दिलावर ने कहा कि नेहरू कांग्रेस के पूर्वज रहे हैं। प्रसिद्ध क्रांतिकारी आजाद जब अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे, तब वह मदद के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू के पास गए। इसलिए कि वह भी देश को आजाद करवाना चाहते थे। 1200 रुपए की जरूरत थी। नेहरू के पास आजाद पहुंचे। नेहरू ने उन्हें पार्क में बैठने को कहा और बताया कि व्यवस्था कर रहे हैं। पार्क में बैठाकर अंग्रेजों को सूचित किया कि जिसे तुम ढूंढ रहे हो, वह आतंकवादी पार्क में बैठा है। अंग्रेज पहुंचे तो चन्द्रशेखर की उनसे मुठभेड़ हो गई। आजाद ने गोलियां चलाकर तीन पुलिसवालों को ढेर कर दिया। दिलावर ने आगे कहा कि उनके पास अंतिम गोली बची थी। वह खुद को अंग्रेजों के हवाले नहीं करना चाहते थे, तो खुद को गोली मार ली। दिलावर ने मातृकुण्डिया में हुई किसान महापंचायत को भी कांग्रेस महापंचायत बताया।
कांग्रेस बोली- दिलावर मानसिक संतुलन खो रहे
इधर, बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस पर्यवेक्षक पुष्पेन्द्र भारद्वाज ने कहा कि दिलावर का इतिहास का ज्ञान बेहद कमजोर है। वे तथ्यों से परे जाकर बात करते हैं। भाजपा विधायक ने जवाहरलाल नेहरू को लेकर अशोभनीय टिप्पणी की है। भारद्वाज ने यह भी कहा कि दिलावर बढ़ती उम्र के साथ मानसिक संतुलन खो रहे हैं। खबरों में बने रहने के लिए ऐसे बेहूदे बयान देते हैं।