ मृत्यु, शिशु मृत्यु, परिवार कल्याण, जननी सुरक्षा योजना, राजश्री योजना सहित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा की तथा भौतिक के अनुरूप वित्तीय प्रगति सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेपी बुनकर ने सभी खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारियों एवं खंड कार्यक्रम प्रबंधकों को आगामी 15 दिनों में लाभार्थियों से जुड़े लम्बित कार्यों को पूराकर रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया। उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजकुमार खोलिया, प्रभारी अधिकारी जिला औषधी भंडार डॉ अनिल जैन, खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रहलाद सिंह सोलंकी, डॉ नरेन्द्र दुलारा, डॉ महावीर प्रसाद, डॉ एम.एल मीणा, डॉ राजेन्द्र शर्मा, जिला चिकित्सालय से डॉ प्रदीप सोनी, सामान्य चिकित्सालय नाथद्वारा से डॉ. पाटीदार सहित जिला कार्यक्रम प्रबंधक आशीष दाधीच, जिला लेखा प्रबंधक नरेश जावरिया एवं खंड कार्यक्रम प्रबंधक उपस्थित थे।