script

भामाशाह का त्याग ताले में दफन, धर्मशालाएं बनी स्टोर

locationराजसमंदPublished: Dec 29, 2019 05:26:49 pm

अस्पताल परिसर में बनी धर्मशालाओं का उद्देश्य अनुसार नहीं हो रहा संचालनभामाशाह की धर्मशाला में लगा तालासर्दी के मौसम में परेशान हो रहे मरीज

भामाशाह का त्याग ताले में दफन, धर्मशालाएं बनी स्टोर

भामाशाह का त्याग ताले में दफन, धर्मशालाएं बनी स्टोर,भामाशाह का त्याग ताले में दफन, धर्मशालाएं बनी स्टोर,भामाशाह का त्याग ताले में दफन, धर्मशालाएं बनी स्टोर

अश्वनी प्रताप सिंह @ राजसमन्द. भामाशाह ने अपनों की स्मृति को चिर स्थाई बनाने व आमजन की सुविधा के लिए धर्मशाला बनाई, लेकिन चिकित्सा विभाग ने उसे ताले में दफन कर दिया। दो साल बाद भी आजतक उसका उपयोग नहीं हो सका। जिले में यह एक धर्मशाला का मामला नहीं है, ऐसा ही कुछ हाल सरकारी खर्च पर बनी धर्मशालाओं का भी है। यहां भी सर्दी, गर्मी और बारिश के मौसम में मरीज सिर छुपाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं या फिर महंगे होटलों में रात बिताने के लिए विवश हैं। जबकि अस्पताल परिसरों में बनी यह धर्मशालाएं विभाग का स्टोर रूम बनकर रह गई हैं। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी गरीब मरीजों के परिजनों को है, जिन्हें कईबार कड़ाके की ठंड भी खुले आसमान तले बितानी पड़ती है।

घर बेंचकर बनवाई धर्मशाला, उसका भी उपयोग नहीं
वर्ष 2017 में भामाशाह भगवती देवी स्वर्णकार ने अपने पति स्व. चुन्नीलाल की स्मृति में घर बेंचकर 60 लाख रुपए की लागत से राजकीय कमला नेहरू चिकित्सालय परिसर में धर्मशाला का निर्माण करवाया। सेवानिवृत शिक्षिका का धर्मशाला बनवाने के पीछे उद्देश्य था कि उपचार के लिए अस्पताल आने वाले मरीजों तथा उनके तीमारदारों को सर्दी, गर्मी, बरसात में इधर-उधर भटकना नहीं पड़े। लेकिन निर्माण के बाद से आजतक इस धर्मशाला में ताला लटका हुआ है। आजतक जिम्मेदार इसका कोई उपयोग नहीं ले पाए और मरीजों को उपचार के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। एक मरीज के परिजन ने बताया कि गत दिनों उसकी मां अस्पताल में भर्ती थी, इसलिए उसे रात को यहां रुकना पड़ा, ऐसे में उसे ठहरने के लिए एक रात के चार सौ रुपए एक होटल में किराया देना पड़ा।
पहले चलवाई कैंटीन अब बनाया कार्यालय
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देलवाड़ा में वर्ष 2014 में 45.38 लाख रुपए की लागत से चिकित्सालय परिसर में धर्मशाला का निर्माण करवाया गया। लेकिन तब से आजतक इस धर्मशाला में एक भी मरीज या उसका परिजन रात नहीं बिता पाया। वर्ष २०१६ में यह धर्मशाला १ हजार रुपए प्रतिमाह किराए पर एक संस्थान को दे दी गई। बाद में वर्ष 2018 से इसका अस्पताल का स्टोर रूम बनाकर लिया जा रहा है। जबकि मरीज और उनके परिजन ऐसी सर्दी, गर्मी और बरसात में इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं।

स्टोर रूम बनकर रह गई धर्मशाला
खमनोर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी वर्ष 2014 में 49.18 लाख रुपए की लागत से धर्मशाला का निर्माण करवाया गया। वर्ष 2017 में इस धर्मशाला का उपयोग जेएसवाई योजना के तहत संचालित कलेवा योजना के लिए मासिक 1500 रुपए किराए की दर से लिया गया। वर्तमान समय में इस धर्मशाला को अस्पताल का कार्यालय व स्टोर रूम बना दिया गया है। बताया जाता है कि जब से यह धर्मशाला बनी तब से इसमें आजतक एक भी मरीज व उसके परिजनों को रात गुजारना नसीब नहीं हुआ। पहले धर्मशाला के उपयोग का कोई विभागीय आदेश नहीं आया बाद में इसे स्टोर रूम बना दिया गया।

समीक्षा करवाई है…
अस्पताल परिसर में जो धर्मशालाएं बनी हैं, इनकी समीक्षा करवाई गई है तथा उच्चाधिकारियों को इससे अवगत करवाया गया है। आगे से जो आदेश आएंगे उसका पालन किया जाएगा।
-डॉ. जेपी बुनकर, सीएमएचओ राजसमंद

ट्रेंडिंग वीडियो