बलवान योगों का श्रेणी क्रम
प्रथम- रविवार पुष्य नक्षत्र से श्रीवत्स योग।
द्वितीय- गुरुवार पुष्य नक्षत्र से शुभ योग।
तृतीय- मंगलवार पुष्य नक्षत्र से प्रबंध योग।
चतुर्थ- शनिवार पुष्य नक्षत्र से मित्र योग।
पंचम- सोमवार पुष्य नक्षत्र धाता योग।
षष्ठ- बुधवार पुष्य नक्षत्र मातंग योग
सप्त- शुक्रवार पुष्य नक्षत्र उत्पात योग।
ये कार्य नहीं होंगे
पुष्य नक्षत्र को श्राप प्राप्त होने के कारण संबंध सगाई, रुकाई, वर-कन्या देखना, विवाह एवं वैवाहिक खरीद, वस्त्र, राशन, गहने इत्यादि कार्य नहीं होते हैं। ये सभी कार्य पुष्य नक्षत्र में निष्फल होते हैं।
माता लक्ष्मीजी एवं श्रीहरि की आराधना का दिन
इस दिन माता लक्ष्मी एवं श्रीहरि की पूजा उपासना एवं आराधना करके शुभ फलों की प्राप्ति होती है । इस दिन धूप, दीप, नैवेद्य, खीर का भोग लगाकर श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी का पूजन आराधना करें। वस्त्र, खीर, बूंदी के लड्डू का दान करें। अक्षय पुण्यदाई हरियाली अमावस्या व गुरु पुष्य का लाभ उठाएं।
प्रथम- रविवार पुष्य नक्षत्र से श्रीवत्स योग।
द्वितीय- गुरुवार पुष्य नक्षत्र से शुभ योग।
तृतीय- मंगलवार पुष्य नक्षत्र से प्रबंध योग।
चतुर्थ- शनिवार पुष्य नक्षत्र से मित्र योग।
पंचम- सोमवार पुष्य नक्षत्र धाता योग।
षष्ठ- बुधवार पुष्य नक्षत्र मातंग योग
सप्त- शुक्रवार पुष्य नक्षत्र उत्पात योग।
ये कार्य नहीं होंगे
पुष्य नक्षत्र को श्राप प्राप्त होने के कारण संबंध सगाई, रुकाई, वर-कन्या देखना, विवाह एवं वैवाहिक खरीद, वस्त्र, राशन, गहने इत्यादि कार्य नहीं होते हैं। ये सभी कार्य पुष्य नक्षत्र में निष्फल होते हैं।
माता लक्ष्मीजी एवं श्रीहरि की आराधना का दिन
इस दिन माता लक्ष्मी एवं श्रीहरि की पूजा उपासना एवं आराधना करके शुभ फलों की प्राप्ति होती है । इस दिन धूप, दीप, नैवेद्य, खीर का भोग लगाकर श्रीहरि एवं माता लक्ष्मी का पूजन आराधना करें। वस्त्र, खीर, बूंदी के लड्डू का दान करें। अक्षय पुण्यदाई हरियाली अमावस्या व गुरु पुष्य का लाभ उठाएं।