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कांकरोली में द्वारकाधीश मंदिर में आग लगी नहीं, लगाई गई थी! : सीआईडीसीबी की जांच में खुलासा

locationराजसमंदPublished: Jun 25, 2018 10:52:29 am

Submitted by:

laxman singh

पुलिस का दावा आरोपी के पकड़े जाने की उम्मीद नहीं

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कांकरोली में द्वारकाधीश मंदिर में आग लगी नहीं, लगाई गई थी! : सीआईडीसीबी की जांच में खुलासा

लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद

पुष्टीमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के कांकरोली में श्री द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह में तीन साल पहले लगी आग शॉर्ट सर्किट की वजह से नहीं, बल्कि किसी के लगाए जाने की आशंका है। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की जांच में भी यही तथ्य सामने आए, मगर सीआईडीसीबी द्वारा की गई जांच में काफी प्रयास के बावजूद आरोपित का कोई पता नहीं चल सका। पुलिस ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजसमंद के समक्ष प्रस्तुत किए दस्तावेजों में यह भी दावा किया कि अब निकट भविष्य में भी मंदिर में आग लगाने वाले आरोपित का कोई पता चलने की उम्मीद नहीं है। श्री द्वारकाधीश मंदिर के गर्भगृह में 21 जून 2015 को आग लगने के मामले में प्रशासन द्वारा त्वरित जांच नहीं करने पर 18 अक्टूबर 2016 को कपिल कुमार गोस्वामी द्वारा कांकरोली थाने में प्रकरण दर्ज कराया गया था। इसकी जांच सीआईडी सीबी रेंज सेल उदयपुर के पुलिस निरीक्षक सुनील कुमार ने की। इस पर उपखंड अधिकारी राजसमंद राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल के नेतृत्व में गठित दल द्वारा तब तक की गई जांच के तथ्यों व दस्तावेजों को भी सीआईडी सीबी ने प्राप्त कर तहकीकात की। जांच में सीसीटीवी फुटेज, फोटो, विद्युत लाइन की स्थिति, विधि विज्ञान प्रयोगशाला के नमूनों की जांच से स्पष्ट हुआ कि आग विद्युत लाइन में शॉर्ट सर्किट से नहीं लगी और न ही प्राकृतिक कारणों से आग लगने के प्रमाण मिले। सीआईडी क्राइम ब्रांच द्वारा अदालत में पेश अंतिम रिपोर्ट के मुताबिक प्रकरण के आरोपी का काफी प्रयास के बावजूद कोई पता नहीं चला और न ही निकट भविष्य में भी आरोपित का पता चलने की कोई उम्मीद है। फिर भी आरोपी की तलाश जारी रखने की गुजारिश करते हुए 15 जनवरी 2018 को अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में पेश कर दी गई।

खड़े रह गए ये सवाल
-फोरेन्सिक साइंस युनिट उदयपुर की जांच में पाया कि मौके पर माचिस की जली तिली मौजूद थी।
-निज तिबारी, जहां ठाकुरजी बिराजमान थे, परिस्थिति को देखते हुए आग लगना संभव नहीं था, जब तक कि कोई आग नहीं लगाए। इसके बारे में कोई स्पष्ट नहीं हुआ कि आग किसने लगाई थी?
– पराग कुमार, शिशिर कुमार के आरोप थे कि आग पीठाधीश ब्रजेश कुमार के बेटे वागिश कुमार द्वारा लगाई थी। उस आरोप की स्थिति स्पष्ट नहीं।
– प्रकरण में जिस पीठाधीश ब्रजेश कुमार व गोस्वामी वागिश कुमार पर आरोप लगे थे, उनके बयान नहीं लेना?

इनके बयान पंजीबद्ध
जांच में कपिल कुमार, शिशिर कुमार, पराग कुमार, नेमिष कुमार, रौनक पटेल, भगवतीलाल, गणेशलाल, कल्याणसिंह, मदनसिंह, शैतानसिंह, बंशीलाल, उपखंड अधिकारी राजेंद्र प्रसाद, पुलिस उप अधीक्षक ओम कुमार प्रदीप रेशम वाला, महेंद्र भाई, मितुल शाह, मोहन भाई, प्रवीण गुर्जर, रमेश सनाढ्य, मंदिर सुरक्षा प्रभारी मानसिंह चारण, कृष्णकांत, राकेश कुमार के बयान लेखबद्ध किए गए।

सीआईडी को दे दी रिपोर्ट
&प्रशासनिक जांच चल रही थी। तभी थाने में प्रकरण दर्ज हो गया। इसलिए हमारी जांच का औचित्य नहीं रह गया। इसलिए हमारे स्तर पर जो भी जांच की और जो जो भी तथ्य व दस्तावेज आए। वे सभी उदयपुर के सीआईडी सीबी को सौंप दिए। अग्रिम जांच उनके द्वारा ही की गई।
राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, उपखंड अधिकारी राजसमंद

अपील कर दी
सीआईडी सीबी व पुलिस द्वारा हमें सूचित किए बिना ही न्यायालय में प्रकरण में एफआर लगा दी। इस पर अपील पेश कर दी गई है। सभी तथ्यों की जांच ही नहीं की गई। जब शोर्ट सर्किट व प्राकृतिक कारण से आग नहीं लगी है, तो स्पष्ट है कि किसी ने लगाई और वहां कौन जा सकता है। यही तो जांच पुलिस को करनी थी।
गोस्वामी नेमिष कुमार, श्री द्वारकाधीश मंदिर

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