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बोली वीरांगना-दोनों बच्चों को भी फौज में भेजने को तैयार

locationराजसमंदPublished: Feb 18, 2019 12:12:51 pm

Submitted by:

laxman singh

बोली वीरांगना-दोनों बच्चों को भी फौज में भेजने को तैयार -शहीद के परिवार की सहायता को बढ़ रहे हाथ

Bid Veerangana ready to send both children to the army

बोली वीरांगना-दोनों बच्चों को भी फौज में भेजने को तैयार

प्रमोद भटनागर/योगेश श्रीमाली
कुंवारिया. पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ की ११८ वीं बटालियन में तैनात जिले के बिनोल निवासी शहीद नारायण लाल गुर्जर की वीरांगना ने कहा कि देश को जरूरत पड़ेगी तो वह उसके पुत्र व पुत्री दोनों को भी फौज में भेजने को तैयार है।
शहीद गुर्जर की पत्नी मोहनी देवी ने रविवार को पत्रिका से बातचीत करते हुए कहा कि वे (नारायणलाल) देश के लिए प्राण न्यौछावर कर गए, लेकिन इससे परिवार में देशभक्ति का जज्बा कम नहीं हुआ, बल्कि और बढ़ गया है। ऐेसे में वे अपने पुत्र और पुत्री को भी देश की सेवा के लिए फौज में भेजने को तैयार है। शहीद के पुत्र मुकेश ने कहा कि वो भी जीवन में आगे चलकर देश की सेवा करना चहता है। उसकी बहन हेमलता ने कहा कि उसको भी उसके पापा के समान ही देश की सेवा करने की ललक है और फौजी बनकर देश की सेवा करना चाहती है।
उन्होंने बताया कि शहीद नारायण लाल जब भी छुट्टियो में घर पर आते तो गांव के युवाओं व ग्रामीणों को फौज के बारे में तथा सैनिक जीवन के बारे में बताते हुए उनमें देशभक्ति का जज्बा जगाने का कार्य करते थे। साथ ही युवाओं को हमेशा सेना में जाने के लिए प्रेरित करते और इसके लिए टिप्स भी देते थे। वे यहां रहने के दौरान घर के बाहर स्थित नीम के पेड़ पर भी प्रतिदिन रस्सी के सहारे चढऩे व उतरने का अभ्यास करते थे। वहीं, घर पर भी अपने बच्चों के सामने सेना के विभिन्न प्रसंगों को बताते थे।
बेगंू विधायक ने जताई संवेदना
शहीद गुर्जर के घर रविवार को बेगंू के विधायक व पूर्व संसदीय सचिव राजेन्द्र विधुड़ी पहुंचे और शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने शहीद के पुत्र व पुत्री तथा परिवारजनों से विस्तार से बातचीत की। उन्होने कहा कि नारायणलाल की शहादत पर पूरे प्रदेश व देश को गर्व है। विधायक विधुड़ी करीब एक घन्टे तक परिवार के साथ रहे। इस दौरान उन्होंने बच्चों की शिक्षा, घर की व्यवस्था सहित अन्य बातों पर विस्तार से जानकारी ली।
किसी ने नगद तो किसी ने चेक से दी सहायता
शहीद गुर्जर के परिवानजन को सहायता के लिए रविवार को आमजन ने अपने हाथ बढ़ाए। सेंट एन्सलम ग्रुप भीलवाड़ा-१९९६ बेच की ओर से पहुंचे अंकुर सेठी, प्रवीण ओस्तवाल, वैभव चौधरी, विकास अग्रवाल, मनीष सोनी ने वीरांगना मोहनी देवी को एक लाख इक्कीस हजार नकद प्रदान किए। इसी प्रकार से श्रीसोनाणा खेतलाजी देसुरी पाली के अध्यक्ष मुकेशसिंह, प्रतापसिंह राजपुरोहित, स्प्रीगडेज फैमेली देवली पाली, भैसाकमेड़ के मदन पालीवाल, संगरूण नवयुवक मण्डल खमनोर, सर्राफा संघ आमेट ने भी नगद राशि प्रदान की। वहीं आमेट नगर से वीएचपी के द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा में एकत्रित नगद राशि शहीद परिवार को भेंट की गई।
मासूमों ने जयघोष के साथ दी श्रद्धांजलि
शहीद गुर्जर के घर रविवार शाम को नानीश्री पब्लिक स्कूल मेहन्दुरिया रेलमगरा के बच्चे दो बसों में सवार होकर बिनोल पहुंचे। करीब सौ विद्यार्थियों ने फौजी की पोशाक पहनकर हाथों में तिरंगा लेकर शहीद के घर पर पहुंचे। मासूमों ने भारत माता के जयकारो व नारायण गुर्जर अमर रहे आदि के गगनभेदी नारों के साथ शहीद को पुष्पाजंलि अर्पित की। मासूमों के द्वारा दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि को देखकर हर व्यक्ति की आंखे श्रद्धा के साथ नम हो गई। सभा में मेहन्दुरिया सरपंच किशनलाल भील, विद्यालय से जुड़े पूर्व फौजी जगदीश दाधीच, बंशीलाल दाधीच, घनश्याम सिंह राणावत, राजेन्द्र वैष्णव, जगदीश सुखवाल मौजूद थे।
विवाह की वर्षगांठ पर शहीद परिवार को मदद
रेलमगरा निवासी विष्णु शर्मा बिनोल में शहीद परिवार से मिलने पहुंचा। इस दौरान उसकी पत्नी कौशल्या से हुई बात के दौरान कहा कि वैवाहिक वर्षगांठ पर वह क्या उपहार लाए। इस पर उसकी पत्नी ने कहा कि वह उपहार के स्वरूप में शहीद गुर्जर के घर जाकर उनके परिवार की मदद करें। इस पर उन्होंने शहीद की वीरांगना को राशि भेंट कर मदद की।

मैदान को देख आंखों से छलक आए आंसु
बिनोल उमावि के खेल मैदान पर जैसे ही शहीद गुर्जर के मित्र अशोक दाधीच पहुंचे तो उनकी आंखे नम हो गई। अपने शब्दो को व्यक्त करने में भी दिल को थामते हुए कहा कि यही मैदान था, जहंा पर वो तथा उनका परममित्र शहीद गुर्जर, जिसे काका के नाम से जानते थे, इसी मैदान में दौड़ते हुए फौजी की तैयारी की थी। उन्होंने बताया कि इस मैदान में प्रतिदिन के पैंतीस से चालीस चक्कर लगाते थे।
गांव आते तो सभी से होती रामा-सामी
शहीद गुर्जर के बचपन के मित्र शैतानसिंह ने बताया कि जब भी छुट्टियो में वो आते तो पूरे गांव के मिलने वालों से दिल खोलकर बात करते थे। उनके मित्र पवन दाधीच, विनोद सेन, अशोक दाधीच, अमरसिंह, मुरली चोरडिया, राजु चोरडिया, भेरूलाल सेन, चांदमल पोखरना ने बताया कि गांव का फौजी भाई नारायण हंसमुखी व खुले हृदय के व्यक्तित्व के धनी थे।
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