यह आ रही मुख्य समस्या
राजसमंद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एनएसथिसिया तथा सर्जन चिकित्सकों का अभाव है। जिसके चलते पहले से ही जिला सिजेरियन प्रसव के मामले में पिछड़ा है। निजी चिकित्सालयों की तुलना में यहां के सरकारी अस्पतालों में महज १० फीसदी ही सिजेरियन प्रसव होते थे, इसमें भी अधिकतर ऑपरेशन राजकीय आरके जिला चिकित्सलय में ही होते थे। वर्तमान समय में कोरोना को देखते हुए मुख्य अस्पताल को कोरोना वार्ड बना दिया गया, जिससे यहां का ओटी (ऑपरेशन थिएटर) बंद है। अस्पताल में महज एक ही एनएसथीसिया चिकित्सक हैं, जिन्हें कोविड-१९ संदिग्धों की देखभाल में रखा गया है। ऐसे में संक्रमण के भय से उनका उपयोग अन्य चिकित्सकीय गतिविधियों में नहीं लिया जा सकता। ऐसे में सभी सिजेरियन प्रसूताओं को जिला अस्पताल से उदयपुर के लिए ही रैफर किया जा रहा है। २६ मार्च से यहां कोई सिजेरियन प्रसव नहीं हुआ है, जिसके चलते करीब ७ प्रसूताओं को उदयपुर रैफर किया गया।
संख्या भी हुई कम…
जब से अस्पताल को कोरोना वार्ड बनाया गया है तब से यहां सिजेरियन प्रसव के लिए प्रसूताएं भी कम आ रही हैं, क्योंकि सबको पता है कि अभी मुख्य अस्पताल कोरोना वार्ड बना हुआ है। २६ मार्च के बाद से यहां सिजेरियन प्रसव बंद हैं, जिसके चलते करीब ७ प्रसूताओं को यहां से उदयपुर के लिए रैफर किया गया है।
-डॉ. ललित पुरोहित, पीएमओ, राजकीय आरके जिला चिकित्सालय, राजसमंद