कलक्टर साहिबा! मुझे जीना है…
राजसमंदPublished: Apr 19, 2016 11:48:00 pm
पीपली अहिरान की भील बस्ती में रहने वाले 17 वर्षीय देवीलाल भील ने जिला कलक्टर से जीने की गुहार लगाई
राजसमंद।पीपली अहिरान की भील बस्ती में रहने वाले 17 वर्षीय देवीलाल भील ने जिला कलक्टर से जीने की गुहार लगाई है। दिल की बीमारी से पीडि़त इस युवक के वाल्व खराब हो चुके हैं। रुपए और परिवार से लाचार होने के कारण उसे इलाज नहीं मिल रहा है। अपनी पीड़ा को लेकर मंगलवार को वह कलक्टर निवास पहुंचा। बीमारी के कारण उसके शरीर में चेहरे के सिवा सिर्फ हड्डियां नजर आती हैं। चार कदम चलने पर आधे घंटे तक सांस नहीं समाती।
देवीलाल ने बताया कि उसकी मां का वर्ष 2011 में देहांत हो गया। छह माह बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां ने घर से निकाल दिया। वह चाचा और बूढ़ी दादी के साथ रहता है। सांस लेने में समस्या पर उसने अस्पताल में उपचार करवाया। दो माह पूर्व डॉक्टर ने कहा, तुम्हारा वाल्व महज 20 प्रतिशत काम कर रहा है। इलाज यहां नहीं हो सकता। जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जाकर ऑपरेशन करवाओ।
कैसे हो इलाज?
देवीलाल ने बताया कि न रुपए हैं, न परिवार का साथ। चाचा मेहनत मजदूरी कर अपने चार बच्चों का परिवार पाल रहे हैं। वह पढ़े-लिखे नहीं हैं, जिससे जयपुर तो क्या वह उदयपुर जाने में घबराते हैं। मैं दो कदम चलता हूं तो सांस फूलने लगती है। क्या करूं, बहुत मजबूर हूं पर जीना चाहता हूं।
900 रुपए की दवा
गांव में एक किराने की दुकान पर कुछ देर काम करता हूं। वहां से कुछ रुपए मिलते हैं तो दवा ले आता हूं। एक महीने की दवा 900 रुपए की मिलती है। अभी तक इलाज चल रहा था तो दवा फ्री में मिल जाती थी। अब खरीदनी पड़ रही है।
भामाशाह से हो सकता है उपचार
वाल्व का ऑपरेशन जटिल होता है। सरकार की भामाशाह योजना से उसका उपचार हो सकता है। लेकिन अभिभावक तो चाहिए ही। जीएल मीणा, सीएमएचओ, राजसमंद