बच्चे (पांच से पंद्रह वर्ष की आयु के बीच) अपने चंचल स्वभाव के कारण कुत्ते के काटने और रेबीज के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं, क्योंकि वे प्राय: कुत्ते के काटने और रोग के बारे में जागरूकता के बिना कुत्तों के साथ खेलते हैं। हैरानी की बात ये भी है कि बच्चे प्राय: डांट के डर से माता-पिता से कुत्ते के काटने के घावों को छुपाते हैं। कभी-कभी तो बच्चों को पता भी नहीं चलता कि कुत्तों के हमला किए जाने पर उन्हें घाव हो चुका है। यहां तक कि माता-पिता भी अक्सर हमले को अनदेखा करते हैं या गर्म मिर्च या हल्दी जैसे घरेलू उत्पादों लगाकर घाव का उपचार करते हैं।
सरकार ने रेबीज की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम को लागू कर रखा है। इसमें कुत्ते के काटने के तत्काल बाद चिकित्सीय देखभाल की जरूरत के महत्व और निवारक उपायों के बारे में जागरुकता उत्पन्न की जाती है। आमजन को कुत्ते के काटने से बचने के लिए विशेषकर बच्चों को कुत्ते के व्यवहार और उसकी शारीरिक भाषा (जैसे क्रोध, संदिग्धता, मित्रता) के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। रेबीज की रोकथाम के लिए कुत्ते के काटने पर पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण (काटने के बाद टीकाकरण) की सलाह दी जाती है। यदि कुत्ता काटता है तो साबुन और पानी से दस मिनट तक घाव को धोने, स्वास्थ्य केंद्र जाकर उपचार कराने की जरूरत है।
कुत्तों के टीकाकरण से रोकें रेबीज
उच्च जोखिम वाले समूहों जैसे कि वायरस और संक्रमित सामग्री संभालने वाले प्रयोगशाला कर्मचारियों, मनुष्यों में रेबीज के मामलों को संभालने वाले चिकित्सकों और व्यक्तियों, पशु चिकित्सकों, पशु संभालने और पकडऩे वाले व्यक्तियों, वन्यजीव वार्डन को प्री एक्सपोजर टीकाकरण (पूर्व जोखिम टीकाकरण) लेने की सलाह दी जाती है।
ये कभी न करें
कभी हाथ से घाव ने छुएं व कटे घाव पर मिट्टी, मिर्च, तेल, जड़ी-बूटियां, चाक-पान की पत्तियों जैसे पदार्थ न लगाएं।
सावधानी अत्यंत जरूरी
रेबीज एक वायरस है, जिससे सावधानी अत्यंत जरूरी है। कुत्ते के काटने के तत्काल बाद एंटी रेबीज टीका लगाना चाहिए। साथ ही जिस कुत्ते ने काटा है उस पर निगरानी जरूरी है। जो तय उपचार है, उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
– डा. लक्ष्मणसिंह चुण्डावत, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, पशुचिकित्सा विभाग