राघवसागर पर सूर्य उपासना
देवगढ़. नगर के कई श्रद्धालुओं ने राघव सागर तालाब में सूर्योदय से पूर्व ही संक्रांति का स्नान कर सूर्योपासना की। इसके बाद वस्त्र, खाद्य सामग्री के साथ ही अन्य वस्तुओं का दान-पुण्य भी किया। घरों में खीच और तिल के व्यंजन बनाए गए। नगर के सभी चौराहों एवं अन्य स्थानों पर लोगों ने गायों को रिजका खिलाया। वहीं, बच्चों से लेकर युवाओं ने घर की छतों पर साउंड लगाकर पूरे दिन पतंगबाजी का आनन्द लिया।
देवगढ़. नगर के कई श्रद्धालुओं ने राघव सागर तालाब में सूर्योदय से पूर्व ही संक्रांति का स्नान कर सूर्योपासना की। इसके बाद वस्त्र, खाद्य सामग्री के साथ ही अन्य वस्तुओं का दान-पुण्य भी किया। घरों में खीच और तिल के व्यंजन बनाए गए। नगर के सभी चौराहों एवं अन्य स्थानों पर लोगों ने गायों को रिजका खिलाया। वहीं, बच्चों से लेकर युवाओं ने घर की छतों पर साउंड लगाकर पूरे दिन पतंगबाजी का आनन्द लिया।
चारभुजानाथ को सुनाया टीपणा
चारभुजा. मकर संक्रांति पर चारभुजानाथ मंदिर में मंगला आरती के समय बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रही। वहीं ठाकुरजी को टीपणा सुनाने की परम्परा का निर्वाह भी किया गया। मंगला आरती के बाद पं. भोलेश्वर पालीवाल ने ठाकुरजी के समक्ष टीपणा सुनाया। पुजारी भंवरलाल व धर्मचन्द वगडवाल ने पंडित को दान दक्षिणा के साथ श्रीफल भेंट किया। इसके बाद नंगार खाने पर पुजारी समाज एकत्रित हुआ, जिनके समक्ष भी पंडित ने टीपणे का वाचन किया। इसमे वर्ष पर्यन्त होने वाले वस्तुओं के भाव के उतार-चढ़ाव व पूरे वर्ष का राशिफल पढक़र सुनाया। वहीं, भगवान को श्रद्धालुओं द्वारा तिल के लड्डू चढ़ाकर खुशहाली की कामना की गई।
चारभुजा. मकर संक्रांति पर चारभुजानाथ मंदिर में मंगला आरती के समय बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रही। वहीं ठाकुरजी को टीपणा सुनाने की परम्परा का निर्वाह भी किया गया। मंगला आरती के बाद पं. भोलेश्वर पालीवाल ने ठाकुरजी के समक्ष टीपणा सुनाया। पुजारी भंवरलाल व धर्मचन्द वगडवाल ने पंडित को दान दक्षिणा के साथ श्रीफल भेंट किया। इसके बाद नंगार खाने पर पुजारी समाज एकत्रित हुआ, जिनके समक्ष भी पंडित ने टीपणे का वाचन किया। इसमे वर्ष पर्यन्त होने वाले वस्तुओं के भाव के उतार-चढ़ाव व पूरे वर्ष का राशिफल पढक़र सुनाया। वहीं, भगवान को श्रद्धालुओं द्वारा तिल के लड्डू चढ़ाकर खुशहाली की कामना की गई।
श्रीजी को धराई छींट की वस्त्र सेवा
नाथद्वारा. संक्रांति पर प्रभु श्रीनाथजी को रेशमी छींट की वस्त्र सेवा सुशोभित करा विशेष शृंगार धराया गया। इसमें श्रीमस्तक पर मोरपंख चंद्रिका एवं विशेष पिछवाई के साथ मोजाजी के साथ आभूषण भी आज के शृंगार के अनुरूप सुशोभित कराए गए। सुबह दिन निकलने से पहले ही शहर के विभिन्न मोहल्लों में सैकड़ों याचक पहुंच गए, जिन्हें शहरवासियों ने कपड़े सहित अन्य सामग्री का वितरण कर व खाद्य सामग्री देकर दान-पुण्य किया। श्रद्धालुओं के द्वारा कई स्थानों पर गोमाता को रिजका खिलाया गया। श्रीनाथजी मंदिर की मुख्य गोशाला में भी गोमाता को गुड़-दलिया खिलाया गया।
नाथद्वारा. संक्रांति पर प्रभु श्रीनाथजी को रेशमी छींट की वस्त्र सेवा सुशोभित करा विशेष शृंगार धराया गया। इसमें श्रीमस्तक पर मोरपंख चंद्रिका एवं विशेष पिछवाई के साथ मोजाजी के साथ आभूषण भी आज के शृंगार के अनुरूप सुशोभित कराए गए। सुबह दिन निकलने से पहले ही शहर के विभिन्न मोहल्लों में सैकड़ों याचक पहुंच गए, जिन्हें शहरवासियों ने कपड़े सहित अन्य सामग्री का वितरण कर व खाद्य सामग्री देकर दान-पुण्य किया। श्रद्धालुओं के द्वारा कई स्थानों पर गोमाता को रिजका खिलाया गया। श्रीनाथजी मंदिर की मुख्य गोशाला में भी गोमाता को गुड़-दलिया खिलाया गया।