ताकि परिजनों को संक्रमण नहीं फैले
अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि हालांकि नाथद्वारा अस्पताल में अभीतक कोई कोरोना का पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया है, लेकिन फिरभी जिस तरह आस-पास के जिलों में मरीज सामने आ रहे हैं, उससे शंका हमेसा बनी रहती है। हम सुरक्षा के सारे ऐतियात बरतते हैं लेकिन फिर भी डर रहता है कहीं किसी मरीज का संक्रमण परिजनों तक नहीं पहुंच जाए इसलिए हम यहीं रहते हैं।
पहले अस्पताल अब होटल में रुक रहे
अस्पताल के उपनियंत्रक डॉ. सतीश सिंघल ने बताया कि अस्पताल के पीएमओ डॉ. राजकुमार यादव के निर्देश में करीब २० चिकित्सक व ३५ का अन्य स्टाफ है जो आईसोलेशन वार्ड में राउंड द क्लॉक ड्यूटी देते हैं। उन्होंने बताया कि २१ मार्च के बाद हमने अस्पताल में ही रहने का निर्णय कर लिया था और मार्च माह तक हम अस्पताल में ही रहे तथा यहीं का बना खाना, नाश्ता भी किया। बाद में एक अप्रेल से नाथद्वारा में ही एक होटल में सभी चिकित्सक रुके हुए हैं तथा वहीं से खाना आदि खाते हैं। जबकि नर्सिंग और अन्य स्टाफ अभी भी अस्पताल में ही रुकता है। अब एक अन्य होटल में बात चल रही है, अब नर्सिंग स्टाफ वहां शिफ्ट होकर अस्पताल में सेवाएं देगा। उन्होंने बताया कि अस्पताल के पीएमओ नाथद्वारा के ही है इसके बावजूद वे घर नहीं जाकर यहीं हम सबके साथ रहते हैं।
वीडियो कॉलिंग से करते हैं परिजनों से बात
बताया कि जो चिकित्सक यहां कार्यरत हैं उनमें से कुछ उदयपुर, जयपुर और स्थानीय हैं, लेकिन घर कोई नहीं जाता, जिससे सभी एक सामान हैं, परिवार से दूर होने के कारण बच्चों के, परिजनों के फोन आते हैं तो वीडियो कॉलिंग आदि कर लेते हैं।
आपस में साझा करते हैं अनुभव
जिला अस्पताल के तरह यहां भी रोजाना चिकित्सकों का प्रशिक्षण सत्र चलता है। चिकित्सक आपस में अपने ज्ञान को एक दूसरे से साझाकर वे एक दूसरे को प्रशिक्षित कर रहे हैं। जिसमें संक्रमण से कैसे बचें, मास्क, गाउन को कैसे पहने, कैसे उतारे और किस सावधानी के साथ उसे नष्ट करें, कोरोना संदिग्ध और पीडि़त को क्या दवाएं दें, कैसे दें और क्या-क्या ट्रीटमेंट दें, वेंटिलेटर का उपयोग कब करें और कैसे करें। जैसे ज्ञान को रोजाना आपस में साझा करते हैं।