गर्मियों में प्राकृतिक जलस्रोत सूखने के कारण वन्यजीवों का आबादी क्षेत्रों की ओर पलायन रोकने के लिए सरकारी स्तर पर पहल नहीं की गई है। पानी की तलाश में प्यासे चिंकारे रिहायशी इलाकों में पहुंचकर कुत्तों के हमलों का शिकार हो रहे हैं। कई वन्यजीव सड़क पार करते समय तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर घायल हो रहे हैं या जान गंवा रहे हैं। पिछले एक दशक के दौरान करीब 8130 चिंकारे-काले हरिण घायल हुए। इनमें से 21 प्रतिशत को ही बचाया जा सका।
राशि का इंतजार गर्मी में चिंकारे जल्दी हांफने लगते हैं। ऐसे में श्वान उन पर हमला कर देते हैं। वन्यजीव बहुल क्षेत्रों में चिंकारों और काले हरिणों की प्यास बुझाने खेलियों में जलापूर्ति के लिए फरवरी में ही कैम्पा फंड से प्रस्ताव भेज दिया था। चार दिन पूर्व रिमाइंडर भी भेजा और बातचीत भी की। प्रत्येक जिले के लिए पांच-पांच लाख रुपए की मांग की गई है।
आरएस शेखावत, मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जोधपुर संभाग राशि मिलने का इंतजार वन्यजीव बहुल प्रभावित क्षेत्रों को चिह्नित किया है। जोधपुर डिविजन को सरकार की ओर से करीब 60 से 70 हजार राशि मिलती है। राशि आवंटित होते ही जलापूर्ति शुरू कर दी जाएगी।
एचआर चौधरी, उपवन संरक्षक जोधपुर हमारे अधीन तीन रेंज
वन विभाग वन्यजीव मंडल के अधीन जोधपुर जिले में तीन रेंज हैं। अब तक बजट नहीं मिला है। बजट मिलते ही टैंकरों से जलापूर्ति की जाएगी।
किशनसिंह भाटी, उपवन संरक्षक (वन्यजीव), जोधपुर नहीं बैठ सकते सरकार के भरोसे पानी की तलाश में मरते वन्यजीवों के लिए सरकार के भरोसे नहीं बैठ सकते। हमारी संस्था ने वन्यजीव बहुल क्षेत्रों में करीब 120 पानी की खेलियां तैयार की हैं। प्रथम चरण में भामाशाहों के सहयोग से टैंकरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा। संस्था के क्षेत्रीय स्वयंसेवकों को दायित्व सौंपा गया है।
रामपाल भवाद, प्रदेशाध्यक्ष, बिश्नोई टाइगर्स वन्य एवं पर्यावरण संस्था